बाड़मेर.कुछ वर्ष पूर्व बारिश के दौरान लूणी नदी में आए पानी में तैरने उतरे युवकों की झाड़ियों में उलझकर मौत हो गई थी. लेकिन नगरपरिषद और पीडब्ल्यूडी झाड़ियां कटवाने की जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डालने में लगे हैं.
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प्रशासन के लापरवाह रवैये की वजह से लूणी नदी बहाव क्षेत्र में कोई कार्य योजना भी नहीं बन पाई है. हालांकि बाढ़ से बचाव की प्राथमिक तैयारी रेत के कट्टे भरवाने का कार्य नगरपरिषद ने जरूर किया हैं. बालोतरा के तैराक कवास बाढ़ के समय काफी चर्चित हुए थे. यहां के तैराक हर गंभीर परिस्थिति में निशुल्क सेवाएं देने को तैयार रहते हैं, पर इस बार नदी क्षेत्र से बबूल की झाडियां नहीं कटवाने से तैराक भी संशय की स्थिति में हैं.
लूणी नदी में बबूल की भरमार तैराक बताते हैं कि यदि नदी पर आने पर कोई डूबते को बचाने के लिए हमें कहा जाएगा तो हमें भी जोखिम है. नदी एरिया में उगी घनी बबूल की झाड़ियों में फंसने का खतरा है. कोई कितना भी होशियार तैराक क्यों ना हो, ऐसी झाडियां घातक साबित होती हैं. कई तैराकों ने कहा कि प्रशासन कितना भी दबाव बनाए, हमें परिवार वाले ऐसी झाड़ियों में जाने से रोकेंगे. ऐसे में प्रशासन को नदी एरिया से बबूल की झाड़ियों को तुरंत प्रभाव से जेसीबी की मदद से कटवाना चाहिए.