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स्पेशल रिपोर्ट : कोटा नगर निगम की अनदेखी, खत्म हो गई मशहूर पशु मेले की रौनक

कोटा दशहरे मेले को नगर निगम स्मार्ट बनाने में जुटा हुआ है, लेकिन इसी का एक अंग और किसी जमाने में मशहूर रहे पशु मेले की रौनक अब खत्म हो गई है. निगम ने ही लापरवाही के चलते उसे पूरी तरह उजाड़ दिया है. पहले जहां पशु चिकित्सक से लेकर पानी, टैंट, रसीदें, बिजली और पशुओं को चारा डालने के लिए खेळियां तक बनाई जाती थी, अब स्थिति है कि पशुओं के साथ-साथ व्यापारी भी पीने के पानी के लिए परेशान हो रहा है.

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Published : Oct 12, 2019, 2:59 PM IST

कोटा. नगर निगम ने लापरवाही कर पशु मेले को पूरी तरह उजाड़ दिया है. पहले जहां पशु चिकित्सक से लेकर पानी, टेंट, रसीदें, बिजली व पशुओं को चारा डालने के लिए खेलियां तक भी बनाई जाती थी, अब स्थिति है कि पशुओं के साथ-साथ व्यापारी भी प्यासा मर रहा है. पीने के पानी की व्यवस्था भी मेले में नहीं है.

कोटा के मशहूर पशु मेले की रौनक अब खत्म

बकरा मंडी में किया शिफ्ट, कोई व्यवस्था नहीं

वर्तमान में नगर निगम में बकरा मंडी में पशु मेले लगता है, लेकिन यहां पर भी किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं है. एक टेंट लगाकर नगर निगम इसे चला रहा है. पानी की व्यवस्था भी मेला स्थल पर नहीं हो पाई है. हालात ऐसे हैं कि पशु मेले का बोर्ड भी टेढ़ा पड़ा हुआ है, जो खुद पशु मेले की दुर्दशा को बयां कर रहा है. जिस जगह पशु मेला स्थल बनाया गया है, पूरी तरह से उबड़-खाबड़ है. ऐसे में वहां पर पशुओं के बैठने की व्यवस्था ठीक नहीं होने के कारण एक भी पशु व्यापारी वहां पर नहीं गया है. वह सब पुराने पशु मेला स्थल पर ही जमे हुए हैं.

टेंट लगाकर बैठने को मजबूर व्यापारी

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पुराने पशु मेला स्थल पर ही अपने पशुओं को लेकर आए व्यापारियों का कहना है कि रोज नगर निगम के अतिक्रमण निरोधक दस्ते के लोग आते हैं और उन्हें धमकाने और मारपीट तक की बात कहते हैं. वह पशुओं को जप्त कर गौशाला में ले जाने की बात भी कह रहे हैं, जबकि बकरा मंडी में जहां पर पशु मेला स्थल बनाया है. वहां किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं है

मेला मैदान में जमीन भी उबड़-खाबड़ हो चुकी है

मेले की खत्म हो रही रौनक

  • पीने के पानी की व्यवस्था भी मेले में नहीं है. जानवरों को खिलाने के लिए बांटा, चूरा और भूसा भी नहीं मिल रहा है.
  • पुराने मेले जैसा तो नामोनिशान भी नहीं बचा है.
  • मेले में व्यापारी नहीं आने के चलते खरीददार भी नहीं आ रहे हैं. पिछले 35 सालों से मेले में आ रहे व्यापारियों का कहना है कि
  • अब पशु मेला पूरी तरह से बिगड़ गया है.
  • पहले जैसी व्यवस्थाएं भी नगर निगम नहीं कर रहा है.
  • पहले करीब 1 हजार व्यापारी पशु मेले में पूरे देशभर से आते थे और अच्छी खासी तादात में पशुओं की खरीद-फरोख्त यहां पर होती थी.
  • अब अव्यवस्थाओं के चलते ही केवल 200 व्यापारी इस साल मेले में आए हैं, जो भी गिने-चुने पशुओं को लेकर पहुंचे.
  • पहले उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, मारवाड़, शेखावाटी, अजमेर, केकड़ी, टोंक, जयपुर और मालपुरा सहित कई एरिया से व्यापारी यहां पर आते थे.

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मेला समिति अध्यक्ष राममोहन मित्रा "बाबला" स्वीकार करते हैं कि निगम की तरफ से पशु मेले में आने वाले व्यापारियों और खरीददारों के लिए व्यवस्था पूरी नहीं है. अभी बकरा मंडी को जहां पशु मेला स्थल बनाया गया है. वहां पर पशुपालकों को शिफ्ट किया जाएगा. निगम की लापरवाही के चलते कोटा का यह पशु मेला समाप्ती की कगार पर है. अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस पर क्या कदम उठाता है.

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