पुराने सिक्कों और मुद्राओं के संकलन की प्रदर्शनी कुचामनसिटी.विभिन्न अलग-अलग वस्तुओं के कलेक्शन की हॉबी रखने वाले लोगों को तो आपने देखा ही होगा. किसी को घड़ियों के कलेक्शन का शौक है तो किसी को अंगुठियों के संकलन का, लेकिन इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे कुचामनसिटी के एक शख्स की कलेक्शन हॉबी के बारे में, जिनको शौक है पुराने सिक्कों, मुद्राओं और राजकीय टिकटों के संकलन का. सागर चौधरी कुचामनसिटी के एक निजी होटल मैनेजमेंट कंपनी के निदेशक हैं, जिनके संकलन को देख हर कोई हक्का-बक्का रह गया. संकलन भी ऐसा जिसमें 300 साल पुराने सिक्के और नोट भी शामिल हैं.
सागर चौधरी विभिन्न देशों की अलग-अलग मुद्राओं का भी संकलन करते हैं. चौधरी ने अपने संकलन की एक प्रदर्शनी रखकर विद्यार्थियों और अन्य लोगों को दिखाई. इस संकलन को देखकर लोग अभिभूत हो गए. मुद्राएं हमें इतिहास से रूबरू कराती हैं. ये मानव सभ्यता के क्रमिक विकास को समझने में मदद करती हैं. इस प्रदर्शनी में मुगल कालीन समय से लेकर आधुनिक काल की मुद्राओं का प्रदर्शन किया गया, जिसमें तांबा सोना चांदी एल्युमिनियम जैसी धातुओं से बने सिक्कों की प्रदर्शनी लगाई गई. इस एक दिवसीय प्रदर्शनी में तीन सौ साल से अधिक पुराने भारतीय सिक्कों और मुद्राओं को लोगों के सामने रखा गया. इस दौरान करीब 25 स्टॉल और विभिन्न वस्तुओं के लगभग 100 संग्रह को पेश किया गया, जिनमें सिक्कें, कागजी मुद्राएं, टिकट्स, पेंटिंग और अन्य वस्तुओं का एक मिश्रित बैग था. इन्हें देख हर कोई कह पड़ा कि ये न केवल कलाकृतियां हैं, बल्कि ऐतिहासिक दुर्लभ वस्तुएं हैं.
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संकलन कर्ता सागर चौधरी ने कहा कि वो संग्रह और बिक्री दोनों करते हैं. प्रत्येक संग्रहकर्ता का या तो एक विशेष क्षेत्र होता है या एक विशिष्ट रुचि होती है. उन्होंने ब्रिटिश भारत की मुद्राओं पर ध्यान केंद्रित किया हैं. उनके पास 1835 से 1947 के बीच जारी किए गए धातु के सिक्कों से लेकर कागजी मुद्रा तक सब कुछ है. उन्होंने बताया कि इन सभी वस्तुओं का संग्रह करने में उन्हें 13 साल लगे. एक थीम चुनना और नोट्स एकत्र करना और अधिक उत्साह जोड़ता है.
213 देशों के करेंसी नोट : उन्होंने कहा वो कभी देश के बाहर नहीं गए, लेकिन फिर भी उनके पास 213 देशों के करेंसी नोट हैं, जिनमें ऐसे देश भी शामिल हैं जो अब अस्तित्व में नहीं हैं. यह केवल दुनिया भर में यात्रा करने वाले दोस्तों, रिश्तेदारों और बुजुर्गों के कारण संभव हो पाया है. उनके पास हजारों प्राचीन सिक्कों और नोटों का वह समुद्र हैं जो अपना खास इतिहास व समयकाल लिए दर्शकों को चौंका रहा है. विशेष बात यह है कि इनमें दो से ढाई हजार वर्ष पूर्व की दुर्लभ मुद्राएं अपनी खास चमक लिए हुए मौजूद हैं.
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10 किलोग्राम का ऑस्ट्रेलियाई सिक्का भी : उन्होंने कहा कि राजा-महाराजाओं, मुगल शासक बादशाह व सुल्तानों के राज में चलन में रही मुद्राओं का आकर्षक तो यहां है ही, आजादी के बाद देश में सिक्कों की विविधता से भी यहां साक्षात्कार होने का मौका मिल रहा है. विशेष तौर पर 300 डॉलर का आस्ट्रेलिया सिक्का दर्शकों को हैरान कर रहा है, जिसका वजन 10 किलोग्राम है और वर्तमान भारतीय मूल्य तकरीबन लाखों रुपए है. एक स्टाल पर वर्ष 1917 में छपा एक रुपए का भारतीय नोट भी है. इस नोट में कीमत पंजाबी, तमिल, गुजराती व तेलगु समेत कुल आठ भाषाओं में लिखी गई है. कई ऐतिहासिक आंदोलनों के वक्त की मुद्राएं भी यहां प्रदर्शित की गई हैं. इसमें वर्ष 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम, 1859-60 का नील विद्रोह और पंजाब में हुए कूका आंदोलन की मुद्राएं प्रमुख हैं.