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पहले 6 साल झेला सामाजिक बहिष्कार, अब पत्नी के अंतिम संस्कार के 'तुगलकी फरमान' के आगे मजबूर पति

पाली में एक दंपति के प्रेम विवाह को समाज में ऐसा गुनाह माना गया कि उनको 6 साल तक समाज से बहिष्कृत कर हुक्का पानी बंद कर दिया गया. इसके बाद युवती की बीमारी से मौत होने के बाद 3 दिन तक समाज के लोग उसका अंतिम संस्कार करने के लिए रजामंद नहीं हुए. इसके बाद सोमवार को पुलिस ने अन्य ग्रामीणों के सहयोग से युवती का अंतिम संस्कार कराया.

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पाली में पंचायत के फैसले के आगे पति हुआ मजबूर

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Published : Dec 8, 2020, 12:37 PM IST

पाली.जिले के सादड़ी थाना क्षेत्र के मण्डीगढ़ गांव में एक दंपति के प्रेम विवाह को समाज में ऐसा गुनाह माना गया कि उनको 6 साल तक समाज से बहिष्कृत कर हुक्का पानी बंद कर दिया गया. इसके बाद युवती की बीमारी से मौत होने के बाद 3 दिन तक समाज के लोग उसका अंतिम संस्कार करने के लिए रजामंद नहीं हुए. ऐसे में युवती का शव अस्पताल की मोर्चरी में पड़ा रहा.

पाली में पंचायत के फैसले के आगे पति हुआ मजबूर

जिसके बाद आखिर में पुलिस के अधिकारियों समेत अन्य लोगों ने युवती का अंतिम संस्कार करने के लिए काफी समझाइश का प्रयास किया. मगर किसी के तैयार नहीं होने पर सोमवार को पुलिस ने अन्य ग्रामीणों के सहयोग से उसका अंतिम संस्कार कराया. पुलिस के अनुसार मांडी गढ़ में रहने वाला भंवरलाल पुत्र रताराम भील ने करीब 10 साल पहले उसका आबूरोड में रहने वाली अपनी स्वजातीय युवती मधु से प्रेम हो गया था.

जिसके बाद दोनों ने समाज की मर्जी के बिना प्रेम विवाह कर लिया. इसके बाद दोनों का प्रेम विवाह करना समाज के स्वयंभू पंचों को काफी नागवार गुजरा. बाद में इन पंचों ने पंचायती करते हुए दोनों को समाज से बहिष्कृत करने का फरमान जारी कर दिया. यहां तक कि उनके रिश्तेदार के यहां आने जाने पर भी पाबंदी लगा दी थी.

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वहीं, कुछ दिन पहले मधु बीमार हो गई इस पर उसका कुछ दिनों तक स्थानीय स्तर पर भी उपचार कराने के बाद हालत गंभीर होने पर उसका पति उसे पाली के बांगड़ अस्पताल में उपचार के लिए लेकर आया. जहां पर उपचार के दौरान शुक्रवार को युवती की मौत हो गई. चौंकाने वाली बात यह है कि अंतिम संस्कार के दौरान कई पुलिस अधिकारी गांव पहुंचे थे. इसके बाद भी समाज का निर्णय होने का हवाला देते हुए मृतक के परिवार व समाज बंधु अंतिम संस्कार में नहीं पहुंचे.

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