पाली.जिले में संचालित हो रही 600 से ज्यादा कपड़ा इकाइयों में गैस आधारित कपड़ा उद्योग करने की कवायद की जा रही है. जिससे ईंधन के रूप में कोयले का उपयोग करना बंद हो सके. केंद्र सरकार की ओर से पाली में वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण के सभी दुष्प्रभाव के निराकरण के लिए प्रदूषण नियंत्रण मंडल को एक प्रोजेक्ट तैयार करने के लिए कहा गया है. इस प्रोजेक्ट के तहत पाली में आने वाले भविष्य में वायु प्रदूषण की संभावनाओं को देखते हुए प्रदूषण नियंत्रण मंडल की ओर से अभी से प्रयास किया जा रहा है.
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गैस आधारित उद्योग करने की मुहिम
प्रदूषण नियंत्रण मंडल के प्रोजेक्ट के तहत पाली के कपड़ा उद्योग में सबसे ज्यादा उपयोग में आने वाले कोयले के उपयोग को बंद करने की कवायद करने की कोशिश की जा रही है. साथ ही पाली के कपड़ा उद्योग को ईंधन के रूप में गैस आधारित करने के लिए मुहिम छेड़ी जा रही है.
600 से ज्यादा कपड़ा इकाइयां कोयले पर आधारित 500 से ज्यादा ट्रक कोयले की रोजाना खपत
प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अधिकारियों की माने तो पाली में कपड़ा उद्योग में रंगाई छपाई और बॉयलर में सबसे ज्यादा ईंधन के रूप में कोयले का उपयोग किया जाता है. यहां प्रतिदिन 500 से ज्यादा ट्रक कोयला कपड़ा इकाइयों में सप्लाई होता है. इन्हीं कोयले को जलाने से पाली के मंडिया रोड क्षेत्र में शाम और सुबह के समय काला धुआं साफ तौर पर नजर आता है. जिससे उस इलाके में हवाओं में भी कालिख नजर आती है. आने वाले भविष्य में वायु प्रदूषण की यह संभावनाएं और खतरा और अधिक बढ़ जाएगा. इस खतरे को भापते हुए अभी से कम करने के लिए पाली के कपड़ा उद्योग को ईंधन के रूप में स्वच्छ ईंधन पर आधारित करने का कदम उठाया है.
600 कपड़ा इकाइयों को 2021 में गैस लाइन कनेक्शन
इसके लिए पाली में बिजली और गैस से संचालित होने वाले बॉयलर व रंगाई छपाई में काम में लेने के लिए उद्यमियों को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है. इसको लेकर पाली के सुमेरपुर क्षेत्र से निकल रही गैस पाइपलाइन से एक लिंक लेकर पाली में 600 कपड़ा इकाइयों को 2021 में गैस लाइन कनेक्शन दिए जाएंगे. जिससे कि इन कपड़ा उद्योग में कोयले का उपयोग कम हो सके और वायु प्रदूषण को अभी से काबू में किया जा सके.
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पाली के उद्यमियों को जागरूक करने के प्रयास जारी
साथ ही प्रदूषण नियंत्रण मंडल के क्षेत्रीय अधिकारी अमित शर्मा ने बताया कि अभी पाली के उद्यमी प्रदूषण को लेकर इतने जागरूक नहीं है, उन्हें कोयले और गैस के बीच के अंतर को समझाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि कोयले की कास्टिंग व गैस की कास्टिंग में उद्योग को काफी फर्क महसूस होगा, साथ ही उन्होंने बताया कि कोयला पर आधारित रहने पर उद्यमियों को कपड़ा इकाइयों में प्रदूषण से बचने के लिए अन्य संयंत्रों पर भी खर्च करना पड़ता है, लेकिन जब पाली का कपड़ा उद्योग गैस आधारित हो जाएगा तो यह प्रदूषण मुक्त होगा और उद्योग की व्यर्थ खर्चे भी बच जाएंगे.