नागौर. जिले के कुचामन में वन विभाग की गाड़ी की चपेट में आने से एक महिला की मौत हो गई थी. हादसे के बाद तीन दिन तक परिजनों और ग्रामीणों ने धरना प्रदर्शन किया. स्थानीय विधायक के हस्तक्षेप के बाद गुरुवार को धरना समाप्त हो गया. मामले में वन विभाग के पांच कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया तो मृतका के पति को संविदा पर नौकरी व बच्चों को सरकारी मदद देने पर सहमति बनी है.
प्रशासन ने पीड़ित परिवार की सात मांगों में से पांच मांगों को मान लिया है. इसमें वन विभाग के पांच कर्मचारियों को निलंबित करने, मृतका के पति को संविदा पर नौकरी देने, एससी/एसटी एक्ट के तहत मृतका लीला देवी बावरी के बच्चों को आर्थिक मदद के तौर पर 8.5 लाख रुपए के साथ ही चिरंजीवी योजना में परिजनों को शामिल किया गया है. राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी की ओर से मृतका के परिजनों को 1.5 लाख की आर्थिक मदद मुहैया कराई गई. इस प्रकार बच्चों को कुल 15 लाख की सहायता मिलेगी.
इस मामले में एक कैंपर ड्राइवर को गिरफ्तारी किया गया है. पीड़ित परिवार पर लगे मुकदमे को खारिज करने के साथ ही जांच का जिम्मा मेड़ता सीओ नरेंद्र मीणा को सौंपा गया है. कुचामन पुलिस ने पीड़ित परिवार के जब्त टैक्टर को छोड़ दिया. गुरुवार देर रात नारायण बेनीवाल ने धरने के बीच आकर लोगों को सहमति पत्र सुनाया और धरना समाप्त करवाया.
बता दें कि कुचामन में बीते सोमवार को वन विभाग की टीम रात के दौरान पांचवां रोड के समीप जारी अवैध खनन को रोकने के लिए पहुंची थी. इसी दौरान घर के बाहर लीला देवी बावरी खड़ी थी. अंधेरा होने के कारण चालक उसे देख नहीं पाया और वो गाड़ी की चपेट में आ गई. इस हादसे में गंभीर रूप से जख्मी होने पर उसे परिजन इलाज के लिए राजकीय अस्पताल ले गए, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
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मंगलवार सुबह बावरी समाज के लोगों ने कुचामन थाने के बाहर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया और वन विभाग के अधिकारियों के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. आरोप लगाया कि वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों ने जानबूझकर मृतका पर गाड़ी चढ़ाई, जिसमें उसकी मौत हो गई. ग्रामीणों के आक्रोश को देखते हुए कुचामन थाने को सुरक्षा के लिहाज से 10 अतिरिक्त पुलिस थानों का जाब्ता बुलाना पड़ा.
वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों पर लीला देवी को जान से मारने को लेकर 302 एससी-एसटी एक्ट के तहत थाने में प्रकरण दर्ज करवाया गया. बुधवार सुबह फिर से थाने के बाहर तंबू लगाकर ग्रामीण और परिजन बैठ गए. पीड़ित परिवार की ओर से अपनी मांगों को लेकर लगातार विरोध बढ़ता जा रहा था. इस बीच कई राजनीतिक दलों के नेता भी वार्ता के लिए सामने आए, प्रशासन के साथ हुई वार्ता बार-बार फेल हो रही थी. इसके बाद में पीड़ित परिवार ने मेड़ता विधायक इंदिरा बावरी को बुलाया, जो लगातार पीड़ित परिवार के साथ बनी रही.
ऐसे में बुधवार का भी दिन भी यूं ही निकल गया. इसके बाद गुरुवार को आरएलपी के खींवसर विधायक हनुमान बेनीवाल के छोटे भाई नारायण बेनीवाल मौके पर पहुंचे लोगों को भरोसा दिलाया कि वो पीड़ित परिवार को न्याय दिला कर रहेंगे. नारायण बेनीवाल और इंदिरा बावरी समेत पीड़ित परिवार के लोगों को मिलाकर 11 सदस्यीय एक कमेटी बनाई गई. इस कमेटी के साथ कुचामन थाना परिसर में वार्ता हुई. ये वार्ता 5 घंटे तक चली.
5 घंटे के बाद पीड़ित परिवार की ओर से अपनी सात मांगें प्रशासन के सामने रखी गई. जिसमें से प्रशासन की ओर से पांच मांगों को मान लिया गया. जिसमें वन विभाग के 5 कर्मचारियों को निलंबित करने, पीड़ित परिवार में एक सदस्य को संविदा पर नौकरी, एससी/एसटी एक्ट के तहत लीला देवी बावरी के बच्चों को सरकारी मदद के रूप में 8.5 लाख रुपए, चिरंजीवी योजना का लाभ समेत कुल 15 लाख की सहायता पर सहमति बन सकी.