नागौर. श्रमिक कार्ड धारी मजदूरों को अपना खुद का आवास दिलाने में सहयोग के लिए चलाई जा रही प्रदेश सरकार की सुलभ आवास योजना जिले में परवान नहीं चढ़ पा रही है. हालात ये हैं, कि जिले में इस योजना के तहत 166 मजदूरों ने आवेदन किया था, लेकिन अबतक सिर्फ एक मजदूर परिवार को ही इस योजना का लाभ मिला है.
मजदूरों को नहीं मिल रहा सुलभ आवास योजना का फायदा श्रम विभाग के अधिकारियों की ढिलाई का आलम ये है, कि इस योजना के 39 आवेदन अब भी विभागीय प्रक्रिया में लंबित हैं. जबकि 76 मजदूरों के आवेदन सिटीजन एप पर क्लेरिफिकेशन नहीं होने के कारण लंबित चल रहे हैं. पात्रता के मापदंड पर खरा नहीं उतरने के कारण 50 मजदूरों के आवेदन रिजेक्ट भी किए गए हैं.
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श्रमिक कार्डधारी मजदूरों को उनका खुद का आवास मुहैया करवाने के लिए पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने सुलभ आवास योजना शुरू की थी. इसके तहत खुद के खरीदशुदा और पट्टाशुदा भूखंड पर मकान बनाने के लिए श्रमिक कार्डधारी मजदूर को सरकार की ओर से अनुदान दिया जाता है.
इस योजना में निर्माण की लागत 3 लाख रुपए तक होने पर 50 फीसदी राशि अनुदान के रूप में मिलती है. इससे ज्यादा की लागत आने पर अनुदान राशि का भुगतान नहीं किया जाता है. खास बात यह भी है, कि मकान बनाने के 1 साल के भीतर इस योजना का लाभ लेने के लिए मजदूर को आवेदन करना जरूरी है.
जिले भर में आवेदन करने वाले 166 मजदूर परिवारों में से सिर्फ एक ही परिवार को इस योजना का लाभ मिलने के सवाल पर श्रम विभाग के अधिकारियों का तर्क है, कि कई बार पुराने बने मकानों पर अनुदान के लिए आवेदन कर दिया जाता है. जबकि कई बार मकान बनने के 1 साल के बाद मजदूर आवेदन करता है. भूखंड का मजदूर के नाम का पट्टा नहीं होना भी बड़ी संख्या में आवेदन निरस्त होने का एक अहम कारण है. इसके साथ ही भूखंड रिहायशी होना चाहिए. कृषि भूमि पर बने मकान पर अनुदान की राशि नहीं मिलती है.
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अब देखना ये है, कि सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना का लाभ जरूरतमंद परिवारों को दिलाने के लिए श्रम विभाग के अधिकारी उन्हें जागरूक करने की दिशा में कोई पहल करते हैं या केवल नियम कायदों की दुहाई देकर आवेदन निरस्त करने का सिलसिला जारी रहता है.