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हिन्दू राष्ट्र संविधान में हो, इसकी जरूरत नहीं, सेकुलरिज्म से हम सहमतः वीएचपी

विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय कार्य अध्यक्ष आलोक कुमार ने हिंदू राष्ट्र के सवाल पर कहना है कि हम मानते हैं कि भारत हिंदू राष्ट्र है, संविधान में हिंदू राष्ट्र होने की जरूरत नहीं है. हम संविधान में सेकुलरिज्म से सहमत हैं.

VHP Working president Alok Kumar views on Hindu Rashtra and secularism
हिन्दू राष्ट्र संविधान में हो, इसकी जरूरत नहीं, सेकुलरिज्म से हम सहमतः वीएचपी

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Published : Jun 10, 2023, 8:37 PM IST

हिन्दू राष्ट्र पर क्या बोले वीएचपी के कार्य अध्यक्ष आलोक कुमार

कोटा. विश्व हिंदू परिषद का राजस्थान क्षेत्र का 10 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर कोटा में आयोजित किया गया. शनिवार को इसके समापन कार्यक्रम में विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय कार्य अध्यक्ष आलोक कुमार ने मीडिया से बातचीत में हिंदू राष्ट्र के सवाल पर कहा कि हम मानते हैं कि भारत हिंदू राष्ट्र है. संविधान में हिंदू राष्ट्र होने की जरूरत नहीं है.

उन्होंने कहा कि हिंदू राष्ट्र का मतलब हिंदू राज्य नहीं है. सरकार हिंदुओं की हो या हिंदू धर्म सरकारी धर्म हो, ऐसी मांग हम नहीं कर रहे हैं. हम संविधान में सेकुलरिज्म से सहमत हैं. हिंदू राष्ट्र का मतलब हम सब लोग इस बात से मानते हैं कि भारत की आध्यात्मिक परंपरा एक ही है और उसका सब लोग आदर करें. हम उसको हिंदू राष्ट्र कहते हैं. हम राज्य को हिंदू नहीं बनाना चाहते हैं.

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ऐप व लव जिहाद के नाम हो रहा धर्मांतरणःआलोक कुमार ने कहा कि ऐप के जरिए स्कूल के बच्चों को पुरस्कार का लालच देकर धर्मांतरण का धोखा चल रहा है. हाल ही में कानपुर में एक अन्य मामला आया, जहां पर स्कूल में आवश्यक रूप से कलमा पढ़ाया जा रहा है. विरोध करने पर मारपीट की जाती है. देशभर से लव जिहाद और जिहाद की खबरें आ रही है. नाम परिवर्तन कर हिंदू धर्म की युवतियों से दोस्ती की जा रही है. बाद में उन पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाया जाता है, ऐसा नहीं करने पर अत्याचार होता है. यहां तक की हत्या भी की गई.

उन्होंने कहा कि लालच, भय व धोखे से धर्म परिवर्तन कराया जाता है. इस पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. केंद्र सरकार लव जिहाद और धर्मांतरण को लेकर कानून लेकर आए. देश के 1000 ब्लॉक हमने चयनित किए हैं. जहां पर धर्मांतरण की समस्या काफी विकट हो गई है. ऐसे में वहां पर एक-एक कार्यकर्ता को वहां पर भेजा जाएगा. अगले 3 साल तक वह काम करेगा, इस बात को सुनिश्चित किया जाएगा कि धर्मांतरण और घर वापसी तेज की जाए.

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लिव इन और समलैंगिक विवाह परिवार पद्धति को बना रहे कांट्रेक्चुअलःआलोक कुमार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आया था कि व्यभिचार को धारा 497 आईपीसी को डिक्रिमिनलाइज किया था. इसमें किसी की पत्नी के साथ शारीरिक संबंध अवैध नहीं माना गया था. हम मानते हैं कि यह गलत आदेश था, फिर लिव इन की आजादी दी गई थी. इसके अलावा समलैंगिक विवाह की आजादी भी दी गई है. जिस पर हिंदू, मुस्लिम और ईसाई संगठनों ने आपत्ति जताई है. सुप्रीम कोर्ट को इस आपत्ति का सम्मान करना चाहिए. ऐसा नहीं होता है, तो यह प्रतिगामी कदम होगा. ये तीनों चीजें मिलकर हिंदुओं की परिवार संस्था को नष्ट कर रही हैं. विवाह पवित्र बंधन है, जिसे कांट्रेक्ट में बदल रही है.

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राज्य सरकार को अधिकार नहीं, कोशिश करने पर भी प्रतिसाद होगाः आलोक कुमार ने कहा कि बजरंग दल अपने दम पर जीने वाले युवाओं का संगठन है. उस पर कोई प्रतिबंध नहीं लगा सकता है. राजस्थान, कर्नाटक में ऐसा प्रयत्न भी हुआ, तो हम उसका मुकाबला करेंगे. ऐसे विरोधियों को परास्त किया जाएगा. हालांकि प्रतिबंध करने का अधिकार केवल केंद्र सरकार को है. इसलिए राज्य सीधे रूप से प्रतिबंध नहीं लगा सकते.

लिव-इन में हो रही हत्याओं पर यह कहाः लिव-इन में रहने वाले लड़के-लड़कियों में हत्या कर देने का चलन बढ़ गया है. इस पर उन्होंने कहा कि लिव-इन पूरी तरह से कांट्रेक्चुअल मैरिज की तरह हो गया है. इसमें संस्कार कहीं नहीं है. विशेष समुदाय के युवकों में काफी घृणा भरी जाती है. इनका एक वर्ग तो हत्या और बलात्कार को भी गलत नहीं मानता है. जिहाद की भावना उनके दिमाग में भरी जाती है. यह लॉ एंड ऑर्डर का नहीं, मानसिकता की भी समस्या है. पूरे विश्व को इस समय समाज के इस इंटरप्रिटेशन से बचना चाहिए व सभी को इसका सामना करना है.

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