राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

कोरोना से ग्रामीणों की जंग: प्लानिंग से 'कोरोना फ्री' हुए ग्रामीण...सुरक्षित करने के लिए युवाओं ने संभाली कमान

पाली से 20 किलोमीटर दूर सोनाई माझी ग्राम पंचायत कोरोना वायरस संक्रमण के बाद लॉकडाउन की शुरुआत से ही चर्चाओं में रहा. यहां सतर्कता के चलते गांव का एक भी बाशिंदा अभी तक covid-19 की चपेट में नहीं आया है. ऐसे में ईटीवी भारत ने जानी इन ग्रामीण योद्धाओं की प्लानिंग.

pali news, corona free news, Villagers became corona free , covid-19 news, planning in pali, sonai majhi village news, पाली न्यूज, कोरोना फ्री न्यूज, कोरोना फ्री हुए ग्रामीण, कोविड-19 न्यूज, पाली में कोरोना प्लानिंग, सोनाई माझी गांव न्यूज
कोरोना फ्री' हुए ग्रामीण

By

Published : Jun 16, 2020, 8:46 PM IST

पाली. शहरों के रास्ते कोरोना का खतरा गांव तक पहुंचा. प्रवासियों की दस्तक के बाद Covid-19 ने गांव के लोगों को भी चपेट में लेना शुरू कर दिया. पाली से 20 किलोमीटर दूर सोनाई माझी ग्राम पंचायत का भी यही हाल हुआ. लेकिन खास बात यह रही कि बीमारी के पैर पसारने से पहले ही गांव के लोगों ने कोरोना से लड़ने के लिए कमर कस ली.

पाली से 20 किलोमीटर दूर सोनाई माझी ग्राम पंचायत कोरोना वायरस संक्रमण के बाद लॉकडाउन की शुरुआत से ही चर्चाओं में रहा. यहां पॉजिटिव मरीज आने से पहले ही ग्रामीण काफी सतर्क हो चुके थे. जिसके चलते गांव का एक भी बाशिंदा अभी तक Covid-19 की चपेट में नहीं आया है. इस गांव में रहने वाले बुजुर्गों और युवाओं दोनों के तालमेल ने ऐसा प्रबंधन किया है कि यह गांव पूरी तरह से संक्रमण रोकने के लिए नजीर बन चुका है.

प्लानिंग से 'कोरोना फ्री' हुए ग्रामीण

गांव में आए अभी तक 13 पॉजिटिव मरीजों में से एक भी स्थानीय ग्रामीण नहीं है. यह उपलब्धि यहां के बुजुर्गों और युवाओं द्वारा पहले से तैयार किए गए प्लान के तहत हुए कार्यों की वजह से मिली. गांव वालों की सतर्कता का ही परिणाम था कि जितने भी प्रवासी गांव में आए उन्हें ग्रामीणों के संपर्क में नहीं आने दिया गया. ऐसे में ग्रामीण इस संक्रमण से मुक्त रहे.

सोशल डिस्टेंसिंग हो या मास्क, यहां है हर बात का ख्याल

बात भले ही सोशल डिस्टेंसिंग की हो या मुंह पर मास्क बांधने की. गांव के लोग हर सुरक्षा की चीज को अपने हाथ रख रखा है. इतनी ही नहीं गांव के लोग स्वयं के साथ-साथ अपनी जेब में 2 से 3 मास्क अलग से भी रखते हैं. ताकि रास्ते पर चलते हुए किसी के पास मास्क ना हो तो वह उपलब्ध करा सके.

भामाशाहों ने खोले हाथ

सोनाई माझी में कोविड-19 के संकट के समय में विशेष सहयोग गांव के भामाशाहों ने किया. कई भामाशाहों ने सड़क पर निकल रहे श्रमिकों के लिए अपने हाथ खोल दिए. करीब डेढ़ माह तक यहां के ग्रामीण भामाशाहों ने लोगों को हर समय भोजन उपलब्ध कराया. इसके साथ ही कई प्रवासी श्रमिक ऐसे भी थे, जिन्हें कोई साधन नहीं मिल पाया जिसके चलते ग्रामीणों ने सभी को सोनाई माझी स्कूल में ही रोक दिया और वहीं इन लोगों के लिए भोजन की सभी व्यवस्थाएं की.

प्री-प्लानिंग कर गांव को रखा सुरक्षित

सोनाई माझी गांव के बुजुर्गों को जब पता चला कि लॉकडाउन के चलते रोजगार के चक्कर में अपने घरों से दूर रहे लोग फिर से गांव लौट रहे हैं, तो ग्रामीणों ने पहले से ही गांव को संक्रमित मुक्त करने के लिए प्लान तैयार कर दिया. इसके तहत पहली बार गांव पहुंचे 103 लोगों को ग्रामीणों ने गांव से बाहर स्कूल में ही ठहराया. करीब 14 दिन तक इन सभी लोगों को वहीं रखा गया. क्वॉरेंटाइन की अवधि सफलता पूर्वक खत्म करने के बाद ही सभी को गांव में प्रवेश दिया गया. इसके चलते गांव पूरी तरह से सुरक्षित रहा. ऐसे में यहां लौटे 13 प्रवासियों के सैंपल पॉजिटिव आने के बाद भी यहां के स्थानीय ग्रामीण पूरी तरह से संक्रमित मुक्त रहे.

युवाओं ने संभाली कमान

फैलते संक्रमण और घर लौटते प्रवासियों को देखते हुए गांव के युवा आगे आए. अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए युवाओं ने प्रवासियों की निगरानी के लिए सोशल मीडिया ग्रुप बनाया. गांव के युवाओं ने बताया कि संक्रमण और घर लौटते प्रवासियों को देखते हुए एक सोशल मीडिया ग्रुप बना दिया.

इस ग्रुप में ग्राम पंचायत में आने वाले सभी युवा वर्ग को जोड़ा गया. इन सभी युवाओं का कार्य गांव में आ रहे प्रवासियों की हर समय निगरानी रखना था. अगर किसी प्रवासी को गुपचुप तरीके से गांव में घूमते हुए देखा जाता तो इस ग्रुप में तत्काल सूचना दी जाती और युवाओं की टीम उस प्रवासी के पास पहुंच जाती. फिर उसे अपने घर में रहने के लिए पाबंद किया जाता. युवाओं ने बताया कि उन्होंने अपने पूरे गांव की गली-गली के प्रत्येक घर में जाकर लोगों को मास्क और सैनिटाइजरका उपयोग करने की भी अपील की.

ग्रामीणों ने दंड के लिए बनाया जुर्माना

गांव के बुजुर्गों ने बताया कि गांव में Covid-19 के दौरान लापरवाही करने वाले लोगों को सबक सिखाने के लिए ग्रामीणों ने अपने ही तरीके से जुर्माने बनाए. इसके तहत लापरवाह लोगों से आर्थिक जुर्माना तो वसूला ही जाता था. साथ ही बतौर जुर्माना गांव में सेवा कार्य भी कराए जाते थे. जिससे गांव का विकास भी हो सके और लापरवाह लोगों को सबक भी मिल सके.

सोशल डिस्टेंसिंग में पानी बना रोड़ा

ग्रामीणों ने बताया कि गांव में पेयजल को लेकर समस्या है. पाइन के पानी के लिए ग्रामीणों को गांव के दो कुंओं पर जाना पड़ता है. हालांकि, गांव में कई जगह नलकूप लगे हुए है. लेकिन, उनमे खारा पानी होने के कारण वह पाइन के उपयोग में नहीं आता. ग्रामीणों का कहना है कि यहां आते ही सोशल डिस्टेंसिंग का नियम टूट जाता है. लेकिन फिर भी जितना हो सकता है, सतर्कता बरतने का प्रयास किया जाता है.

सभी की जेब मे रहते हैं एक्स्ट्रा मास्क

ग्रामीणों ने बताया कि कोविड-19 संक्रमण के बाद से ही ग्रामीणों को बचाने के लिए सभी प्रयास करते नजर आ रहे हैं. जिसमें सावधानी और सतर्कता सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है. ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए अब प्रत्येक ग्रामीण अपनी जेब में 2 से 3 माह अतिरिक्त मास्क रखता है. ताकि जो ग्रामीण बिना मास्क के नजर आए तो उन्हें तुरंत उपलब्ध कराया जा सके.

अनलॉक होने के बाद जहां ज्यादातर जगह लोग घरों से बाहर निकलने लगे हैं, वहीं इस छोटे से गांव में लोग जिस तरह सावधानी बरतते हुए कोरोना को गंभीरता से ले रहे हैं, वह काबिले तारीफ है. वहीं जैसे गांव के युवा भी जिम्मेदारी निभाते हुए सजगता से कार्यरत हैं, यह सराहनीय पहल है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details