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नागौर: पीएम मोदी की 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' मुहिम से प्रभावित होकर यह संस्था दे रही है 500 छात्राओं को निशुल्क शिक्षा - beti bachao beti padhao

नागौर में कुचामन विकास समिति की तरफ से 500 छात्राओं को निशुल्क शिक्षा दी जा रही है. संस्था ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ मुहिम से प्रेरित होकर इलाके की गरीब लड़कियों को निशुल्क पढ़ाने का फैसला लिया.

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कुचामन विकास समिति दे रही 500 छात्राओं को निशुल्क शिक्षा

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Published : Dec 20, 2020, 3:15 AM IST

नागौर.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2015 में हरियाणा के पानीपत से 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' योजना का आगाज किया था. योजना का मकसद देश में महिलाओं और पुरुषों के लिंगानुपात में अंतर को कम करना और महिला शिक्षा को बढ़ावा देना था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस योजना से प्रेरित होकर नागौर जिले के कुचामन सिटी में सामाजिक संस्था कुचामन विकास समिति ने अभिनव प्रयोग किया है.

नागौर की यह संस्था दे रही है 500 बेटियों को निशुल्क शिक्षा

कुचामन विकास समिति ने 2 साल पहले समाज के वंचित, निम्न और मध्यम वर्ग की छात्राओं को निशुल्क शिक्षा देने का फैसला किया. इसके लिए एचपी काबरा महाविद्यालय में निशुल्क शिक्षण संस्थान शुरू किया. पहले साल 50 छात्राओं से शुरुआत की गई. निशुल्क शिक्षण पिछले 2 साल से जारी है और इस साल 500 छात्राओं का प्रवेश संस्था के महाविद्यालय में निशुल्क शिक्षा के लिए हो चुका है. इनमें से ज्यादातर छात्राएं वे हैं जिनके परिवारों की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है और उनके अभिभावक उन्हें उच्च शिक्षा दिलाने में असमर्थ हैं.

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समिति के अध्यक्ष ओमप्रकाश काबरा ने बताया कि संस्था की ओर से दी जा रही इस निशुल्क शिक्षा की मुहिम में न सिर्फ शिक्षा बल्कि अध्ययन सामग्री, परिवहन व्यवस्था और यूनिफार्म जैसी सुविधाएं भी छात्राओं को संस्था की ओर से बिना किसी शुल्क के उपलब्ध कराई जा रही हैं. संस्था में अध्ययनरत छात्राओं का कहना है कि अगर विकास समिति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान से प्रेरित होकर अपनी यह मुहिम शुरू नहीं करती तो उनमें से ज्यादातर छात्राओं का उच्च शिक्षा हासिल करना मुश्किल था.

छात्राओं का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब से इस योजना की शुरुआत की है. तब से देश में महिला शिक्षा के प्रति लोगों में जो नकारात्मकता थी, वह खत्म हुई है और समाज में बेटे और बेटी के प्रति जो फर्क समझा जाता था, उस विचार में भी तब्दीली दिखाई दे रही है.

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