पाली. NGT की सख्ती के बाद पाली कपड़ा उद्योग को जिंदा रखने के लिए सोमवार से उसकी परीक्षा शुरू हो गई है. इस परीक्षा के लिए प्रदेश के 60 से ज्यादा अधिकारी पाली पहुंच चुके हैं. अधिकारियों ने पाली में संचालित हो रही कपड़ा इकाइयों के भौतिक सत्यापन की कार्रवाई शुरू कर दी है. सभी अधिकारियों को पाली कलेक्ट्रेट में बुलाया गया और भौतिक सत्यापन को लेकर अधिकारियों को निर्देश दिए गए.
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पाली में संचालित हो रही कपड़ा इकाइयों से निकलने वाले प्रदूषित पानी के चलते पाली की बांडी नदी और रोहट का नेहड़ा बांध पूरी तरह से प्रदूषित हो गया है. जिसकी वजह से इस नदी के किनारे स्थापित हजारों किसानों की जमीनें बंजर हो गईं और खेती के लायक नहीं रही. पाली के किसानों ने NGT में इस मामले को दायर किया. उसके बाद एनजीटी ने जांच की और सख्ती बरतने लगी. जिसके चलते पाली के कपड़ा उद्योग पर संकट छा गया.
यह संकट पाली कपड़ा उद्योग पर ही नहीं, बल्कि इनमें काम करने वाले 40 हजार से ज्यादा मजदूरों की रोजी-रोटी पर भी पड़ चुका है. कपड़ा उद्योग को जिंदा रखने के लिए प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की ओर से लगातार कार्रवाई की जा रही है.
पाली में स्थापित ट्रीटमेंट प्लांट उनकी ओर से संचालित होने का दावा किया गया था. इस दावे की पोल की रिपोर्ट में सामने आ गई. इस रिपोर्ट में बताया गया कि पाली में संचालित हो रहा सीटीपी का ट्रीटमेंट प्लांट एक पंपिंग हाउस बना हुआ है और उससे निकलने वाला रंगीन और प्रदूषित पानी किसी भी तरह से ठीक नहीं हो रहा. इसी पानी से बांडी नदी और नेहड़ा बांध प्रदूषित हुए हैं.
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ऐसे में एनजीटी ने पाली के कपड़ा उद्यमियों पर ₹10 करोड़ का जुर्माना लगाया साथ ही प्रदेश के साथ अधिकारियों को पाली में संचालित हो रही इन कपड़ा इकाइयों के भौतिक सत्यापन के लिए भेजा है. सोमवार से इन सभी अधिकारियों की ओर से पाली में कपड़ा इकाईयों के भौतिक सत्यापन की कार्रवाई शुरू की जाएगी.