नागौर. मोदी सरकार की ओर से लागू किए गए आर्थिक आधार पर सवर्णों को आरक्षण का लाभ फिलहाल नागौर के लोगों को नहीं मिल पा रहा है. इसके लिए जरूरी ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र यहां आवेदकों को नहीं मिल रहे हैं. ऐसे में कई विद्यार्थी इच्छुक पाठ्यक्रम में इस कैटेगरी में आवेदन नहीं कर पाए. कई भर्तियों में भी बेरोजगार आवेदन नहीं कर पा रहे हैं. ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आवेदकों को सरकारी विभागों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. करीब 4 महीने पहले दिए गए आवेदन पर भी अभी तक प्रमाण पत्र नहीं जारी किए गए हैं.
नागौर में आवेदकों को नहीं मिल रहे ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र, सवर्ण आरक्षण का लाभ भी नहीं
मोदी सरकार ने भले ही आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्ण वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण लागू कर दिया हो. लेकिन नागौर में प्रशासनिक उदासीनता के चलके नागौर में सामान्य वर्ग के युवाओं को ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र बनवाने के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं.
3 महीने से आवेदक लगा रहे चक्कर
ऐसे में मोदी सरकार द्वारा लागू की गई आर्थिक आधार पर आरक्षण की व्यवस्था का लाभ नहीं मिल पा रहा है. क्योंकि, इस व्यवस्था का लाभ ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र के आधार पर ही मिलता है. आवेदकों का कहना है की उन्होंने करीब साढ़े 3 महीने पहले प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आवेदन किया था, लेकिन अभी तक प्रमाण पत्र नहीं बना है. प्रमाण पत्र बनवाने के लिए उन्होंने एसडीएम से लेकर कलेक्टर तक कई बार गुहार लगाई. लेकिन, कोई फायदा नहीं हुआ. आवेदकों ने बताया कि प्रमाण पत्र के अभाव में विद्यार्थियों और बेरोजगार युवाओं को इस योजना का लाभ नहीं मिला है.
प्रमाण पत्र जारी करने में ये बताई जा रही देरी
इधर, प्रमाण पत्र बनवाने के लिए पात्रता के नियमों पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. एक आवेदन से वंचित युवाओं का कहना है की ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र बनवाने के लिए जमीन और मकान से संबंधित जो नियम लागू किए गए हैं. वे तर्कसंगत नहीं हैं. उनका कहना है कि पश्चिमी राजस्थान में लोगों के पास जमीन तो काफी है. लेकिन उससे उन्हें आमदनी नहीं होती है. इसलिए जमीन और मकान संबंधी नियम के आधार पर लोगों को प्रमाण पत्र बनवाने के दायरे से बाहर रखना तर्कसंगत नहीं है. वहीं, अधिकारियों का कहना है कि कुछ तकनीकी दिक्कत की वजह से प्रमाण पत्र जारी करने में देरी हुई है. अब जल्द ही आवेदकों को प्रमाण पत्र जारी कर दिए जाएंगे.