कोटा. जिले के बोरखेड़ा इलाके में सड़क पर ही प्रसव होने का मामला सामने आया है. जिसमें बोरखेड़ा चौराहे पर ही आसपास की महिलाओं और गर्भवती के साथ मौजूद दो महिलाओं ने प्रसव कराया. जिसमें पास के दुकानदारों ने ही प्रसूता और नवजात को एंबुलेंस की मदद से अस्पताल भिजवाया है. इस दौरान बाजार में अफरा-तफरी का माहौल रहा.
अस्पताल ने भर्ती करने से किया इंकारः मिली जानकारी के अनुसार कोटा ताथेड़ गांव के नजदीक स्थित माताजी के भीमपुरा गांव निवासी सुनीता गर्भवती थी. उसके 9 महीने भी पूरे हो गए थे. आज दोपहर में उसको दर्द उठने लगा. जिसके बाद उसके पति बनवारी और अन्य परिजन सुल्तानपुर अस्पताल लेकर गए, लेकिन वहां पर सुनीता को भर्ती नहीं किया और मौजूद स्टाफ ने कोटा जेके लोन अस्पताल ले जाने की बात कह दी. इसके बाद उसके परिजन माताजी के भीमपुरा से ऑटो लेकर कोटा आ रहे थे.परिजनों ने एक दाई से ही प्रसव कराना तय किया. ये ऑटो से बोरखेड़ा इलाके में ऑटो से उतर गए.
दाई से पैसे पर नहीं बनीं सहमतिः इसके बाद दाई से पैसे को लेकर सहमति नहीं बनने पर वह वापस बोरखेड़ा चौराहे पर पहुंचे थे. यहीं पर ही सुनीता के प्रसव हो गया. इसमें आसपास की कुछ महिलाएं पहुंची थी. इसके साथ ही सुनीता की सास भरोसी भाई और मां मंजू भी साथ थी. इस मामले की जानकारी देते हुए बोरखेड़ा इलाके में प्रॉपर्टी का व्यवसाय करने वाले आलम खान ने बताया कि आसपास खड़े लोगों ने ही 108 एंबुलेंस को कॉल किया और उसके बाद एंबुलेंस मौके पर पहुंची. जिसमें बैठाकर प्रसूता और नवजात को जेके लोन अस्पताल ले जाया गया. जहां पर उसे भर्ती करवाया गया. सुनीता और नवजात दोनों स्वस्थ हैं. प्रसूता के पति बनवारी का कहना है कि गांव से पत्नी को लेकर प्रसव कराने के लिए बोरखेड़ा इलाके में एक दाई के घर पर आए थे. जहां पर उसने 4 हजार रुपए की राशि मांगी थी. उसने कहा कि यह राशि हमारे पास नहीं थी. ऐसे में वहां से थोड़ी कहासुनी होने के बाद हम सड़क पर आ गए और इस दौरान करीब 8:30 बजे सड़क पर ही प्रसव हो गया. वापस दाई को बुलाने के लिए गए तो भी वह नहीं आई.
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सरकारी मॉनिटरिंग की भी खुली पोलः सुनीता की मां मंजू का कहना है कि वह उसके दर्द शुरू होने पर सुल्तानपुर अस्पताल लेकर गए थे. लेकिन वहां से कोटा ले जाने के लिए कह दिया. ऐसे में उसको कोटा लेकर जा रहे थे. वहां पर उन्हें किसी प्रसव कराने वाली दाई के बारे में जानकारी मिली थी. जिसके बाद ही वे दाई के पास पहुंचे थे. दूसरी तरफ इस पूरे मामले में चिकित्सा विभाग के मॉनिटरिंग सिस्टम की पोल खोल दी. जिसमें प्रेगनेंसी चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम भी बनाया हुआ है. इसके लिए आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को घर-घर सर्वे करना होता है. सुनीता का आंगनबाड़ी का कार्ड भी बना हुआ है. उसके बावजूद भी उसके प्रेगनेंसी को ट्रैक नहीं किया. साथ ही उसके परिजनों को अस्पताल में प्रसव कराने की सलाह दी नहीं दी गई. वहीं सुनीता ने इससे पहले कोटा में निजी चिकित्सकों को भी दिखाया है. साथ ही उसकी सोनोग्राफी भी हुई थी.