खरपतवार नाशक रखने से हुई फसल चौपट कोटा.कोटा संभाग में खरपतवार नाशक से फसलों के नष्ट होने का मामला सामने आया है. किसान नेताओं के मुताबिक अब तक करीब 5000 बीघा में सोयाबीन और उड़द की फसल चौपट हो गई है. यह खरपतवार नाशक या तो नकली था या फिर ज्यादा ही जहरीला था. जिसके चलते किसानों की फसल चौपट हो गई है. इन सभी किसानों के लिए मुआवजे की मांग भी शुरू हो गई है, दूसरी तरफ कृषि विभाग ने भी इसकी जांच शुरू कर दी है. किसान संगठनों का कहना है कि इस तरह से अगर बाजार से खरीदी गई दवा फसलों को नुकसान पहुंचाती है तो किसान बर्बाद हो जाएगा. इसमें कृषि विभाग की मॉनिटरिंग को भी किसान दोषी ठहरा रहे हैं.
अखिल भारतीय किसान सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष दुलीचंद बोरदा का कहना है कि दो दवाई में दिक्कत आई है. इनका रासायनिक नाम क्वानजला फॉप है. इनमें इमिजा और जोलो सुपर दो दवाइयों से नुकसान हुआ है. दोनों ही कंपनियों की बिक्री और मार्केटिंग स्मिथ एन्ड स्मिथ नाम की कंपनी कर रही थी. बोरदा का कहना है कि खरपतवार इससे नष्ट नहीं हुई, जबकि फसल पूरी तरह से खराब हो गई है. ऐसे में यह क्या बिना टेस्टिंग के आ गई है. दूसरी तरफ अधिकांश दुकानदार इसे बिना बिल के केवल चालान पर ही बेचते हैं. ऐसे में किसानों के पास केवल चालान ही था. जिसका नुकसान अब उन्हें हो रहा है. इसमें कृषि अधिकारियों की भी मिलीभगत है.
500 किसानों के 5000 बीघा में नुकसान :कोटा, बूंदी और झालावाड़ जिले से फसलों के खराब होने की सूचना आई है. जिनमें करीब 500 किसानों की 5000 बीघा की फसलों को नुकसान हुआ है. इनमें बूंदी जिले के नैनवा इलाके में उड़द और सोयाबीन इसके अलावा कोटा जिले में कैथून के आसपास गलाना, भगवानपुरा, अरलिया, मवासा, चारण खेड़ी, सुल्तानपुर इलाके के मदनपुरा और सांगोद के कुछ इलाके में इस तरह की खराबी की शिकायत आई है. इसी तरह से झालावाड़ जिले के सुनेल इलाके में भी गड़बड़ी हुई है.
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कैथून थाने में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज :किसान सर्वोदय मंडल के जिलाध्यक्ष अब्दुल हमीद गौड़ ने बताया कि किसानों की शिकायत के बाद कैथून थाने में कंपनी और दवा बेचने वाले विक्रेता के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया है. यह धोखाधड़ी और अन्य धाराओं में दर्ज हुआ है. इसमें परिवादी भी भगवानपुरा गांव के किसान हैं. किसानों को हजारों रुपए का नुकसान हो गया है.
बिक्री रुकवा कर नमूने लिए, जांच टीम भी गठित : कृषि विभाग के अतिरिक्त निदेशक पीके गुप्ता का कहना है कि उन्होंने इस संबंध में 4 सदस्य टीम गठित कर दी है. जिसमें कोटा यूनिवर्सिटी कृषि अनुसंधान केंद्र, विज्ञान केंद्र कृषि, अतिरिक्त निदेशक कार्यालय और संबंधित जिले के अधिकारी शामिल हैं. यह किसानों के खेतों में जाकर जांच करेंगे. जिन खरपतवार नाशक के संबंध में शिकायत आ रही है, उनकी बिक्री बंद करवा दी गई है. साथ ही सैंपल भी ले लिए गए हैं. जिन्हें लैब टेस्ट के लिए भेजा गया है और रिपोर्ट जल्द देने की अपील की है. ताकि संबंधित कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके. इन कंपनियों को नोटिस भी जारी किए गए हैं ताकि उनका भी पक्ष लिया जाएगा.
फसल बर्बाद, हजारों रुपए का हुआ नुकसान :सुल्तानपुर इलाके के मदनपुरा निवासी जगदीश गुर्जर का कहना है कि उन्होंने 15 बीघा में सोयाबीन की फसल की थी. इसकी बुवाई और बिजाई में ही 40 हजार के आसपास खर्चा हो गया है. जगदीश गुर्जर का कहना है कि उनके गांव के आसपास करीब 100 बीघा जमीन में सोयाबीन की फसल नष्ट हुई है. ऐसे में किसानों को अब ना तो फसल का फायदा मिलेगा. साथ ही जो उन्होंने रकम लगाई है, उसका भी नुकसान हो गया है.
सादा कागज पर ही बेच रहे हैं खरपतवार नाशक :कैथून इलाके के भगवानपुरा गांव निवासी राजेंद्र मेघवाल ने 10 बीघा एरिया में सोयाबीन की फसल लगाई थी. फसल की बुवाई के बाद खरपतवार नष्ट करने के लिए जोलो सुपर नाम की दवाई लेकर आए थे. इसको छिड़कने के बाद ही सोयाबीन की फसल नष्ट हो गई. राजेंद्र मेघवाल का कहना है कि उनकी ही नहीं बल्कि कैथून से दवा लेकर आधा दर्जन गांवों में इस तरह की समस्या सामने आई है. हम लोगों को मुआवजा मिलना चाहिए, कानूनी कार्रवाई भी हमें खरपतवार नाशक बेचने वालों पर हो. वह केवल सादा कागज पर ही इन्हें बेच रहे हैं.
किसान कर रहे हैं यह मांग :
- पूरी फसल खराब हो गई है इसका पूरा मुआवजा मिलना चाहिए. किसानों को मानसिक रूप से भी आघात पहुंचा है।
- दूसरी फसल नहीं कर सकते हैं और किसान ऐसा कर सकते हैं। उन्हें निशुल्क बीज और खाद उपलब्ध कराना चाहिए।
- दुकानदार केवल चालान पर ही माल बेच रहे हैं. इसके चलते कई किसान शिकायत नहीं कर पा रहे इसका भी समाधान होना चाहिए.
- किसानों को घटिया और नकली पेस्टिसाइड बेचने का आरोप लगा है, ऐसे में लाइसेंस निरस्त करने की मांग की है.
- कई किसान बिना लाइसेंस के बेच रहे हैं यह धोखाधड़ी कर रहे हैं, समय इनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए.
- कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग.