कोटा.प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आई है. नई सरकार बनते ही उन्होंने कांग्रेस शासन में स्वीकृत परियोजनाओं पर फिलहाल ब्रेक लगाया है. इन परियोजनाओं का रिव्यू सरकार कर रही है. इसी रिव्यू के तहत प्रदेश में नए टेंडर करने, निविदाएं निकालना और कार्य आदेश जारी करने पर रोक लगा दी गई है. इसी के चलते चंबल वैली प्रोजेक्ट और पूर्वी राजस्थान नहरी परियोजना के बड़े कामों पर फिलहाल रोक लग गई है. इसी के चलते हाड़ौती में दो नए बांधों का निर्माण और तीन बांधों के पुनरोद्धार का काम थम गया है. यह कार्य करीब 3000 करोड़ से ज्यादा लागत में होना है.
जल संसाधन विभाग की अधीक्षण अभियंता एजाजुद्दीन अंसारी का कहना है कि सरकार ने फिलहाल टेंडर प्रक्रिया पर रोक लगाई है. इसकी हम पालन कर रहे है. चंबल वैली प्रोजेक्ट के तीन बांधों के पुनरुद्धार का काम वर्ल्ड बैंक के फंड से होना है. इसके टेंडर जारी किए हैं, जिन्हें रिसीव तो कर लेंगे, लेकिन वर्क आर्डर जारी नहीं किए जाएंगे. तब तक सरकार इसका रिव्यू करेगी. इसमें भी डेढ़ से दो महीना लगेगा.
पहले आचार संहिता में सरकार ने लगाई रोक : ईसीआरपी के टेंडर रिसीव होने के बाद राज्य सरकार के पास भेजे गए थे. ये आचार संहिता के चलते अटक गए थे. उसके बाद राज्य सरकार बदलने पर टेंडर पर रोक लग गई. इनमें पूर्वी राजस्थान नदी परियोजना के तहत बारां जिले में कूल नदी पर रामगढ़ और पार्वती नदी पर महलपुर बैराज का निर्माण होना है. इन दोनों की राशि 2900 करोड़ है. इनके लिए वर्क आर्डर पूर्वी राजस्थान नहरी परियोजना कॉरपोरेशन ने जारी कर दिए थे, जिन्हें रिसीव कर लिया था और स्वीकृत भी किया जा चुका है, लेकिन यह टेंडर स्वीकृत के लिए राज्य सरकार के पास पेंडिंग है. ऐसे में इन टेंडर का भी अब रिव्यू किया जाएगा.
हाड़ौती का दूसरा सबसे बड़ा डैम होगा महलपुर बैराज : दूसरी तरफ 2250 करोड़ रुपए से पार्वती नदी पर महलपुर बैराज प्रस्तावित है. इसका टेंडर भी स्वीकृति के लिए राज्य सरकार के पास पेंडिंग है. यह बैराज बनने के बाद हाड़ौती का दूसरा सबसे बड़ा क्षमता वाला बैराज होगा. इसकी क्षमता 258 मिलियन क्यूबिक मीटर है. जबकि परवन नदी पर बन रहे अकावद डैम की क्षमता 400 मिलियन क्यूबिक मीटर है. यह भी एक साल में पूरी तरह तैयार हो जाएगा. यह हाड़ौती का सबसे बड़ा डैम होगा. जबकि वर्तमान में सबसे बड़ा डैम कोटा बैराज है, जिसकी क्षमता 112 मिलियन क्यूबिक मीटर है.