राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

Special : जनधन में भी नहीं खुल पाए थे कैदियों के खाते, बैंक भी नहीं थे तैयार...अभियान छेड़ कर इस संस्था ने करवाया काम - ETV Bharat Rajasthan News

कोटा सेंट्रल जेल के बंदी के भी बैंक खाते खोले जा रहे हैं. रोटरी कोटा सेंट्रल क्लब ने आगे आकर इसे अभियान की तरह सफल बनाया. अब तक करीब 160 बंदियों के बैंक अकाउंट खोले जा चुके हैं और यह प्रक्रिया अब भी जारी है.

Campaign to Open Bank Account of Prisoners
कैदियों का बैंक खाता खोलने का अभियान

By

Published : Aug 5, 2023, 10:06 PM IST

कोटा सेंट्रल जेल में बैंक खाता

कोटा.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जन धन योजना के जरिए लोगों के बैंक खाते खुलवाए थे, लेकिन कई जेल में बंद कैदियों के खाते नहीं खुल पाए थे. जेल प्रशासन और कारागार विभाग ने भी काफी मशक्कत की, लेकिन बैंक उनके अकाउंट खोलने के लिए तैयार नहीं थे. इस पूरे मसले को लेकर रोटरी कोटा सेंट्रल क्लब आगे आया और इन बंदियों के बैंक खाते खोले गए. अब तक करीब 160 बंदियों के बैंक खाते खुल गए हैं, जबकि कुछ बंदियों के लिए प्रक्रिया अभी भी चल रही है.

इन कारणों से इनकार कर रहे थे बैंक :रोटरी क्लब सेंट्रल की प्रेसिडेंट सुनीता काबरा का कहना है कि अधिकांश बैंक इन बंदियों के खाता खोलने से इनकार कर रहा था. उनके अनुसार अगर सामान्य व्यक्ति को पता चलता है कि बैंक में कैदियों के खाते हैं तो वे अपने अकाउंट बंद कर सकते हैं. साथ ही बंदियों के लिए बैंक कार्मिकों को पूरा सिस्टम लेकर जेल में जाना पड़ता. इसके अलावा सभी खाते जीरो बैलेंस में भी खुलने थे, इसलिए बैंकों का भी इनमें कोई इंटरेस्ट नहीं था. इससे बैंकों को कोई ज्यादा फायदा नहीं होने वाला था. वहीं, बंदियों के पास डॉक्यूमेंट तो थे, लेकिन मोबाइल नंबर नहीं था, जिसके ओटीपी के जरिए ही बैंक खाता खोला जाता है.

रोटरी कोटा सेंट्रल क्लब की मुहिम हुई कामयाब

पढ़ें. Farming in Central Jail: यहां बंदी उगा रहे फल-सब्जियां, गुलदाउदी-गेंदा की पौध जेल में बिखेर रही छटा

200 कैदियों का 20 लाख से ज्यादा बकाया :जेल सुपरिटेंडेंट पीएस सिद्धू का कहना है कि कोटा सेंट्रल जेल में करीब 200 कैदी ऐसे हैं, जो लंबे समय से सजा काट रहे हैं. जेल में काम करने पर उन्हें आय मिलती है, यह मेहनताना बैंक इकाउंट नहीं होने के कारण उनको नहीं मिल पा रहा था. करीब 200 बंदियों का 20 लाख से ज्यादा रुपए हमारे पास जमा हैं. कई बंदी तो ऐसे हैं, जिनका भुगतान 30 से 40 हजार रुपए के बीच भी है. जब सभी कैदियों के खाते खुल जाएंगे, तो यह राशि उनके खातों में ऑनलाइन ट्रांसफर कर दी जाएगी.

जन धन योजना से जुड़े बंदी

बंदियों के परिजन तक सीधा पहुंचेगा पैसा :सुनीता काबरा का कहना है कि जब वे आई कैंप की बात करने जेल सुपरिटेंडेंट पीएस सिद्धू के पास गई थीं, तब उन्होंने कहा कि बंदियों के लिए चिकित्सा और अन्य कई तरह की व्यवस्थाएं कई लोग कर रहे हैं, लेकिन यह बंदी बैंक खाता नहीं होने के कारण बड़ी समस्या से जूझ रहे हैं. उन्होंने आग्रह किया कि वे बैंकों से बात कर इन बंदियों के बैंक खाते खुलवाने का प्रयास करें. जेल अधीक्षक सिद्धू का कहना है कि यह पैसा अगर बंदियों के खाते में चला जाएगा, तो उनके परिवार के काम आएगा. बंदी अपने अपराध की सजा काट रहे हैं, लेकिन यहां काम कर जो पैसे उन्हें मिल रहे हैं उससे उनके परिवार का गुजर बसर हो सकता है.

पढ़ें. Special : यहां जेल में बंदी बनाएंगे LED बल्ब और लाइट्स, करेंगे गार्डनिंग

अभियान की तरह लेकर किया काम :कोटा रोटरी सेंट्रल की प्रेसिडेंट काबरा का कहना है कि जेल अधीक्षक के आग्रह के बाद वे इस अभियान में जुट गईं और लगातार बैंकों के चक्कर काटने लगीं. कई बैंकों के मना करने के बाद एक बैंक तैयार हुआ, जिसने भी अपना नाम सार्वजनिक करने से इनकार किया है. इस बैंक में कैदियों के खाते खोल दिए हैं. अभी भी यह क्रम जारी है. करीब 160 बैंक खाते खुल चुके हैं, जिन्हें आने वाले कुछ दिनों में बैंक पासबुक भी मिल जाएगी. वर्तमान में बैंक में बीते 4 दिनों से इन कैदियों के खाता खोलने की प्रक्रिया चल रही है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details