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स्पेशल: पाली में पहली बार होगा कड़कनाथ मुर्गा पालन, किसानों को होगा फायदा

राजस्थान के पाली में पहली बार कड़कनाथ मुर्गों का पालन किया जाएगा. इससे किसानों की आय सुदृढ़ होगी. कृषि विज्ञान केंद्र जिला मुख्यालय पर इसका प्लान तैयार किया जा रहा है. किसानों को कड़कनाथ मुर्गों के पालन का प्रशिक्षण देकर उन्हें रियायती दरों पर उपलब्ध कराई जाएगी.

Rajasthan News,  Kadaknath cock rearing for the first time in Pali
पाली में पहली बार होगा कड़कनाथ मुर्गा पालन

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Published : Feb 26, 2021, 10:27 PM IST

पाली. नॉनवेज का चलन अब धीरे-धीरे बढ़ने लगा है, लेकिन कोरोना काल के बाद लोग नॉनवेज खाने से डरने लगे हैं. देश में बर्ड फ्लू जैसे गंभीर रोग को देखते हुए लोगों में मुर्गी खाने को लेकर एक भय सा बन गया है. वहीं, कोरोना काल ने हर आदमी की कमर तोड़ कर रख दी है. ऐसे में पाली के किसानों को उनकी आय बढ़ाने के लिए कड़कनाथ मुर्गे का प्लांट कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से स्थापित किया जा रहा है.

पाली में पहली बार होगा कड़कनाथ मुर्गा पालन

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कृषि विज्ञान केंद्र जिला मुख्यालय पर इसका प्लान तैयार किया जा रहा है. उसके बाद इस मुर्गी के पालन का प्रशिक्षण किसानों को देकर उन्हें रियायती दरों पर उपलब्ध कराई जाएगी. इससे आने वाले समय में किसान इन मुर्गी पालन से अपने आय के स्त्रोत बढ़ा सकेंगे.

ईटीवी भारत ने पाली कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ. धीरज सिंह से बातचीत की. उन्होंने बताया कि कड़कनाथ भारत में लोगों के पसंद की सबसे बेहतरीन नस्ल की मुर्गी मानी जाती है. यह मुर्गी मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले से संबंध रखती है. इस मुर्गी की नस्ल को जंगली नस्ल माना गया है और इसके मांस में कई पोषक तत्वों की मौजूदगी भी मानी गई है.

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धीरज सिंह ने बताया कि आमतौर पर भारत में पिंक लेग पॉल्ट्री फॉर्म की मुर्गी का उपयोग सबसे ज्यादा किया जाता है, लेकिन उसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता नहीं होने के कारण सबसे ज्यादा रोग उसी में लगते हैं. इसके कारण लोगों का रुझान उसकी तरफ से हट रहा है. इसको देखते हुए देसी नस्ल का प्रशिक्षण अब किसानों को देने की तैयारी की जा रही है. इससे किसान अच्छा मुनाफा कमा पाएंगे. सामान्यतः इस मुर्गी को बाजार में बेचने पर 1200 से 1800 रुपए तक किसान को आसानी से मिल जाएगा.

कड़कनाथ मुर्गा

अंडे को नहीं सेकती है ये मुर्गी

कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि कड़कनाथ नस्ल की मुर्गी अपने अंडे को नहीं सहेज पाती है. अन्य मुर्गियां अंडा देने के बाद उसे सेक देकर कर उससे चूजा निकालते हैं, लेकिन कड़कनाथ मुर्गी अपने अंडे के पास नहीं जाती है. ऐसे में किसानों को सबसे बड़ा प्रशिक्षण इन अंडों से चूजे निकालने का देना होगा. इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र ने इन अंडों को सहेजने की मशीन भी कृषि विज्ञान केंद्र में मंगाई है. उस मशीन के आने के बाद किसानों के अलग-अलग ग्रुप बना कर उन्हें प्रशिक्षण दिया जाएगा.

खून भी काला और मांस भी होता है काला

कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि कड़कनाथ मुर्गी का रंग काला होता है. साथ ही उसके ऊपरी त्वचा से लेकर उसका मांस और उसका रक्त भी पूरी तरह से काला होता है. इस मुर्गी में काफी पोषक तत्व भी माने गए हैं, जो लोगों की सेहत के लिए काफी लाभदायक है. कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि देसी नस्ल के मुर्गे की जब बात करें तो कड़कनाथ मुर्गा का नाम इसमें सबसे ऊपर आता है.

कड़कनाथ मुर्गा पालन

हृदय रोगियों के लिए फायदेमंद इस मुर्गे का मांस

कड़कनाथ मुर्गे का मांस प्रोटीन से भरपूर होता है. अन्य मुर्गों के मुकाबले इसमें भारी मात्रा में प्रोटीन पाई जाती है. इस मुर्गे में अमीनो एसिड भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है. खास बात यह है कि कड़कनाथ मुर्गे के मांस में बेहद कम कोलेस्ट्रोल होता है, जो हृदय रोगियों के लिए काफी फायदेमंद होता है.

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