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दार्शनिक स्थल से कम नहीं लाडनूं का श्मशान घाट, लोगों के प्रयास से बदली तस्वीर, बना आकर्षण का केंद्र

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Published : Jul 17, 2020, 8:13 PM IST

जिले का लाडनूं शहर अपनी पुरानी बसावट और बड़ी-बड़ी हवेलियों के लिए जाना जाता है, लेकिन यहां के श्मशान घाट की भी अब अपनी अलग पहचान बन चुकी है. बात कुछ अजीब जरूर लग रही है पर सच यही है कि यहां का श्मशान घाट किसी सुंदर उपवन से कम नहीं है. लोगों ने अपने अथक प्रयासों से श्मशान घाट की तस्वीर ही बदल डाली है. हाल यह है कि बुजुर्ग और महिलाएं यहां मॉर्निंग और इवनिंग वॉक के लिए आते हैं. देखिए ये खास रिपोर्ट..

Cremation grounds of Ladnun no less than the philosophical site
दार्शनिक स्थल से कम नहीं लाडनूं का श्मशान घाट

नागौर. श्मशान का नाम सुनते ही मन में डर सा बैठ जाता है. कोई उस तरफ जाने की कभी सोचता भी नहीं है. लेकिन जिले के लाडनूं शहर का श्मशान घाट किसी खूबसूरत पार्क से कम नहीं है. यहां के लोगों ने अपनी मेहनत से इस श्मशान घाट को एक दार्शनिक स्थल का रूप दे दिया है. परिसर में चारों तरफ लगे सुंदर पेड़-पौधे और फूल लगे हैं. इसके अलावा यहां सुबह-शाम बुजुर्ग और महिलाएं घूमने भी आते हैं.

दार्शनिक स्थल से कम नहीं लाडनूं का श्मशान घाट

करीब सात एकड़ में फैले लाडनूं के श्मशान घाट का बड़ा हिस्सा पार्क के रूप में विकसित कर दिया गया है. जबकि पीछे की तरफ एक हिस्सा सभी समाज के श्मशान घाट के लिए बनाया गया है. यहीं पर अंतिम संस्कार किया जाता है.

कृत्रिम पहाड़ और चिड़िया घर करते हैं आकर्षित

यहां पार्क में ही छोटा सा चिड़िया घर भी बनाया गया है. इसमें खरगोश, बतख और रंग-बिरंगी कई चिड़ियां भी मौजूद हैं. यहां आने वाले बच्चों को ये काफी आकर्षित करते हैं. श्मशान घाट की मुख्य सड़क से लगे हिस्से पर कृत्रिम पहाड़ बनाकर झरने बनाए गए हैं और इसे आकर्षक कलाकृतियों से सजाया भी गया है. खास बात यह है कि शहर और आसपास के गांवों के युवाओं के बीच यह जगह सेल्फी पॉइंट बनती जा रही है. सुनने में कुछ अटपटा जरूर लगेगा लेकिन लाडनूं आने वाला हर व्यक्ति यहां का श्मशान घाट देखने जरूर आता है.

श्मशान घाट छोटा चिड़ियाघर भी मौजूद

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एक ही बड़े मैदान में अलग-अलग होता है हर वर्ग का अंतिम संस्कार

आमतौर पर छोटे कस्बों और शहरों में अलग-अलग वर्ग के श्मशान घाट भी अलग-अलग जगह होते हैं, लेकिन लाडनूं में अब एक बड़े मैदान में भिन्न-भिन्न समाज के लोगों के अंतिम संस्कार के लिए पक्की जगह तैयार की गई है. इस मैदान के बीचों-बीच भगवान शंकर की प्रतिमा स्थापित की गई है जहां रोज आरती होती है. श्मशान घाट का मुख्य द्वार भी आकर्षक बनाया गया है.

राजकुमार टांक का कहना है कि आज से करीब चार साल पहले यह जगह बिल्कुल बदहाल थी. खानपुरा से लाडनूं आकर ट्रांसपोर्ट का व्यवसाय करने वाले रघुसिंह राठौड़ ने सबसे पहले यहां सफाई का काम शुरू किया. धीरे-धीरे शहर के दूसरे सेवाभावी लोग भी जुड़ते गए और नियमित श्रमदान होने लगे. इसके बाद यहां पौधे लगाने के साथ लोगों ने अपने खर्च पर यहां निर्माण कार्य भी करवाए. लोगों के परिश्रम का नतीजा है कि श्मशान घाट होते हुए भी यह शहर के बीच खूबसूरत स्थल के रूप में उभरा है.

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हर प्रकार की सुविधा भी उपलब्ध

स्थानीय निवासी हिम्मताराम टांक बताते हैं कि इस जगह न केवल छायादार पेड़-पौधे लगाए गए हैं. बल्कि यहां आने वाले लोगों के बैठने के लिए आरामदायक बेंच भी लगी है. इसके साथ ही पीने को ठंडा पानी और सुलभ शौचालय की व्यवस्था भी है. यहां साफ-सफाई का भी खास ध्यान रखा जाता है. युवाओं के लिए यह स्थान किसी पिकनिक स्पॉट बनती जा रहा है.

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जंवरीमल का कहना है कि इस श्मशान के मुख्य सड़क से लगे हिस्से पर रघु सिंह राठौड़ ने उद्यान विकसित किया है. इसे रघु राठौड़ी गार्डन के नाम से जाना जाता है. यहां ऊंचाई पर भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित की गई है जिस पर फव्वारे से जलधारा गिरती रहती है. इसके अलावा पत्थरों से बनी खास कलाकृतियां इस जगह को और भी खूबसूरत बनाती हैं.

लाडनूं निवासी युवक रामचंद्र का कहना है कि रघु सिंह राठौड़ की पहल और शहर के सेवाभावी लोगों की मेहनत के कारण यह जगह न केवल लाडनूं शहर बल्कि पूरे उपखंड के लोगों के बीच खास पहचान बन चुकी है.

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