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पुरातत्व विभाग की निगरानी में है 900 साल पुराना शिव मंदिर, हो रहा दुर्दशा का शिकार

नक्काशीदार 40 खंभों पर आधारित हांड़ीपाली महादेव मंदिर अपने आप में यूनिक है. ये दोहरी जंगाबन्ध मंदिर है, जिसमें भगवान शिव की अलग-अलग मुद्रा की मूर्तियां लगी हुई हैं. लेकिन यह पुरातत्व विभाग की अनदेखी से दुर्दशा का शिकार हो रहा है. यहां मूर्तियों का क्षरण हो रहा है.

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Published : Jul 24, 2019, 9:47 PM IST

900 साल पुराना ये मंदिर हो रहा दुर्दशा का शिकार

कोटा.जिले के इटावा उपखंड क्षेत्र से 35 किमी की दूरी पर बसे हरिपुरा गांव के पास बाण गंगा नदी किनारे स्थित हांड़ीपाली महादेव मंदिर हिन्दू धर्म में अलग ही पहचान रखता है, लेकिन पुरातत्व विभाग की अनदेखी से दुर्दशा का शिकार हो रहा है. विभाग की अनदेखी से पौराणिक धरोहर की मूर्तियों का क्षरण हो रहा है.

राज्य सरकार ने केवल इसे संरक्षित स्मारक मानकर छोड़ दिया है. इस पर एक भी बार संरक्षण के नाम पर किसी तरह का कोई कार्य नहीं करवाया गया है, जिससे मंदिर को दुर्दशा से बचाया जा सके. पुरात्तव विभाग की अनदेखी के चलते इस मंदिर की कायाकल्प नहीं हो पा रही है. वहीं यह मंदिर पर्यटनस्थल के रूप में भी हाड़ौती में अपनी पहचान बना सकता है, लेकिन इसे पर्यटनस्थल घोषित नही किया गया है. जिससे क्षेत्र के लोग मायूस है.

इस मंदिर को हांडी पालेश्वर के शिव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. यह मन्दिर लक्ष्मीपुरा पंचायत के दो राज्यों की सीमा पर स्थित है. मंदिर में स्थापित पिंड के नीचे से जलधारा निकल रही है, जो कि बाणगंगा नदी में जाकर मिलती है. जिसे पुरातत्व विभाग ने अपने अधीन किया हुआ है.

साथ ही बता दें कि यह 900 साल पुराना मंदिर है, जो कि नक्काशीदार 40 खंभों का बना हुआ है. इसके चारों ओर भगवान शिव की अलग अलग मुद्रा की मूर्तियां लगी हुई है. ये दोहरी जंगाबन्ध मंदिर है. इस दृष्टि से यह मंदिर अपने आप में यूनिक है. अधिकांश जितने मंदिर है. उनमें एक ही जंगाबन्ध होता है, लेकिन इसमें दो जंगाबन्ध है, लेकिन मंदिर अब पूरी तरह दुर्दशा का शिकार होता जा रहा है. मंदिर के दोहोरी जंगा और वेदी पर मूर्तियों का लगातार क्षरण हो रहा है. जिनको तत्काल रासायनिक लैप से बचाया जा सकता है, लेकिन विभाग के पास बजट नहीं होने के कारण कोई काम नहीं हो पा रहा है.

900 साल पुराना ये मंदिर हो रहा दुर्दशा का शिकार

मूर्तियां चोरी हुई, तभी यहां लगाए गए गार्ड
हांडी पालेश्वर मंदिर परिसर से 50 से अधिक मूर्तियां चोरी हो चुकी है, जो कि बेशकीमती थी. इनका आज तक पुलिस पता नहीं लगा पाई है. ऐसे में पुरातत्व विभाग ने भी केवल एक गार्ड लगाकर इतिश्री कर ली है. हालांकि ये मूर्तियां अब चोरी नहीं हो रही है, लेकिन उनका संरक्षण भी नहीं हो पा रहा है.

पांडवों के द्वारा मंदिर निर्माण करवाए जाने की मान्यता
इस मंदिर के पीछे महाभारत काल की कहानियां जुड़ी हुई है. मान्यता के अनुसार बताया जाता है कि द्वापर काल में जब पांडवों ने अज्ञातवास काटा था, तब पांडव यहां भी आये थे और यह क्षेत्र हिंदीबासुर नामक दैत्य का हुआ करता था. उसकी एक बहन थी, जिसका नाम हिडिंबा था. तब हिडिंबा और भीम का प्रेम प्रसंग हुआ. दोनों का यहां विवाह हुआ. तब एक रात में इस मंदिर का निर्माण किया गया था.

बजट नहीं होने से नहीं हो पा रहा संरक्षण
इस संबंध में ईटीवी भारत ने जब पुरातत्व विभाग के कोटा व्रत के अधीक्षक उमराव सिंह का कहना है कि विभाग में मूर्तियां चोरी होने से रोकने के लिए एक गार्ड वहां पर लगा दिया है. इससे मूर्तियां चोरी होने का क्रम ठहर गया है, लेकिन मूर्तियों का क्षरण होना अभी जारी है. इस मंदिर को संरक्षण की दरकार है, लेकिन विभाग के पास बजट नहीं है इस कारण संरक्षण नहीं हो पा रहा है.

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