नागौर. ट्रांसफर के बाद रिलीव नहीं होने से परेशान होकर वरिष्ठ लिपिक 55 साल के रामसुख ने खुद को आग लगा ली थी. वह ट्रांसफर के बाद भी रिलीव नहीं होने से परेशान था. इसी को लेकर गुरुवार सुबह वह जल्दी आ गया और आत्मदाह कर लिया.घटना के बाद प्रधानाचार्य और एक टीचर को निलंबित किया गया है. आरोप है कि ट्रांसफर होने के बाद भी प्रिंसिपल उसे रिलीव नहीं कर रही थीं. लिपिक 80 फीसदी तक झुलस गया था. जिसे पिलवा से सीधे अजमेर रेफर किया गया, जहां उसने देर रात दम तोड़ दिया.
ग्रामीण अड़े बोले कार्रवाई करो तो उठेगी लाश- कनिष्ठ लिपिक की मौत से परिजन और रिश्तेदार और ग्रामीण मोर्चरी के बाहर लामबंद हो गए. परिजनों ने मांग की कि मरने से पहले कनिष्ठ लिपिक रामसुख के अस्पताल में मजिस्ट्रेट बयान हुए हैं. पुलिस ने भी बयान दर्ज किए हैं. परिजनों का कहना है कि जब तक नामजद प्राचार्य और अन्य कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो जाती तब तक मोर्चरी से वह रामसुख मेघवाल का शव नहीं उठाएंगे.
मृतक के बेटे निर्मल कुमार ने बताया कि हाल ही में राम सुख मेघवाल का प्रमोशन हुआ था और उन्हें बस्सी से पीलवा राजकीय स्कूल में स्थानांतरित किया गया था. इसके बावजूद स्कूल प्राचार्य और अन्य कर्मचारी उन्हें रिलीव नहीं कर रहे थे. इस कारण वो पिछले 15 दिनों से मानसिक रूप से परेशान थे. कई बार उन्होंने स्कूल प्रशासन और प्राचार्य से उन्हें रिलीव करने का आग्रह भी किया था. उन्होंने बताया कि स्कूल प्राचार्य और अन्य कर्मचारियों की हठधर्मिता से वह मानसिक रूप से प्रताड़ित हो रहे थे.
ग्रामीण विक्रम सिंह राठौड़ ने बताया कि 1997 से ही कनिष्ठ लिपिक राम सुख मेघवाल राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में कार्यरत थे. कुछ दिनों पहले विभाग ने उन्हें पदोन्नति दी थी और उन्हें पीलवा पदस्थापित किया था लेकिन उन्हें स्कूल प्रशासन की ओर से रिलीव नहीं किया जा रहा था. राठौड़ का कहना है कि सभी परिजनों, रिश्तेदारों और ग्रामीणों ने मिलकर तय किया है कि जब तक आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी तब तक रामसुख मेघवाल का शव अजमेर जेएलएन अस्पताल की मोर्चरी में ही रखा रहेगा. ग्रामीणों और परिजनों के साथ पीलवा पुलिस काफी समझाइश कर रही है.