राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

मुकुंदरा टाइगर रिजर्व एरिया में ESZ की परिधि घटी...क्षेत्र की बंद पड़ी खदानें होंगी शुरू - राजस्थान न्यूज

मुकुंदरा नेशनल टाइगर रिजर्व के इको सेंसिटिव जोन की सीमा तय कर दी गई है. ऐसे में क्षेत्र की 3500 खानों में फिर से काम शुरू हो जाएगा.

eco-sensitive zone in Mukundara Tiger Reserve, कोटा न्यूज
मुकुंदरा टाइगर रिजर्व एरिया की ईएसजेड की सीमा तय

By

Published : Jul 9, 2020, 12:47 PM IST

रामगंजमंडी (कोटा).मुकुंदरा नेशनल टाइगर रिजर्व के एक किमी के इको सेंसिटिव जोन (ESZ) के बाहर खनन की राह साफ हो गई है. नेशनल टाइगर कंजर्वेशन ऑथिरिटी की ईएसजेड समिति ने जोन की सीमा को लेकर चल रहे मामले को बंद करते हुए नोटिफिकेशन जारी करने की सिफारिश कर दी है. इससे करीब 3500 छोटी-बड़ी खदानों में करीब 1 लाख श्रमिकों को रोजगार मुहैया होगा.

मुकुंदरा टाइगर रिजर्व एरिया की ESZ की सीमा तय

कोटा स्टोन एसोसिएशन अध्यक्ष नरेंद्र काला ने बताया कि पहले मुकुंदरा नेशनल टाइगर रिजर्व के ईएसजेड की सीमा तय नहीं होने के कारण 10 किमी क्षेत्र में खनन कार्य बंद कर दिया गया था. इससे कोटा, बूंदी और झालावाड़ के करीब एक लाख से अधिक श्रमिक बेरोजगार हो गए. वहीं दूसरी ओर खनन व्यवसाय से जुड़े सहगामी उद्योग और कार्यों में भी ताले लगने की नौबत आ गई थी. कोटा स्टोन का उत्पादन बंद होने से कोटा में कार्यरत ढाई सौ से अधिक स्पिलिटिंग इकाइयां भी प्रभावित हो रही थीं. स्थानीय विधायक व जनप्रतिनिधियों ने इस मामले में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था.

यह भी पढ़ें.कोटा: पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को लेकर देहात यूथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने किया प्रदर्शन

नरेंद्र काला ने कहा कि ओम बिरला ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री और अन्य अधिकारियों के सामने वस्तुस्थिति रखी. बिरला के प्रयासों से पिछले 10 जनवरी को ईको सेंसीटिव जोन की सीमा 10 किमी से घटाकर एक किमी करने का ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया. इस मामले में राजस्थान सरकार को 2 माह में आपत्तियां प्राप्त कर निस्तारित करने के निर्देश दिए गए थे लेकिन राजस्थान सरकार इस अवधि में यह सुनवाई नहीं कर पाई. ऐसे में एनटीसीए ने 16 मार्च 2020 को आपत्तियों के निस्तारण के लिए दो और महीने का समय दे दिया. वहीं अब क्षेत्र लाखों लोग पुनः रोजगार से जुड़ सकेंगे.

यह भी पढ़ें.कोटा: निजी बिजली कंपनी के कार्मिकों से मारपीट के मामले में मामला दर्ज

इस मामले में नरेंद्र काला का कहना है कि ओम बिरला ने पूरे मामले पर संवदेनशीलता के साथ नजर बनाए रखी. वे समय-समय पर संबंधित मंत्रालय के मंत्री और अधिकारियों से मामले को लेकर फीडबैक लेते रहे और विषय के शीघ्र निस्तारण के प्रयास करते रहे. बिरला की इन्हीं कोशिशों से न सिर्फ कोटा स्टोन उद्योग, बल्कि इससे जुड़े हजारों व्यापारियों और लाखों श्रमिकों पर छाए खतरे के बादल जल्द छंट जाएंगे.

ABOUT THE AUTHOR

...view details