पाली.आधे साल जिले में पानी ने जल संकट पैदा किया. वहीं आधे साल बाद बाढ़ की स्थिति देखने को मिली. 2019 में आम जनता का जनजीवन पानी की वजह से प्रभावित नजर आया.
बाढ़ और जल संकट इन दोनों ही मंजर में जिले की आम जनता काफी प्रभावित नजर आई. जहां पानी का अकाल पड़ा तो लोगों की हलक तर करने के लिए भी प्रशासन को वाटर ट्रेन मंगवानी पड़ी. वहीं जब अतिवृष्टि हुई तो पाली में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए. किसानों को भी दोहरी मार का सामना करना पड़ा था. इन दोनों ही यादों को पाली साल 2019 को कभी नहीं भुला पाएगा. पानी की बात करें तो इस साल जुलाई आते-आते जिले में जल संकट काफी गहरा गया था.
जिले में स्थित 52 बांधों में से मात्र जवाई बांध में ही पानी बचा था. जिसके डेड स्टोरेज को भी पानी की कमी दूर करने के लिए डेड स्टोरेज से भी पानी निकाला गया. प्रशासन के सामने पानी की समस्या दूर करने के लिए वाटर ट्रेन मंगवाने के अलावा कोई भी उपाय नजर नहीं आया.
कभी सूखा तो कभी बाढ़ की रही स्थिति
ऐसे में 25 जुलाई को पहली वाटर ट्रेन मंगवाई गई. यह वाटर ट्रेन 10 साल बाद जिले की जनता की पानी की समस्या दूर करने के लिए आई. इससे पहले साल 2009 में जिले में जल संकट को देखते हुए प्रशासन ने वाटर ट्रेन मंगवाई थी. वाटर ट्रेन की मदद से पाली में पेयजल की किल्लत को दूर किया गया. जिले में जल संकट की स्थिति मात्र 15 अगस्त तक रही. 15 अगस्त से पाली में 45 दिन देरी से आए मानसून ने, ऐसी बारिश की तो 15 से लेकर 19 अगस्त तक पाली में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई.
वहीं बस इन 4 दिनों में इंद्रदेव ने ऐसी मेहरबानी की कि पाली में 7 साल के बारिश के सभी रिकॉर्ड टूट गए. शुरूआती 10 दिनों की बारिश में ही सारे बांध ओवरफ्लो होकर छलकने लग गए. वहीं जवाई में भी पानी की आवक शुरू हो गई. ऐसे में प्रशासन ने 5 फेरों के बाद में वाटर ट्रेन को रोक दिया.