नागौर. मारवाड़ी में एक कहावत है कि पूत के पैर पालने में ही दिख जाते हैं. यह कहावत नागौर के 9वीं कक्षा के छात्र अशोक पर एकदम सटीक साबित होती दिख रही है. अशोक ने एक ऐसा मॉडल बनाया है, जिससे 24 घंटे निर्बाध बिजली आपूर्ति होती रहती है. खास बात यह है कि इसमें चार्जिंग के लिए किसी बिजली कनेक्शन की भी जरूरत नहीं है.
बिजली उत्पादन का अनूठा मॉडल. दूर-दराज और पहाड़ी इलाके के ऐसे गांव-ढाणियां जहां बिजली लाइन खड़ी करना संभव नहीं हो पाता. वहां यह मॉडल काफी कारगर साबित हो सकता है. रोल गांव के मूल निवासी भूतपूर्व सैनिक रामलाल डिडेल का बेटा अशोक नागौर की एक स्कूल में 9वीं कक्षा में पढ़ता है. परिवार फिलहाल नागौर में रोडवेज बस स्टैंड के पीछे कॉलोनी में रहता है. अशोक ने दो बैट्री, एक इन्वर्टर और कुछ अन्य उपकरणों की सहायता से यह मॉडल तैयार किया है. इसमें एक बैट्री से बिजली सप्लाई होती रहती है और साथ में ही दूसरी बैट्री चार्ज होती रहती है.
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ठीक एक घंटे बाद दूसरी बैट्री से बिजली सप्लाई शुरू हो जाती है और पहली बैट्री चार्जिंग मोड पर आ जाती है. यह सारी प्रक्रिया ऑटोमैटिक चलती है. अशोक के पिता रामलाल बताते हैं कि उसमें बचपन से ही खिलौनों से खेलने के बजाए कुछ अलग करने का उत्साह दिखा. उन्होंने भी उसे कभी रोका नहीं बल्कि हरसंभव सहयोग किया.
इसी का नतीजा है कि अशोक ने यह मॉडल तैयार करने में सफलता हासिल की है. अशोक का कहना है कि पढ़ाई के साथ-साथ हर दिन करीब 2 घंटे की मेहनत लगातार दो साल तक करने के बाद आज उसे यह परिणाम मिला है. उसने बताया कि इस बीच करीब पांच-छह बार उसे निराशा भी हाथ लगी जब कोई न कोई अड़चन आई लेकिन अंततः उसकी मेहनत रंग लाई है.
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उसने 12-12 वॉट की दो बैट्री, इन्वर्टर और एक कंट्रोलर का इस मॉडल में प्रयोग किया है. फिलहाल, इससे 100 वॉट तक कि बिजली सप्लाई संभव है. अशोक का कहना है कि अब उसका लक्ष्य इसकी क्षमता को करीब एक हजार वॉट तक बढ़ाना है. ताकि घर के जरूरी उपकरण इससे संचालित हो सके. अशोक के इस मॉडल की सबसे खास बात यह है कि इसमें लगी बैट्री को चार्ज करने के लिए बिजली कनेक्शन जरूरी नहीं है. इसके साथ ही यह मॉडल सौर या पवन ऊर्जा जैसे प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर है.