कोटा. हाड़ौती के कोटा, बारां, बूंदी व झालावाड़ में करीब 40 कॉलेज हैं (Higher Education In Rajasthan). इनमें 33 कॉलेज पुराने और 5 नए हैं. हाल ही में घोषित दो एग्रीकल्चर कॉलेज भी इन्हीं में जुड़े हुए हैं. इनमे से करीब एक दर्जन कॉलेजों में इक्की- दुक्की फैकल्टी ही मौजूद है. इन कॉलेजों की स्थिति पर ही ईटीवी भारत ने पूरी पड़ताल की है. जिसमें सामने आया कि जिस कॉलेज में एक ही फैकल्टी मेंबर मौजूद है, वहां वो बीमार या छुट्टी पर हो, तब कॉलेज का ताला भी नहीं खुलता है. इन कॉलेजों में नए सत्र में दोबारा से एडमिशन हो रहे हैं, बच्चे तो प्रवेश ले रहे हैं लेकिन मुख्य जरूरत स्टाफ की है, सरकार उन्हें ही नहीं लगा रही है.
प्रिंसिपल से चपरासी सब एक!: बारां जिले के केलवाड़ा में सरकार ने 2008 में कॉलेज खोल दिया था (faculty Problem In Rajasthan Colleges). इसके बाद साल 2018 तक यहां 5 फैकल्टी थी, लेकिन इसके बाद यहां से लगातार ट्रांसफर होते रहे. वर्तमान में एक ही फैकल्टी मांगीलाल महावर के रूप में मौजूद थे, स्कूल में इनके अलावा कोई और स्टाफ मौजूद नहीं है. ऐसे में चपरासी से लेकर प्रिंसिपल तक का काम इन्हीं के जिम्मे है. कॉलेज में 900 बच्चे पढ़ रहे हैं, लेकिन क्लासेज नहीं लगती है. महावर का कहना है कि मुझे छुट्टी जाना हो या फिर बीमार हो जाऊं, तब कॉलेज संचालन में दिक्कत आ जाती है.
2800 बच्चों के इम्तिहान इन्हीं के कांधों पर: बारां जिले के केलवाड़ा का कॉलेज पुराना है. यहां पर कोटा विश्वविद्यालय ने एग्जाम सेंटर भी संचालित कर दिया, लेकिन एकमात्र फैकल्टी मांगीलाल महावर पर 2800 बच्चों की इस परीक्षा को करवाने की जिम्मेदारी आ गई. तीन शिफ्ट में होने वाले एग्जाम तो वही संचालित करवा रहे थे. जिसमें सुबह 9:00 से 10:30, दोपहर 12:00 से 1:30 और 3:00 से 4:30 तक परीक्षा होती है. हालांकि इनमें इनविजीलेटर बाहर से उन्होंने बुलाते है. महावर का कहना है कि 30 जून के पहले उनकी इतनी तबीयत बिगड़ गई और ऐसे में उन्हें अस्पताल जाना था, लेकिन परीक्षा होने के चलते वे नहीं जा पाए (Pathetic Condition Of Rajasthan Higher Education). इस संबंध में उन्होंने आगे पत्र भी भेजा है. इसके बाद 30 जून को ही डेपुटेशन पर दो फैकल्टी को परीक्षा करवाने के लिए लगाया है. ये परीक्षा के बाद वापस चले जाएंगे.
यहां एक असिस्टेंट प्रोफेसर के हवाले सब:मांगरोल में भी 2016 में राज्य सरकार ने कॉलेज खोल दिया, लेकिन हालात वहां के भी ठीक नहीं है. कॉलेज में 20 जनों का स्टाफ से स्वीकृत है. जिनमें प्रिंसिपल, 7 असिस्टेंट प्रोफेसर के अलावा नॉन टीचिंग स्टाफ है. हालात ऐसे कि वहां पर एकमात्र असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रिचा मीणा कार्यरत हैं. कॉलेज में करीब 550 बच्चे हैं, लेकिन क्लासेज नहीं लगतीं. डॉ. रिचा मीणा सेहत को लेकर भी परेशान हैं. अर्थराइटिस की प्रॉब्लम से ग्रसित हैं और उपचार चल रहा है. कॉलेज 10 से 5 बजे तक संचालित होता है. इसमें वही ताला खोलती हैं और वही वापस लगाती हैं. इस बीच जितना बच्चों का काम कर सकती हैं, उसको निपटा देती हैं. जिस बिल्डिंग में कॉलेज संचालित हो रहा है. वह पुरानी है और वहां पर सुरक्षा का भी खतरा है, आए दिन शराब की बोतलें परिसर में मिलती हैं. इसके अलावा बदमाश कॉलेज में जब तब धमक जाते हैं.
हजारों बच्चे पढ़ रहे हैं इन कॉलेजों में: बारां जिले के छबड़ा की बात की जाए तो 2016 में कॉलेज खोल दिया था, वर्तमान में 480 बच्चे वहां पर पड़ रहे हैं. प्रिंसिपल पद पर तरुणा जोशी व प्रशासनिक अधिकारी के पद पर कौशल किशोर सहरिया कार्यरत हैं. इसके अलावा वहां पर फैकल्टी नहीं है. ऐसे में क्लासेज संचालित नहीं हो पाती. इस बार भी 160 बच्चों का एडमिशन हो जाएगा.
कोटा जिले के इटावा की बात की जाए तो एक मात्र फैकल्टी नरेंद्र कुमार मीणा कॉलेज में है. जहां पर 320 बच्चे वर्तमान में पढ़ रहे हैं. सांगोद विधानसभा के कनवास कॉलेज की बात की जाए तो वहां पर दो फैकल्टी हैं. कॉलेज 2018 संचालित है. वर्तमान में 572 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं. जिनमें प्रिंसिपल ललित किशोर नामा व असिस्टेंट प्रोफेसर पांचू लाल है. बच्चों को केवल दो ही सब्जेक्ट की क्लासेज मिल पाती हैं. झालावाड़ जिले में भी इसी तरह के हालात हैं. पिडावा कॉलेज में एक फैकल्टी तैनात है, यहां पर करीब 250 बच्चों ने प्रवेश ले लिया है, इसी तरह से चौमहला में दो फैकल्टी है. खानपुर में भी दो फैकल्टी है. वही बारां जिले के शाहबाद में भी दो फैकल्टी है. जबकि स्वीकृत फैकल्टी के पद प्रिंसिपल मिलाकर आठ हैं. जबकि इन कॉलेजों में माना जाए तो करीब 4000 से ज्यादा बच्चे अध्ययनरत हैं.