कोटा. जिले का मुकदरा हिल्स टाइगर रिजर्व 2019 में बसाया गया था. रणथंभोर टाइगर रिजर्व से बाघ और बाघिन लाए गए थे जिनके शावक भी हुए थे, लेकिन 2021 में इनकी मौत हो गई थी. इसके बाद ही सिर्फ एक बाघिन लाइटनिंग एमटी-4 यहां पर बची थी. इसी महीने नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की अनुमति के बाद रणथंभोर से एक टाइगर टी-110 को (two tigers in mukundra) मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व री-लोकेट किया गया है जिसे यहां एमटी-5 नाम दिया गया है.
ऐसे में यहां बाघ और बाघिन का जोड़ा बनने की उम्मीद है. बाघ को 2 दिन पहले ही हार्ड रिलीज कर दिया गया है, लेकिन इस बार मुकुंदरा प्रशासन फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है और बाघों की पूरी तरह से मॉनिटरिंग की जा रही है. दोनों ही बाघों के लिए तीन-तीन टीमें तैनात की गई हैं, जो कि (Monitoring of tigers in Mukundara Hills) 24 घंटे की मॉनिटरिंग कर रही हैं. इसके अलावा रेडियो सिग्नल के जरिए भी बाघों की मॉनिटरिंग हो रही है.
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मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के मुख्य वन संरक्षक और क्षेत्र निदेशक शारदा प्रताप सिंह का कहना है कि टाइगर एमटी- 5 जंगल में सामान्य व्यवहार के साथ स्वच्छंद विचरण कर रहा है. उसकी सुरक्षा और मॉनिटरिंग के लिए एक साथ 3 टीमें यहां पर काम कर रहीं हैं जिसमें 3 टीमें रेडियो सिगनल के जरिए उन्हें लगातार ट्रेस कर रही हैं. यह आठ घंटे की शिफ्ट में काम करती हैं. एमटी-4 और एमटी-5 टाइग्रेस के लिए अलग-अलग ट्रेसिंग टीमें (monitoring for tigers safety in Mukundra) लगी हैं. दूसरी तरफ टाइगर के मूवमेंट के समय मॉर्निंग और इवनिंग तीन प्रोटेक्शन टीमें अलग से मॉनिटरिंग के लिए लगाई गई हैं जिनके पास चार पहिया वाहन भी हैं. रियल टाइम डाटा प्रेषित करते हैं. सभी कार्मिकों को निर्देशित किया है कि टाइगर के एरिया में किसी तरह के कोई कॉनफ्लिक्ट की स्थिति न आए और टाइगर की सुरक्षा व्यवस्था भी फुल प्रूफ होनी चाहिए.
मुकुंदरा रिजर्व में बाघ की निगहबानी एक जगह पर लोकेशन, तब तुरंत पहुंचती है टीम
शारदा प्रताप सिंह का कहना है कि टाइगर के मूवमेंट का रियल टाइम चेक किया जा रहा है. उसे डेली व ऑवरली मॉनिटर किया जा रहा है. टाइगर का मूवमेंट कहीं पर रुका हुआ नजर आता है तो शिकार (किल) होने की संभावना होती है. इस पर हमारी ट्रैकिंग टीम वहां पर पहुंच जाती है. शिकार को तलाशती है. यह सब बिना बाघ को डिस्टर्ब किए होता है. इसकी पूरी जानकारी व डाटा कलेक्ट करते हैं और उसका एविडेंस जीपीएस फोटोग्राफिक एविडेंस लेते हैं. ऐसे में बाघ बड़े जानवर का शिकार कर लेता है, तो उसे एक या दो दिन भोजन के लिए भटकना नहीं पड़ता है. ऐसे में उसी जगह उसकी लोकेशन मिल जाएगी.
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रिपोर्ट का हो सकता है तुलनात्मक अध्ययन
एक्सपर्ट के अनुसार किल रिपोर्ट के जरिए यह भी तय हो जाता है कि उसने किस तरह के हर्बीवोर जानवर का शिकार किया है. टाइगर ने उसे कितना खाया है, अगर शेष बच रहा है, तो उसे टाइगर वापस आकर खा सकता है या फिर छोड़ गया है. इस रिपोर्ट के लगातार आने से यह भी जानकारी मिल जाती है कि टाइगर किस तरह के भोजन को पसंद कर रहा है. बाघ की खुराक क्या है इसके बारे में भी पता चल जाता है. आगे की रिपोर्ट में ये है कि अगर जानवर कम भोजन ले रहा है, तो उसका तुलनात्मक अध्ययन भी किया जा सकता है.
स्केट का मेडिकल चिकित्सकीय परीक्षण भी
सीसीएफ सिंह का कहना है कि टाइगर के शिकार कर भोजन करने के अगले दिन उसका स्केट (मल) जरूर मिलता है. उसके स्केट को कलेक्ट कर जांच करने पर बाघ की हेल्थ के पैरामीटर भी तय हो जाते हैं. ट्रैकिंग टीम टाइगर के स्केट को अगले दिन तलाशती है. उसका फोटोग्राफिक एविडेंस जीपीएस के साथ लेते हैं जिसमें लोकेशन भी मिल जाती है. फिर इस स्केट को कलेक्ट किया जाता है और सीनियर वेटरनरी चिकित्सक तक पहुंचाया जाता है जिससे कि उसकी हेल्थ के कई पैरामीटर व स्टेटस की जांच हो जाती है. जरूरत होने पर इस स्केट की लेबोरेटरी से जांच भी करवाई जाती है.
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डर इसलिए क्योंकि अचानक से 2020 में बदल गया था सिनेरियो
मुकंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व (एमएचटीआर) में साल 2019 में रणथंभौर टाइगर रिजर्व से एक-एक कर दो बाघिन व एक बाघ को लाया गया थी. इसके बाद में रणथंभौर से ही नेचुरल रास्ते से सुल्तानपुर व दीगोद होता हुआ एक बाघ पहुंचा. इनमें एमटी-2 बाघिन ने दो शावकों को जन्म दिया. साथ ही दूसरी बाघिन एमटी-4 के साथ कैमरा ट्रैप में एक शावक नजर आया. जिसके बाद बाघ-बाघिन और शावकों की संख्या बढ़कर 7 हो गई थी. लेकिन मुकंदरा रिजर्व को मानो किसी की नजर लग गई और अचानक साल 2020 अगस्त व सितम्बर में मुकुंदरा का सिनेरियो बदल गया. एक बाघ, बाघिन व शावक की मौत हो गई. जबकि अन्य दो शावक व एक बाघ मिसिंग हो गए. इसीलिए अस बार मुकुंदरा रिजर्व को लेकर अधिकारी सतर्क हैं.
एक्सपर्ट के अनुसार यह भी जरूरी
पैदल ट्रैकिंग और मॉनिटरिंग, बने स्थाई पॉइंट: गाड़ी में बैठे हुए और एंटीना की जगह ट्रैकिंग और मॉनिटरिंग पैदल भी होनी चाहिए. क्योंकि मुकुंदरा हिल्स पहाड़ी इलाका होने से कई जगह सिग्नल नहीं आते हैं. ऐसे पॉइंट बनाने चाहिए, जहां पर प्रॉपर सिग्नल सभी तरफ से आए. जिससे कि टाइगर की मॉनिटरिंग हो सके. अगर 3 दिन से ज्यादा टाइगर नजर नहीं आता है, तो फिर रेड अलर्ट जारी हो जाना चाहिए.
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पर्याप्त हो हर्बीवोर की संख्या:टाइगर 50 से 60 हर्बीवोर का शिकार हर साल करता है जिसमें आठ से 10 हमले में एक शिकार में सफलता मिलती है. ऐसे में जब जंगल में जानवरों की कमी नहीं होनी चाहिए. बाघिन शावकों को जन्म देती है, तो उसे रोज शिकार की जरूरत पड़ती है. सीसीएफ शारदा प्रताप सिंह का कहना है कि हर्बीवोर जानवरों को बढ़ाने के लिए डीसीएफ अनुराग भटनागर को जिम्मेदारी दी है. वह भरतपुर की घना सेंचुरी जाकर वहां से चीतल को कोटा के मुकुंदरा और बूंदी के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के लिए लेकर आएंगे.
प्रॉपर तरीके से स्टाफ को मिले मॉनिटरिंग के गुर
स्टाफ को पैंथर और टाइगर की मॉनिटरिंग के लिए गुर सरिस्का और रणथंभौर स्टाफ से मुकुंदरा के स्टॉफ को ट्रेनिंग दिलानी चाहिए. यह कुछ महीनों के अंतराल में होना चाहिए. इससे उन्हें अनुभव से भी सीखने को काफी कुछ मिलेगा.
पैदल और वाहन के लिए बने रोड नेटवर्कः जंगल में पैदल ट्रैकिंग के लिए मार्ग बनने चाहिए. साथ ही रोड नेटवर्क भी बनना चाहिए, ताकि पैदल नेटवर्किंग में भी दिक्कत नहीं आए. वाहन से मॉनिटरिंग में भी दिक्कत नहीं होनी चाहिए.