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स्पेशल रिपोर्ट: दूषित होती जा रही सांगोद की 'गंगा', नदी की कोख में मिल रहा नालों का दूषित पानी - उजाड़ेश्वरी

दूषित होती जा रही सांगोद की 'गंगा' दूषित होती जा रही है. या यूं कहे कि सांगोद सहित आसपास के क्षेत्र की लाइफ लाइन उजाड़ नदी का स्वरूप बिगड़ा चुका है. उजाड़ नदी की कोख में नालों का गंदा पानी मिल रहा है. जिससे वो मैली हो रही है. देखिए कोटा जिले के सांगोद से स्पेशल रिपोर्ट..

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स्पेशल रिपोर्ट: दूषित होती जा रही सांगोद की गंगा

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Published : Dec 5, 2019, 9:23 PM IST

सांगोद (कोटा). कोटा जिले के सांगोद समेत कई बड़े कस्बों और गांवों को अपने आंचल में समेट लोगों को पुण्य अर्जन कराती उजाड़ नदी नालों के दूषित पानी से मैली होती जा रही है. लेकिन जिस नदी को लोग मां अन्नपूर्णेश्वरी के नाम से पूजते है. उसी नदी को पावन करने की दिशा में यहां कोई प्रयास नहीं हो रहे. बीते सालों में नदी को प्रदूषित होने से बचाने के लिए बातें तो खूब हुई, लेकिन मैली होती जा रही उजाड़ को पावन करने की दिशा में किसी स्तर से कोई ठोस प्रयास नहीं हुए.

स्पेशल रिपोर्ट: दूषित होती जा रही सांगोद की गंगा

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सांगोद में उजाड़ नदी का बुरा हाल
झालावाड़ जिले में स्थित भीमसागर बांध से निकल रही उजाड़ नदी खानपुर और सांगोद तहसील के कई गांव एवं कस्बों में होकर निकल रही है. सालभर बहती उजाड़ नदी इन दिनों गंदी और बदबूदार हो रही है. खासकर सांगोद कस्बे में नदी का बुरा हाल है. यहां दर्जनों छोटे-बड़े नालों के जरिए कस्बे की सारी गंदगी नदी के पानी में मिल रही है. दो साल पहले उजाड़ नदी को हाड़ौती क्षेत्र में सबसे दूषित नदियों की सूची में भी शामिल किया गया. दूषित नदी का तमगा मिलने के बाद लोगों को इसके पुनरूद्धार की उम्मीद बंधी जो सिरे नहीं चढ़ी.

नदी के तटों पर गंदगी का अंबार
नदी में जलप्रवाह के दौरान तो यह गंदगी बहकर आगे निकल जाती है, लेकिन नदी में पानी का वेग थमने के बाद सारी गंदगी नदी के तटों पर जमा हो जाती है. जिससे नदी का पानी पीने लायक तो दूर नहाने धोने के लायक भी नहीं रहता. जो बीमारियों को भी आमंत्रण देता है. बावजूद इसके लोग नदी के पानी का उपयोग नहाने में करते है. कुछ सालों पूर्व नदी के पानी के दूषित होने से यहां पीलिया रोग महामारी के रूप में भी फैल चुका है. बावजूद इसके समस्या जस की तस है.

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उजाड़ नदी का सांगोद में धार्मिक महत्व
मां अन्नपूर्णा और उजाड़ेश्वरी जैसे नामों से पूजी जाने वाली उजाड़ नदी का सांगोद में धार्मिक महत्व भी है. शादी ब्याह की रस्में हो या मंदिरों में देव प्रतिमाओं का स्नान या फिर अन्य धार्मिक कार्य बिना नदी के पानी के नहीं होते. डोल यात्रा एकादशी पर नगर के सभी मंदिरों के देव विमानों को यहां लाकर पूजा अर्चना की जाती है. मोहर्रम पर ताजियों को भी नदी के पानी में ठण्डा किया जाता है. ऐसे में प्रदूषित हो रही उजाड़ नदी से लोगों की धार्मिक भावनाएं भी आहत होती है.

नए पालिका बोर्ड से नदी को प्रदूषण मुक्त करने की उम्मीद
दो साल पूर्व नगर पालिका बोर्ड ने इस दिशा में पहल शुरू किया था. बगीची घाट के पास बड़े नाले पर फिल्टर बनाया. कुछ माह तक समस्या से कुछ हद तक निजात भी मिली, लेकिन बाद में बजट की कमी से योजना सिरे नहीं चढ़ पाई. हाल ही में पालिका में नया बोर्ड बना है. कई पार्षदों ने भी अपनी प्राथमिकताओं में नदी को प्रदूषित होने से बचाने के लिए प्रयास करने का लोगों को भरोसा दिलाया है. ऐसे में लोगों को भी पालिका बोर्ड से नदी को प्रदूषण मुक्त करने की उम्मीद है.

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बोर्ड की पहली मीटिंग रखेंगे प्रस्ताव
कार्यवाह कनिष्ठ अभियंता विजय गालव के मुताबिक पालिका में जो नवीनतम बोर्ड अभी बना है. उसकी पहली मीटिंग में ही हम इस बारे में प्रस्ताव रखेंगे. नालो की जो एक समस्या है. इनमें गंदे नालों से अधिकतर सीवर वाला पानी भी आता है तो इसके लिए हमें सीवर ट्रीटमेंट प्लांट बनाना पड़ेगा. छोटे से छोटे ट्रीटमेंट प्लांट भी लगभग एक करोड़ रुपए की लागत का पड़ता है. ऐसे में इस समस्या को पालिका की बोर्ड मीटिंग में रखा जाएगा. अगर बोर्ड इसको पास कर देता है तो कोटा की तर्ज पर यहां एक नया सीवर ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जाएगा. नगर के सभी नालों का गंदा पानी जो कि उजाड़ नदी में आ रहा है. उसको एक जगह एकत्रित कर साफ करके नदी में छोड़ा जाएगा.

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