पाली. प्रदेशभर में मॉडिफाइड लॉकडाउन की सुर्खियां शुरू होने के बाद में पाली में भी कपड़ा उद्योग एक बार फिर से शुरू होने की उम्मीदें लगाई जा रही थी, लेकिन पाली के कपड़ा उद्योग को अब गहरा झटका लगा है. पाली के ज्यादातर सभी कपड़ा उद्यमियों ने कपड़ा इकाइयों को शुरू करने से इंकार कर दिया है. इसका सीधा असर अब पाली के श्रमिक वर्ग पर पड़ने जा रहा है.
बता दें कि पिछले 29 दिनों से पाली के 40,000 से ज्यादा श्रमिक अपने घरों में बेरोजगार बैठे हैं. जिससे उन पर आर्थिक संकट भी मंडराने लगा है. मॉडिफाइड लॉकडाउन के बाद जिला कलेक्टर व पाली के उद्यमियों के बीच बैठक हुई. जिसमें पाली में कपड़ा उद्योग शुरू करने की कवायद तेज हुई, लेकिन सरकार की ओर से जो गाइडलाइन तैयार की गई, उस गाइडलाइन को पाली के कपड़ा उद्यमी पूरा नहीं कर पाए. ऐसे में कपड़ा उद्यमियों ने पाली के कपड़ा उद्योग को शुरू करने से इंकार कर दिया.
बताया जा रहा है कि पाली के कपड़ा उद्योग को शुरू करने के लिए सीईटीपी के पदाधिकारियों व जिला कलेक्टर के बीच बैठक हुई थी. इस बैठक में पाली संक्रमण के खतरे को दूर रखते हुए गाइडलाइन के अनुसार पाली के कपड़ा उद्योग को शुरू करने की अनुमति दे दी गई थी. लेकिन इस गाइडलाइन को पाली के कपड़ा उद्यमी पूरा नहीं कर सकते थे. इसके चलते सीईटीपी की ओर से पाली के कपड़ा उद्योग को देश के हालात सामान्य होने तक बंद रहने का ही निर्णय करना पड़ा.
आर्थिक नुकसान देखते हुए लिया निर्णय
कपड़ा सीईटीपी के पदाधिकारियों ने बताया कि गाइडलाइन के अनुसार पाली में स्थानीय श्रमिकों की मदद से ही कपड़ा उद्योग को चलाना होगा. बाहरी प्रदेश से कोई भी श्रमिक नहीं बुलाया जा सकता. इसके साथ ही कपड़ा उद्योग आवश्यक कार्यों में नहीं होने के चलते यहां ग्रे मटेरियल भी नहीं पहुंच पाएगा और ना ही पाली से तैयार हो रखा कपड़ा कहीं बाहर जा सकेगा. इसके चलते उद्यमियों ने आर्थिक नुकसान ज्यादा देखते हुए कपड़ा उद्योग को बंद रखना ही उचित समझा.
चेहरों पर छाई मायूसी
कपड़ा उद्योग के बंद रहने से पाली में हजारों की तादाद में कपड़ा उद्योग में काम करने वाले श्रमिकों के चेहरे पर एक बार फिर से मायूसी छा चुकी है. पिछले 3 दिनों से जिस प्रकार से पाली का कपड़ा उद्योग शुरू होने को लेकर सुर्खियां तेज हुई. उसके बाद इन श्रमिकों में फिर से रोजगार मिलने की उम्मीदें जगी थी, लेकिन कोरोना महामारी के चलते इनकी उम्मीदों पर एक बार फिर से पानी फिर चुका है. अब पाली की जीवन रेखा के नाम से जानने वाला यह कपड़ा उद्योग शुरू करने के लिए उद्यमियों व श्रमिकों को 3 मई तक इंतजार करना होगा.