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Special: उम्मीदों की फसल पर आसमानी आफत की 'छाया'...घबराए किसानों की अटकी सांसें

पाली में समय पर आए मानसून के चलते जहां किसानों के चेहरे पर खुशी है. वहीं, आसमानी खतरे से किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीर भी साफ दिखाई दे रही है. खरीफ की फसल की बुवाई अन्नदाता ने शुरू कर दी है. लेकिन लगातार जिले में टिड्डियों का प्रकोप बना हुआ है. देखिए ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट..

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पाली में टिड्डी से फसल को नुकसान

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Published : Jul 8, 2020, 10:56 PM IST

पाली.जिले में समय पर आए मानसून के बाद अन्नदाताओं ने अपने खेतों में खरीफ फसल की बुवाई शुरू कर दी है. उम्मीद है कि अच्छे मानसून के बाद हुई इस बुवाई से अन्नदाता को अच्छा फायदा मिलेगा. लेकिन इन सब के बावजूद अन्नदाता के चेहरे पर चिंता साफ नजर आ रही है. यह चिंता है आसमान में मंडरा रहे खतरे यानी टिड्डी दल की.

पाली में आसमान में मंडरा रहा संकट

खरीफ की फसल की बुवाई के साथ ही पाली जिले की सभी तहसीलों में टिड्डी दल का खेतों पर लगातार हमला जारी है. खेतों में खड़ी फसलों को मिनटों में ही टिड्डी दल चट कर रहा है. ऐसे में अन्नदाता के आंखों के सामने ही उसकी मेहनत पर पानी फिर जाता है. असमंजस में बैठा किसान अपने खेतों से अच्छे उत्पादन की उम्मीदें लगा रहा है. लेकिन आसमान में मंडरा रहा खतरा अन्नदाता को एक बार फिर से परेशानी में डाल चुका है.

टिड्डी से नुकसान, आंकड़े जानें ब्लॉकवार

जिले भर में चारों तरफ से आक्रमण कर रहे टिड्डी दल को नष्ट करने के लिए कृषि विभाग की ओर से हर संभव प्रयास किया जा रहा है. लेकिन कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां आज भी संसाधनों की कमी के चलते पारंपरिक ढोल, थाली बजाकर टिड्डियों को भगाया जा रहा है. वर्तमान स्थिति की बात करें तो पिछले 2 माह से जिले में हो रहे टिड्डी हमले के चलते करीब 3000 हेक्टर में खड़ी किसानों की फसल नष्ट हो चुकी है.

9 तहसील के 55 गांव प्रभावित

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पाली की 9 तहसीलों के 55 गांव वर्तमान में प्रभावित चल रहे हैं. खरीफ की फसल की बुवाई के साथ ही किसानों की चिंता और भी ज्यादा बढ़ गई है. चारों तरफ से आए टीडी दल ने अब पाली में ही पड़ाव डाल दिया है. हवा के साथ कभी सुमेरपुर तो कभी देसूरी तो कभी बाली क्षेत्र में टिड्डियों का हमला जारी है. वहीं, टिड्डियों का दूसरा दल पाली, रोहट और जैतारण के खेतों में खड़ी फसलों को नष्ट कर रहा है. कृषि विभाग की ओर से इन्हें नष्ट करने के लिए हजारों लीटर कीटनाशक का छिड़काव किया जा चुका है. लेकिन इसके बावजूद आसमानी खतरा बना हुआ है.

बता दें कि रबी की फसल के समय भी पाली में टिड्डी का हमला हुआ था. इस हमले में पाली, रोहट और सुमेरपुर को खासा नुकसान पहुंचा था. उस समय टिड्डी दल पाली से आगे बढ़ गया था. लेकिन खरीफ की बुवाई के साथ ही टिड्डी दल फिर से पाली पहुंच चुका है. कृषि विभाग के अधिकारियों की मानें तो टिड्डियों के करीब 18 से ज्यादा दल हैं. ये सभी पाली के अलग-अलग क्षेत्रों में हवा के रुख के साथ मंडरा रहे हैं.

आशंका यह भी है कि अब यह दल मानसून सत्र में पाली के विभिन्न क्षेत्रों में ही प्रजनन काल पूरा करेंगे. इसके चलते किसानों की चिंता खासी बढ़ चुकी है. इस प्रजनन काल के दौरान किसानों की खरीफ की फसल खेतों में लहराती रहेगी और यह दल किसानों के सामने इनकी मेहनत की कमाई को नष्ट करता रहेगा. इस खतरे को भांपते हुए कृषि विभाग की ओर से जिले भर के गांव में सतर्कता और जागरूकता के लिए बैठक शुरू कर दी गई है.

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टिड्डी दल खेतों में ना हो इसके लिए किसानों को अलग-अलग तकनीक बताई जा रही है. साथ ही टीमों को तैयार कर टिड्डी को नष्ट करने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है. प्रशासन की ओर से इस पहल में किसान भी जागरूक होकर शामिल हो रहे हैं. जिससे वह अपनी मेहनत की कमाई को बचा सकें.

मौसम विभाग के शोध की मानें तो मरुस्थलीय टिड्डियों का यह झुंड जून तक गर्मी और मानसून के समय अफ्रीका से भारत आता है और पतझड़ के समय ईरान और अरब देशों की ओर निकल जाता है. इसके बाद यह सोवियत एशिया, सीरिया, मिस्र और इजराइल में फैल जाता है. इनमें से कुछ भारत और अफ्रीका लौट आता है. जहां दूसरी मानसून वर्षा के समय प्रजनन होता है. टिड्डी दल सामान्य हवा की दिशा में उड़ान करता है. यह 1 दिन में लगभग 100 से 800 किलोमीटर तक उड़ान कर सकता है.

पाली जिले की बात करें तो हर गांव और कस्बे से होकर टिड्डी दल गुजर चुका है. हवा के वेग के साथ एक गांव से दूसरे गांव पहुंचकर टिड्डियां नुकसान पहुंचा रही हैं. बाग-बगीचों के साथ सब्जियों की फसलें चौपट कर रही है. वर्तमान में तेज धूप के चलते इनकी गति कम हुई है. पहले जहां 100 से 150 किलोमीटर उड़ान भरती थी. वहीं, अब ये महज 50 किलोमीटर प्रति घंटे की उड़ान भर रही हैं. आगामी दिनों में बारिश के साथ होने पर टिड्डी जगह-जगह अपने अंडे देने शुरू कर देगी. टिड्डियों के अंडे नष्ट नहीं किए तो अक्टूबर में टिड्डियों का ज्यादा प्रकोप किसानों के खेतों में देखने को मिलेगा.

पाली में कब-कब आया टिड्डी दल

वर्ष 1964

वर्ष 1968

वर्ष 1970

वर्ष 1973

वर्ष 1974

वर्ष 1975

वर्ष 1976

वर्ष 1978

वर्ष 1983

वर्ष 1986

वर्ष 1989

वर्ष 1993

वर्ष 1997

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