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लॉकडाउनः बूढ़ी आंखें पूछ रहीं...अपनों से कब तक रहें दूर - quarantine people pali yearning to go home

मासूम बच्चे, बुजुर्ग, पुरुष और महिलाएं, इन सभी लोगों की आंखों को इंतजार है सिर्फ अपनों से मिलने का. लेकिन ये करें तो करें आखिर क्या.? जिंदगी जीने की हर वो चीजें मिल रहीं हैं, जो उनके जीने के लिए जरूरी है. फिर भी ये लोग तरस रहे कि आखिर उनको उनके घर जाने को कब मिलेगा.

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अपनों से मिलने को तरसती आंखें...

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Published : Apr 16, 2020, 1:01 PM IST

Updated : Apr 16, 2020, 2:04 PM IST

पाली. जिले में लॉकडाउन के चलते अन्य प्रदेशों के कई लोग फंसे हुए हैं. जिन्हें बीते कई दिनों से प्रशासन द्वारा बनाए गए क्वॉरेंटाइन सेंटरों में रोका गया है. प्रशासन की ओर से इन लोगों के लिए हर सम्भव सुविधाएं भी मुहैया करवाई जा रही हैं. बावजूद इसके भी अब इन लोगों के सब्र का बांध टूटने लगा है.

आंखों में मिलने की चाह और भरी आवाज में ये लोग सिर्फ अपनों से मिलने की फरियाद कर रहे हैं. इन्हें उम्मीद थी कि 14 अप्रैल को लॉकडाउन खुल जाएगा और ये लोग अपने-अपने गांव चले जाएंगे. लेकिन, एक बार फिर से लॉकडाउन की अवधि को 3 मई तक बढ़ा दिया गया है. ऐसे में इनकी हिम्मत अब जवाब देने लगी है.

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दरअसल, लॉकडाउन की घोषणा होने के बाद में राजस्थान के अलग-अलग जिलों में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश सहित कई प्रदेशों के मजदूर रोजगार के लिए आए हुए थे. लॉकडाउन के बाद यातायात बंद हो जाने से ये लोग पैदल ही अपने घरों की ओर रवाना हो गए. लेकिन महामारी के रूप में उभरे कोरोना वायरस के चलते इन लोगों को प्रदेश की सीमा पार नहीं करने दी गई. ऐसे में प्रत्येक जिले से गुजर रहे इन लोगों को उन्हीं जिलों में अलग-अलग स्कूलों में क्वॉरेंटाइन करके रोक दिया गया.

अपनों से मिलने को तरसती आंखें...

प्रशासन भी कर रहा उचित व्यवस्थाएं...

पाली के सोनाई माझी गांव स्थित एक स्कूल में 92 लोगों को इसी प्रकार से क्वॉरेंटाइन कर 8 अप्रैल से यहां रोका गया. इन लोगों के लिए प्रशासन की ओर से सभी उचित व्यवस्थाएं स्कूल में ही कर दी गई है. इन्हें 14 अप्रैल को लॉकडाउन खत्म होने के बाद घर पहुंचाने के लिए साधन उपलब्ध करवाने का भी कहा गया. लेकिन वैश्विक महामारी बढ़ने से लॉकडाउन की समय सीमा और भी बढ़ा दी गई.

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ऐसे में इन लोगों को अपने घर पहुंचने में भी और इंतजार करना पड़ेगा. अपने घर पहुंचने के लिए ये लोग क्वॉरेंटाइन सेंटर की दीवारें फांदकर कर भी भागने की कोशिश किए. लेकिन सख्त पहरे के चलते ये लोग कुछ भी नहीं कर पा रहे.

मासूम बच्चों सहित बुजुर्ग भी परेशान...

इनके साथ मासूम बच्चे भी हैं, कई बुजुर्ग भी हैं. कई पुरुष अकेले ही हैं, जो अपने छोटे बच्चे बुजुर्ग मां-बाप को छोड़ मजदूरी के लिए निकले थे. लेकिन अब परिस्थिति ऐसी हो चुकी है कि लोग अपने घर वालों से बात भी नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में इनका दर्द इनके आंखों के रास्ते लगातार झलकता नजर आ रहा है. किसी भी अधिकारी के स्कूल में पहुंचने पर ये लोग उनके सामने अपने घर पहुंचाने की मन्नतें करते नजर आते हैं.

Last Updated : Apr 16, 2020, 2:04 PM IST

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