केशवरायपाटन (बूंदी).जिले के केशवरायपाटन उपखंड मुख्यालय से महज 20 किलोमीटर दूर बलकासा ग्राम पंचायत मुख्यालय पर स्थित मां कालिका माता का अतिप्राचीन शक्तिपीठ स्थित है. जानकारों के मुताबिक इस शक्तिपीठ की स्थापना हजारों साल पहले द्वापर युग मे अज्ञात वास के दौरान आये पांडवों ने की थी. मान्यता है कि हर साल यह मंदिर जौ के आकार के बराबर धरती में समाहित हो जाता है.
बताया जाता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने कोलकाता में मां कालिका की भक्ति कर साथ चलने की प्रार्थना की थी. पांडवों की भक्ति से खुश होकर मां कालिका उनके सामने शर्त रख साथ चल पड़ी. उस समय माता ने यह शर्त रखी कि जहां तक चलोगे में साथ हूं, लेकिन जहां विश्राम होगा वहां से आगे नहीं जाउंगी. ऐसे में पांडव कोलकाता से बलकासा तक का सफर कर आये और यहां आने के साथ उन्होंने विश्राम ले लिया. फिर क्या था शर्त के अनुसार कालिका माता ने भी यही आसरा ले लिया. उस समय पांडवों ने पांच पत्थरों से माता का मंदिर स्थापित किया था. तब से ही यह स्थान पांडवों द्वारा स्थापित प्राचीन शक्तिपीठों में शुमार हो गया.
जौ की पिसाई से शुरू हुआ मंदिर के जमींदोज होने का सिलसिला
जानकारी में यह भी आया है कि पांडवों द्वारा मंदिर स्थापित करते करते सुबह के 4 बज गए. इतने में गांव से घट्टी में जौ पिसने की आवाजें आने लगी. मां ने पांडवों से कहा कि यह मंदिर सालभर में जौ के आकार से धरती में समाहित होगा, जो आज भी कायम है.
वर्षों पूर्व धाकड़ समाज करता था मां की सेवा