पाली.2 महीने के लॉकडाउन के बाद पाली की जीवन रेखा माना जाने वाला कपड़ा उद्योग फिर से शुरू हो तो गया है, लेकिन पाली से घर लौट रहे अन्य प्रदेशों के श्रमिक पाली कपड़ा उद्योग के लिए बड़ा संकट बनकर उभर रहे हैं. घर लौटने वाला ये श्रमिक पाली में अब रुकना नहीं चाहते.
बता दें, कि पिछले 2 माह के लॉकडाउन में इन्होंने जो मुसीबतें देखी, उसके बाद अब वह अपने घर पर ही अपने आप को सुरक्षित समझ पा रहा है. ऐसे में पिछले 10 दिनों में शुरू हुए पाली के कपड़ा उद्योग पर संकट के काले बादल मंडराना शुरू हो चुके हैं. पाली से करीब 50 हजार से ज्यादा अन्य प्रदेशों के श्रमिक अपने घर लौट चुके हैं. ऐसे में कपड़े को तकनीकी रूप से संवारने में दक्ष माने जाने वाले इन श्रमिकों की पाली में कमी होने लगी है. जिसके चलते पाली में संचालित होने वाली 680 से ज्यादा कपड़ा इकाइयों के संचालन पर खतरा मंडराना शुरू हो चुका है और इसकी चिंता पाली के कपड़ा उद्यमियों के चेहरे पर साफ नजर आने लगी है.
यह सभी अपने श्रमिकों को रोकने और घर लौट चुके श्रमिकों को वापस बुलाने के हर प्रकार के जतन कर रहे हैं, लेकिन इन सभी के बावजूद लॉकडाउन के बाद श्रमिक वापस नहीं लौटना चाहते. ऐसे में पाली के कपड़ा उद्यमी लंबे समय तक पाली की कपड़ा इकाइयों के संचालन को लेकर असमंजस में नजर आ रहे हैं. श्रमिकों के साथ ही पाली के कपड़ा उद्यमियों के सामने और भी कई समस्याएं उभर कर सामने आई है. जिसके कारण वह अपने कपड़ा उद्योग को काफी कठिनाइयों से संचालित कर पा रहे हैं.
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पाली सूती कपड़े पर रंगाई छपाई के लिए विश्व प्रसिद्ध माना जाता है. यहां से सूती कपड़े की डिमांड विश्वभर में रहती है. इसी के चलते पाली में 680 से ज्यादा कपड़ा इकाइयों में रंगाई छपाई का काम चलता है. इन सभी में करीब 50 हजार से ज्यादा श्रमिक काम करते हैं. इन फैक्ट्रियों में ज्यादातर तकनीकी श्रमिक यूपी, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, अहमदाबाद और बंगाल के हैं. पिछले दो माह से लॉकडाउन के कारण यह श्रमिक पूरी तरह से ही बेरोजगार हो चुके थे. ऐसे में इन श्रमिकों ने घर वापसी को ही उचित समझा. पाली के कपड़ा उद्योग के संचालन को लेकर भी दो माह से उद्यमी असमंजस में थे. ऐसे में इन श्रमिकों को रोजगार के किसी भी प्रकार की उम्मीद नहीं थी. घर से दूर बेरोजगार बैठे यह श्रमिक अपने घर जाने को ही सुरक्षित समझ रहे थे.
पाली में ऐसे भी हालात नजर आए जब श्रमिकों की मांगों को लेकर उन्होंने हंगामा किया और पुलिस ने उनपर लाठियां भी भांजी. ऐसे में सारे श्रमिक अपने घर की ओर लौट गए. लॉकडाउन 4.0 के बाद पाली की 282 कपड़ा इकाइयों के संचालकों ने कपड़ा इकाई शुरू करने पर सहमति जताई. इन इकाइयों में कार्य भी शुरू हुआ और उसके बाद अन्य इकाइयों ने भी अपना कार्य शुरू किया, लेकिन अब इन उद्योगों के सामने सबसे बड़ी समस्या श्रमिकों की कमी उभरकर आ रही है. सूती कपड़े पर रंगाई छपाई करने के लिए इन उद्यमियों के पास कोई भी नहीं है. ऐसे में अगर यह लोग कपड़े पर रंगाई छपाई भी करते हैं तो उन्हें नुकसान की आशंका रहती है और कम मजदूरों के चलते वह इतना बड़ा उत्पादन भी नहीं कर पा रहे हैं.