कोटा.मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व जो दो साल पहले तक आबाद हुआ करता (Mukundara Hills Tiger Reserve) था, लगातार बाघ, बाघिन और शावकों की मौत के बाद सुनसान हो गया है. जंगल में केवल एमटी 4 बाघिन ही बची है, जो बीते 2 सालों से एकांकी जीवन जी रही है. अब रणथंभौर से टाइगर को कोटा शिफ्ट किए जाने की योजना बनाई गई है, जिसके बाद फिर से सुनसान पड़ा जंगल आबाद हो सकेगा.
वन्यजीव प्रेमियों का मानना है कि एकांकी जीवन जीने से बाघिन की सेहत पर भी काफी असर (Tigers Dead in Mukundara Hills Tiger Reserve) पड़ता है. साल 2020 में जब अचानक बाघ, बाघिन व शावकों की मौत हुई थी, इसके बाद जंगल में केवल एक बाघिन बची थी. उसे सॉफ्ट एनक्लोजर में रखा गया था और करीब डेढ़ साल बाद अप्रैल 2022 में आजाद किया गया है. वह 760 स्क्वायर किलोमीटर के पूरे जंगल में अकेली बाघिन बची है. वर्तमान में एमटी 4 विस्थापित हुए गांव लक्ष्मीपुरा से दामोदरपुरा की बीच पूरी तरह से स्वस्थ होकर विचरण कर रही है.
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जानकारों का मानना है कि स्वस्थ होने के 1 महीने बाद ही उसकी जोड़ी बना दी जाती, तो अब तक वह दो बार ब्रीडिंग कर चुकी होती. इससे मुकुंदरा को दो बार खुशखबरी मिल गई होती. वन विभाग और नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की उदासीनता के चलते यह नहीं हो पाया. अब लगातार जब मांग उठी है, तब एनटीसीए ने रणथंभौर के टाइगर को शिफ्ट करने की स्वीकृति दी है. इसके लिए लगातार प्रक्रिया जारी है. अधिकारियों का कहना है कि जैसे ही सवाई माधोपुर में टाइगर आईडेंटिफाई होगा, उसे ट्रेंकुलाइज कर कोटा के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में शिफ्ट कर दिया जाएगा.
मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व एक की जगह तीन-चार टाइगर को करें आईडेंटिफाई :वन्य जीव प्रेमी सुधीर गुप्ता का कहना है कि (Ranthambore Tiger will be shifted to Mukundara) काफी विलंब सरकारी प्रक्रियाओं में हुआ है. इसके लिए अलग-अलग जगह अनुमति लेनी होती है, जिसके चलते काफी समय लग गया. अब टाइगर को जल्द ही कुछ दिनों में रणथंभौर से कोटा के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में शिफ्ट करना चाहिए. साथ ही रणथंभौर में एक टाइगर की जगह तीन से चार टाइगर आईडेंटिफाई होने चाहिए. इसके लिए टीमें भी ज्यादा लगानी चाहिए, ताकि जब कोई टाइगर नजर आए तो उसे ट्रेंकुलाइज कर लिया जाए. इसके बाद जल्द उसे मुकुंदरा में शिफ्ट किया जाए.
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टाइग्रेस के जीवन से जुड़ा सवाल :साल 2020 में बाघ, बाघिन व शावकों की मौत के बाद बाघिन एमटी-4 भी सितंबर 2020 में बीमार मिली थी. इसके बाद उसका इलाज करवाया और बाद में अक्टूबर 2020 में सॉफ्ट एंक्लोजर में डाल दिया गया. यह एक शावक के साथ नजर आई थी, वह भी नहीं मिला. बाघिन एमटी-4 को हार्ड एंक्लोजर में रिलीज करने की मांग हुई, लेकिन वन विभाग एनटीसीए की अनुमति के बाद ही रिलीज करने की बात कहता रहा. आखिरकार एनटीसीए से अनुमति मिलने के बाद अप्रैल 2022 में बाघिन को छोड़ दिया गया. अब इस बाघिन को जोड़ीदार की जरूरत है. वन्यजीव प्रेमी डॉ. सुधीर गुप्ता का कहना है कि टाइगर यहां पर बढ़ाने चाहिए. वैसे भी यहां पर टाइग्रेस अकेली है और उसकी उम्र भी होती जा रही है. यह प्राथमिकता का विषय है.
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खुद मुकुंदरा का कुनबा बढ़ा सकती थी टाइग्रेस :वन्यजीव प्रेमी धीरज गुप्ता तेज का मानना है कि (Tigress in Mukundara Hills Tiger Reserve) मुकुंदरा में टाइग्रेस 2 साल से अकेली है. समय से यहां पर बाघ को लाया जाता, तो 2 साल में दो बार ब्रीडिंग होती. इससे शावक भी होते और मुकुंदरा खुद आबाद हो जाता. इसके बाद किसी दूसरे टाइगर रिजर्व पर मुकुंदरा की निर्भरता खत्म हो जाती. बाघिन के शावक होने से उसका एकांकी जीवन भी नहीं रहता, इन 2 सालों में उसके स्वास्थ्य पर जो विपरीत प्रभाव अकेले रहने से हुए हैं, वे नहीं होते. इसके अलावा पर्यटन को भी पंख लग जाते. मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व का जो बुरा दौर था, वह भी जल्द खत्म हो जाता.
मेल टाइगर को शिफ्ट करने अनुमति मिली :मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन शारदा प्रताप सिंह का कहना है कि हमें एक मेल टाइगर को लाने के लिए अनुमति मिली है. हम इसके लिए एक और टाइग्रेस की मांग कर रहे हैं, जिसकी अनुमति भी हमें जल्द मिलने की उम्मीद है. उनका कहना है कि केवलादेव नेशनल पार्क भरतपुर से 500 चीतल को कोटा के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में छोड़ने की अनुमति मिल गई थी, इनमें से 186 चीतल छोड़े गए हैं. बारिश के चलते काम रुक गया था, लेकिन अब फिर से शुरू होगा. बीकानेर जू से भी मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व की पेरीफेरी के लिए करीब 40 चीतल छोड़ने की स्वीकृति मिली है. यह कार्य भी हम शुरु कर रहे हैं. रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में टी-110 को आईडेंटिफाई किया जा रहा है. ट्रैकिंग होने के बाद ट्रेंकुलाइज कर बाघ को कोटा के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में शिफ्ट किया जाएगा.
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2019 में पहला टाइगर किया था शिफ्ट :मुकुंदरा को आबाद करने के लिए रणथंभौर टाइगर रिजर्व ने ही मदद की थी. वहां से साल 2019 में पहला टाइगर शिफ्ट किया गया था. बाद में दो बाघिन को भी लाया गया. कुछ दिनों बाद रणथंभौर से एक टाइगर निकलता हुआ कोटा के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में पहुंच गया था. यह चंबल नदी की कलाइयों के सहारे सुल्तानपुर, दीगोद व कालीसिंध से होता हुआ आया था. इसके बाद मुकुंदरा में बाघ और बाघिन के दो जोड़े बन गए थे. एमटी 1 से लेकर एमटी 4 तक नाम दिए गए. जिनमें एमटी-2 बाघिन ने दो शावकों को जन्म दिया. वहीं, दूसरी बाघिन एमटी-4 के साथ भी एक शावक नजर आया था. यहां पर बाघों की संख्या बढ़कर 7 हो गई थी. फिर अचानक से बाघों की मौत होने लगी. एक बाघ और शावक लापता हो गए. अब केवल एक बाघिन लाइटनिंग यानी एमटी-4 यहां पर बची हुई है.