डीडवाना में वर्षों से चली आ रही मांडणे बनाने की परंपरा कुचामनसिटी. भारत में आस्था और परम्परा को सर्वोपरि माना जाता है. प्रदेश में एक ऐसी है परंपरा है जो सदियों से निर्वहन की जा रही है. दीपावली पर मांडणा बनाने की पंरपरा ने समय के साथ ओर अधिक उन्नति की. डीडवाना जिले में भी दीपावली पर प्रतिष्ठानों पर मांडणा बनाने की परंपरा सदियों से निभाई जा रही है. दीपावली की पूर्व संध्या पर महिलाएं और युवतियां अपने व्यापारिक प्रतिष्ठानों में आकर्षक रंगोलियों से मांडणा बनाती है. मान्यता है कि इससे व्यापार में समृद्धि आती है. इस दौरान महिलाओं में रंगोली से मांडणा बनाने की प्रतिस्पर्धा भी देखने को मिलती है.
क्या है मांडणा :राजस्थानी संस्कृति में दीवारों और आंगन पर उकेरे जाने वाली चित्रकला को मांडणा कहा जाता है. आमतौर पर घरों और प्रतिष्ठानों में किसी भी शुभ अवसर पर अच्छे शगुन और बुरे दुष्प्रभाव से बचने के लिए सदियों से मांडणा छापने की परंपरा चली आ रही है. खास बात ये है कि व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर घर की औरतें व आसपास के गांव से आई औरतें गीत गाते हुए मांडणे बनाती है. यह परंपरा अप्रवासी लोग भी अपने-अपने शहरों में बदस्तूर निभाते आ रहे हैं.
मेलजोल निभाने का जरिया है मांडणा :डीडवाना में मांडणा बनाने की प्रक्रिया के दौरान जनप्रतिनिधि भी शुभकामनाएं देने के लिए पहुंचते हैं. गृहणी श्वेता और नव विवाहिता ममता काबरा बताती हैं कि "उनको परिवार की बड़ी महिलाओं के जरिए ससुराल की इस परंपरा का पता लगा था. महिलाएं सालभर इस पर्व का इंतजार भी करती हैं. पुराने दौर में महिलाओं को पुरुषों के बराबर समझने के लिए इस रवायत की शुरुआत की गई थी. महिलाएं इस मौके पर खुद को गौरवान्वित महसूस करती हैं."
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मांडणा में चुनावी संदेश :प्रदेश में जारीचुनावी माहौल के तहत डीडवाना की अनोखी परम्परा मांडणा पर भी इलेक्शन इफेक्ट नजर आ रहा है. मतदान के लिए जागरूकता के संदेश मांडणे में लिखे गए हैं, ताकि मतदान के दिन सभी लोग बूथों पर पहुंचकर अपना वोट डाल सकें. प्रत्याशी भी इस मौके पर अपना जनसंपर्क बढ़ाने में लगे हैं. डीडवाना नगरपालिका सबसे खूबसूरत रंगोली बनाने वाली महिलाओं को इनाम भी देती है. साथ ही शहर के लोग भी रंगोलियों के देखने के लिए बाजार में उमड़ते हैं.