पाली.पिछले दो महीने से अलग-अलग फैक्ट्री और दिहाड़ी मजदूरी करने वाले हजारों बाहरी प्रदेश के मजदूर पाली में फंसे हुए थे. सरकार की ओर से इन मजदूरों को अपने घर ट्रेन और बस के माध्यम से भेजने की खबर के बाद उनकी उम्मीदों को पर लग गए थे. लेकिन इन मजदूरों को इसमें भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. अपने प्रदेश में ट्रेन जाने की सूचना के बाद एक दिन पहले ही रात 12 बजे से यह मजदूर रेलवे स्टेशन के सामने फुटपाथ पर इंतजार कर रहे हैं.
दोपहर के समय पारा 44 डिग्री तक पहुंच रहा है, ऐसे में न ही इन मजदूरों के लिए कोई भोजन की व्यवस्था है और न ही पीने के पानी की. अपने मासूम बच्चों और पूरे परिवार के साथ ये लोग ट्रेन का ही इंतजार कर रहे हैं. लेकिन इन मजदूरों को खुद को भी नहीं पता कि ट्रेन कितने बजे आएगी और न ही इन्हें कोई जानकारी दे रहा. ऐसे में पिछले 2 महीने से अपने घर जाने की उम्मीद लेकर जो मजदूर अलग-अलग स्थानों पर फंसा हुआ था. वह रेलवे स्टेशन के बाहर आकर फुटपाथ पर रहने के बाद अपने आप को और ज्यादा प्रताड़ित समझ रहा है.
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बता दें कि पाली, जालौर, सिरोही, जोधपुर और बाड़मेर में सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व महाराष्ट्र के मजदूर फंसे हुए हैं. इन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा कपड़ा उद्योग के साथ अन्य मजदूरी के कामों में भी इन प्रदेशों के मजदूरों को बुलाकर काम करवाया जा रहा था. लेकिन लॉकडाउन लगने के बाद में इन सभी क्षेत्रों में कपड़ा उद्योग और अन्य कार्य बंद हो गए. जल्द ही फिर से उद्योग खुल जाने की उम्मीद में ये लोग अपने घरों की तरफ नहीं गए. एक माह तक तो इन लोगों ने जैसे-तैसे फैक्ट्री में और अपने किराए के मकानों में गुजार दिए. लेकिन एक माह तक रोजगार नहीं मिलने के बाद आर्थिक संकट को देखते हुए ये लोग अपने घरों की ओर पलायन करने लगे. लेकिन न ही इन्हें अपने प्रदेशों तक जाने के लिए कोई संसाधन उपलब्ध हो रहा था और न ही इनकी कोई सुनवाई कर रहा था. ऐसे में प्रवासियों के फंसे होने की समस्या को देखते हुए राज्य सरकार ने अलग-अलग स्थानों से स्पेशल ट्रेन और बसें चलाकर इन्हें इनके घर तक पहुंचाने का कार्य शुरू किया.
पाली से भी अब तक तीन ट्रेन अलग-अलग प्रदेशों में मजदूरों को लेकर जा चुकी हैं. लेकिन इसके बावजूद हजारों की तादाद में अभी भी श्रमिक अलग-अलग स्थानों पर फंसे हुए हैं. ट्रेन जाने की सूचना मिलने के बाद ये मजदूर एक दिन पहले ही रेलवे स्टेशन के आसपास फुटपाथ पर अपने परिवार के साथ आकर रुक रहे हैं. समय पर इन्हें ट्रेन में जगह मिल जाए और अपने घर पहुंच जाए. इस उम्मीद में ये लोग भूखे प्यासे ट्रेन का ही इंतजार कर रहे हैं.