हाड़ौती में लक्ष्य की 10 फीसदी बुवाई कम कोटा.रबी सीजन में कोटा संभाग में लक्ष्य की 10 फीसदी से कम बुवाई हुई है. यह बीते साल हुई बुवाई से भी 2.6 फीसदी कम है. हाड़ौती संभाग के चारों जिलों कोटा, बारां, बूंदी व झालावाड़ में कृषि विभाग को 13 लाख 10 हजार हेक्टेयर का लक्ष्य मिला था. इसमें 11 लाख 78 हजार 02 हेक्टेयर में ही बुवाई हुई है. संभाग में बीते साल 12 लाख 9522 हेक्टेयर में बुवाई हुई थी.
कृषि विभाग के एडिशनल डायरेक्टर खेमराज शर्मा का कहना है कि बीते साल से 31520 हेक्टेयर एरिया में कम बुवाई हुई है, जबकि लक्ष्य से एक लाख 31 हजार 998 हेक्टेयर कम बुवाई हुई है. इस कारण इस साल गेहूं, सरसों और धनिया का उत्पादन भी बीते साल से कम होगा. बीते साल जहां गेहूं 5,19,869 हेक्टेयर में बोया गया था. इस बार यह रकबा गिरकर 4,33,105 हेक्टेयर हो गया है. ऐसे में बीते साल से 86,764 हेक्टेयर में कम गेहूं का उत्पादन होगा. इसका असर गेहूं के दाम में भी देखने को मिल सकता है.
इसी तरह से सरसों का एरिया भी 18,380 हेक्टेयर में कम हुआ है. बीते साल जहां पर 3,74,786 हेक्टेयर में सरसों का उत्पादन हुआ था. इस बार 3,56,406 हेक्टेयर में सरसों को बोया गया है. उन्होंने बताया कि संभाग में धनिया की उपज में भी गिरावट देखने को मिलेगी. इसका क्षेत्र बीते साल से लगभग आधे जितना ही है. इस बार 42,232 हेक्टेयर में कम धनिया की बुवाई हुई है. साल 2022 में 87,536 हेक्टेयर में धनिया बोया गया था, जबकि इस बार 45,304 हेक्टेयर में बुवाई हुई है.
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लहसुन और चने की बढ़ेगी उपज :खेमराज शर्मा के अनुसार हाड़ौती में लहसुन और चने की उपज में बढ़ोतरी होगी. शर्मा का कहना है कि बीते साल जहां एक लाख 41 हजार 488 हेक्टेयर में चना बोया गया था, इस बार उसका लक्ष्य एक लाख 62 हजार हेक्टेयर था, लेकिन उससे भी ज्यादा बुवाई एक लाख 83,578 हेक्टेयर में हुई है. करीब 42,090 हेक्टेयर ज्यादा एरिया में चना बोया गया है. इसी तरह से लहसुन में भी बीते साल जहां 51,448 हेक्टेयर में उत्पादन किया गया था, लेकिन इस बार यह 39,413 हेक्टेयर बढ़ गया है और 90,861 हेक्टेयर में इसकी बुवाई हुई है.
तापमान ज्यादा रहने से कम हुआ रकबा : खेमराज शर्मा का कहना है कि सरसों की अधिकांश बुवाई सितंबर-अक्टूबर के महीने में होती है, लेकिन इस बार तापमान काफी ज्यादा था. इस कारण से किसानों ने सरसों की बुवाई में रूचि नहीं दिखाई. शुरुआत में किसानों ने सरसों की बुवाई की थी, जैसे ही जर्मिनेशन हुआ था, उनकी सरसों की फसल उड़ गई. सितंबर व अक्टूबर में ही गेहूं की अधिकांश बुवाई होती है और उस समय भी तापमान ज्यादा होने और पानी की चिंता के चलते ही इस बार कम रकबा रहा है.
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खेमराज शर्मा का कहना है कि बीते साल धनिया के दाम तो ठीक रहे, लेकिन रोगों का खतरा ज्यादा रहता है. इसलिए किसानों ने धनिया की उपज से भी इस बार मुंह मोड़ा है. वहीं, लहसुन के दाम मंडी में काफी ज्यादा रहे हैं. इसीलिए लहसुन के रकबे में बढ़ोतरी नजर आई है. साथ ही, उनका कहना है कि चने का रकबा भी इसलिए बढ़ा है, क्योंकि यह मावठ की एक बारिश में भी अच्छी पैदावार देता है. इसीलिए किसानों ने इस बार पानी की चिंता होने के चलते ही कम उत्पादन किया है.