नागौर.जिले में इस बार अच्छी बारिश हो रही है, लेकिन प्राचीन मान्यता है कि तेजा गायन (Teja Gayan) से इंद्र देव खुश होते हैं. बारिश के साथ ही फसल भी अच्छी होती है. किसान बिना बारिश के ही घर से छाता लेकर निकलते हैं और उनको गायन पर इतना भरोसा होता है कि वे गाएंगे और बारिश होने लगेगी. इस कारण खेतों में खड़े होकर किसान तेजा गायन कर रहे हैं.
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किसानों को अच्छी फसल की उम्मीद: किसानों को उम्मीद है कि इस बार बारिश के साथ ही फसल अच्छी होगी. किसानों का कहना है कि पीढ़ियों से यह परंपरा चल रही है. हर वर्ष मानसून शुरू होते ही तेजा गायन करते हैं. तेजा गायन टेर राग में गाया जाता है. बता दें, राजस्थान मे वीर तेजा एक ऐसे जननायक के रूप मे जाने जाते हैं, जिन्होंने गायों की रक्षा करने के लिए अपनी कुर्बानी दे दी. सदियों से वीर तेजा की बहादुरी की गाथाओं को एक खास तरह की शैली मे गीतों के रूप में गाया जाता है, जिसे तेजा गायन (Teja Gayan) कहा जाता है.
तेजा गायन पर 300 पेज की एक किताब
तेजा गायन की लोकप्रियता को देखते हुए 11 साल पहले इस गायन पर 300 पेज की एक किताब लिखी गई. किताब को कैंब्रिज विश्वविद्यालय (University of Cambridge) में शोधार्थियों के लिए उपलब्ध कराया गया है. यूनिवर्सिटी में लोकगीत अध्ययन के एक चैप्टर में तेजा गायन (Teja Gayan) को शामिल किया गया और तब 3 घंटे का प्रेजेंटेशन भी दिया गया था. अब वहां PHD (डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी) करने वाले विद्यार्थी तेजा गायन की स्टडी और रिसर्च करते हैं. यहां के विद्यार्थी अपनी रिसर्च के दौरान तेजा गाथा का अध्ययन कर इसे पुनर्सत्यापन भी करते हैं.
यहां है पूरी जानकारी उपलब्ध
कैंब्रिज यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर तेजा गायन से जुड़ी किताब, 'तेजा गाथा' से जुड़े सभी दस्तावेज और ऑडियो-वीडियो की पूरी रिकॉर्डिंग की फाइलों के साथ पूरी जानकारी उपलब्ध है. दरअसल, कुछ ऐसे लोकगीत है जो गाए जाते हैं, लेकिन उनका कहीं रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है. ऐसे लोकगीतों को कैंब्रिज यूनिवर्सिटी (University of Cambridge) के ओरल परियोजना के तहत संकलित करवाया गया था.
इस परियोजना में तेजा गायन का हुआ था संकलन