नागौर.जिस हैंड टूल्स उद्योग ने नागौर को विशेष पहचान दिलाई थी अब उसी के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है. उद्योग का सालाना टर्नओवर करीब 30 करोड़ रुपए तक होता था, लेकिन कोरोना वायरस का दौर आने के बाद अब कोरोना वायरस की चपेट में आ चुके दिल्ली, हैदराबाद, बेंगलुरु, गुजरात समेत देश के विभिन्न शहरों में यहां से हैंड टूल्स निर्यात पर बड़ा असर पड़ा है.
नागौर के हस्त औजार उद्योग पर आर्थिक संकट व्यवसाय से जुड़े जहीर आलम ने बताया कि व्यवसाय के साथ साथ करीब 50 फैक्ट्रियों से 15 सौ से भी ज्यादा श्रमिक प्रभावित हुए हैं. उन्होंने बताया कि इसका असर दिल्ली, हैदराबाद, बेंगलुरु, गुजरात के साथ बाहरी प्रदेशों के लोकल मार्केट पर भी पड़ा है.
हैंड टूल्स फैक्ट्री के मालिक उस्मान करीम ने बताया कि हैंड टूल्स फैक्ट्री से बनने वाले प्लेयर, संडासी, कटर, नॉज प्लेयर, बॉल पेन, फ्रांस पेन, हैमर, कतिया, कट्टर, कुल्हाड़ी ब्लैक टूल्स, मशीन स्टोन कटिंग टूल का ट्रांसपोर्ट नहीं होने के कारण कारोबार पर नकारात्मक असर पड़ा है. दिल्ली, हैदराबाद, बेंगलुरु, गुजरात से हैंड टूल्स के ऑर्डर आना भी बंद हो गया है. जिससे कारोबार पर बड़ा असर देखने को मिल रहा है.
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वहीं, पहले कोई छोटा-मोटा ऑर्डर मिल पाता था जो लॉकडाउन के चलते बंद हो गया है. नागौर के हस्त औजार उद्योग को पूरी तरह से चौपट होने के बाद अनलॉक 1.0 के दौरान मुल्तानी समाज से जुड़े व्यवसायी हस्त औजार अब बाजार की मांग के अनुरूप बनाने लगे हैं. जिसे वे बहुत कम रेट पर स्प्लाई कर रहे हैं, ताकि वे परिवार की जरूरत पूरी कर सकें.