कोटा. जिले के ग्रामीण इलाके सुल्तानपुर से लगते हुए उकलदा गांव में मुक्तिधाम की अव्यवस्थाओं का खामियाजा अंतिम संस्कार के समय उठाना पड़ रहा है. ऐसा ही एक मामला सोमवार को देखने को मिला. जब गांव के ही 70 वर्षीय बुजुर्ग नंदकिशोर मेघवाल का निधन हो गया. उनके परिजन उबड़-खाबड़ रास्ते से शव यात्रा को जैसे तैसे अंतिम संस्कार के लिए मुक्तिधाम लेकर गए. वहां पर टीन शेड नहीं था. बारिश के चलते अंतिम संस्कार नहीं हो पाया. ऐसे में टीन शेड को हाथों में पकड़कर आड़ करनी पड़ी और अंतिम संस्कार किया गया.
मृतक के भतीजे लखन का कहना है कि भारी बारिश के बीच में अर्थी को साइड में रख कर पहले अंतिम संस्कार के लिए जुगाड़ की छत बनाने की कोशिश की गई. हालांकि श्मशान स्थल पर टीन शेड बिखरे पड़े थे. जिन्हें जैसे-तैसे शव यात्रा में शामिल लोगों ने एकत्रित किया और पकड़ कर खड़े हो गए. यह भी कम पड़ गए थे. ऐसे में अर्थी के साथ में जो गद्दे बिछाकर लेकर गए थे, उन्हें भी आड़ के रूप में इस्तेमाल करना पड़ा.
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बारिश के चलते लकड़िया भी गीली हो गई थीं व चिता भी नहीं सुलग रही थी. ऐसे में 20 लीटर डीजल मंगवाया गया. यह ज्वलनशील पदार्थ बड़ी मात्रा में इसमें डाला गया, तब जाकर अंतिम संस्कार हो पाया. इसमें घंटों लग गए. इस अव्यवस्था के चलते ही शवों की दुर्गति हो रही है. इस पूरे मामले पर भारतीय जनता पार्टी की जिला परिषद सदस्य राजनीता मेघवाल का कहना है कि उकलदा नंदकिशोर उनके रिश्तेदार हैं. गांव से शमशान जाने का रास्ता भी नहीं है. भारी कीचड़ के बीच में शव यात्रा को लेकर जाना मजबूरी बना हुआ है.