पाली. नॉनवेज का चलन अब धीरे-धीरे बढ़ने लगा है, लेकिन कोरोना काल के बाद लोग नॉनवेज खाने से डरने लगे हैं. देश में बर्ड फ्लू जैसे गंभीर रोग को देखते हुए लोगों में मुर्गी खाने को लेकर एक भय सा बन गया है. वहीं, कोरोना काल ने हर आदमी की कमर तोड़ कर रख दी है. ऐसे में पाली के किसानों को उनकी आय बढ़ाने के लिए कड़कनाथ मुर्गे का प्लांट कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से स्थापित किया जा रहा है.
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कृषि विज्ञान केंद्र जिला मुख्यालय पर इसका प्लान तैयार किया जा रहा है. उसके बाद इस मुर्गी के पालन का प्रशिक्षण किसानों को देकर उन्हें रियायती दरों पर उपलब्ध कराई जाएगी. इससे आने वाले समय में किसान इन मुर्गी पालन से अपने आय के स्त्रोत बढ़ा सकेंगे.
ईटीवी भारत ने पाली कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ. धीरज सिंह से बातचीत की. उन्होंने बताया कि कड़कनाथ भारत में लोगों के पसंद की सबसे बेहतरीन नस्ल की मुर्गी मानी जाती है. यह मुर्गी मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले से संबंध रखती है. इस मुर्गी की नस्ल को जंगली नस्ल माना गया है और इसके मांस में कई पोषक तत्वों की मौजूदगी भी मानी गई है.
धीरज सिंह ने बताया कि आमतौर पर भारत में पिंक लेग पॉल्ट्री फॉर्म की मुर्गी का उपयोग सबसे ज्यादा किया जाता है, लेकिन उसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता नहीं होने के कारण सबसे ज्यादा रोग उसी में लगते हैं. इसके कारण लोगों का रुझान उसकी तरफ से हट रहा है. इसको देखते हुए देसी नस्ल का प्रशिक्षण अब किसानों को देने की तैयारी की जा रही है. इससे किसान अच्छा मुनाफा कमा पाएंगे. सामान्यतः इस मुर्गी को बाजार में बेचने पर 1200 से 1800 रुपए तक किसान को आसानी से मिल जाएगा.