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बांडी नदी का दर्द : पहले कपड़ा उद्योग ने रंगीन पानी से किया प्रदूषित, अब कचरा और स्लर भी यहीं डाल रहे हैं

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Published : Jul 20, 2019, 3:09 PM IST

फैक्ट्रियों से निकला रंगीन पानी बांडी नदी में छोड़ने से यह पूरी तरह से दूषित हो गई है और इस नदी का पानी रोहट के नेहडा बांध में जाने से वह भी पूरा दूषित हो चुका है. साथ ही इस नदी के किनारे सैकड़ों किसानों के खेत और कुएं थे. वह भी रंगीन पानी के कारण पूरी तरह से बंजर हो चुके हैं.

बांडी नदी का दर्द

पाली. जिले की बांडी नदी और उसमें बहता प्रदूषित रंगीन पानी, दूषित नेहड़ा बांध और सैकड़ों किसानों की बंजर जमीन, यह चर्चा तो अब दिल्ली तक पहुंच चुकी है. भविष्य को खत्म करती इस समस्या के समाधान के लिए पिछले 15 सालों से अधिकारी, जनप्रतिनिधि, कपड़ा उद्यमी और किसान हर उस दरवाजे को खटखटा रहे हैं. जहां से इन सभी को राहत मिल सके. इस समस्या पर एनजीटी काफी गंभीर है. और उसका असर पाली में नजर भी आ रहा है. लेकिन इसके बाद भी पाली में कोई भी इस समस्या का हल चाहता नजर नहीं आ रहा है.

इतनी गंभीर स्थिति के बाद भी अब रंगीन पानी के साथ इस नदी में कपड़ा फैक्ट्रियों से निकलने वाला स्लर और शहर का पूरा कचरा डाला जा रहा है. इससे अब इस नदी के किनारे बसे किसानों की चिंता और बढ़ती जा रही है. अब अगर बरसात आती है तो यह पूरी गंदगी और प्रदूषित स्लर नेहड़ा बांध तक पहुंच जाएगा. ऐसे में धीरे-धीरे कर नेहड़ा बांध की स्थिति और भी गंभीर होती नजर आ रही है.

पाली की बांडी नदी लगभग पूरे पाली शहर के किनारे किनारे होकर निकलती है. इसी के किनारे पाली की सभी कपड़ा फैक्ट्री संचालित हो रही हैं. इन फैक्ट्रियों से निकला रंगीन पानी बांडी नदी में छोड़ने से यह पूरी तरह से दूषित हो गई है और इस नदी का पानी रोहट के नेहडा बांध में जाने से वह भी पूरा दूषित हो चुका है. साथ ही इस नदी के किनारे सैकड़ों किसानों के खेत और कुएं थे. वह भी रंगीन पानी के कारण पूरी तरह से बंजर हो चुके हैं.

पाली में बांडी नदी में जारी है प्रदूषण

किसानों के खेत बंजर होने के बाद में किसान अपना विरोध जताने के लिए जिला मुख्यालय पर पहुंचने लगे. वहीं इस समस्या की राहत पाने के लिए उन्होंने एनजीटी का दरवाजा खटखटाया था. इसके बाद एनजीटी ने लगातार सख्ती दिखाते हुए इन कपड़ा इकाइयों को 8 माह तक बंद करने के आदेश दे दिए थे. इसके बाद भी उधमी अपनी मनमर्जी से कार्य करते रहे. ऐसे में अभी भी एनजीटी लगातार उसके हल निकालने के आदेश प्रशासन को दे रही है. लेकिन अभी तक इसका अंतिम स्तर पर कोई भी हल नहीं निकल पाया है.

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