कोटा.शहर की कोटा दक्षिण विधानसभा सीट शहरी मतदाताओं की है. इस सीट पर एक बार फिर पुराने प्रतिद्वंद्वी आमने-सामने हैं. बीते चुनाव में इस सीट पर नजदीकी मुकाबला कांग्रेस और भाजपा में हुआ था. इसमें महज 7534 वोट से भाजपा प्रत्याशी को जीत मिली थी. परिसीमन के बाद बनी कोटा दक्षिण सीट पर भाजपा कांग्रेस में ही मुकाबला होता आया है. इस बार भारतीय जनता पार्टी ने दो बार के विधायक संदीप शर्मा को मैदान में उतारा है, वहीं कांग्रेस ने भी महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष राखी गौतम को चुनावी मैदान में उतारा है. राखी गौतम ने पिछला चुनाव यहीं से लड़ा था.
विकसित एरिया, कोचिंग एरिया की समस्या है मुद्दा :कोटा दक्षिण विधानसभा क्षेत्र की बात की जाए तो इसमें अधिकांश एरिया कोचिंग का है. यहां पर बाहर से पढ़ने आने वाले विद्यार्थी वोटर तो नहीं हैं, लेकिन उनके जरिए चलने वाला रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा है. इन क्षेत्रों में फुटकर से लेकर बड़े शोरूम तक का व्यापार कोचिंग स्टूडेंट के बलबूते ही चलता है. इसके अलावा इस एरिया में ही भामाशाह कृषि उपज मंडी भी स्थित है. इसका एक्सटेंशन भी एक बड़ा मुद्दा है, जहां पर आमदनी बढ़ने से कोटा के व्यापार को ही फायदा होने वाला है.
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ये भी हैं मुद्दा : साथ ही इस एरिया में गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, कोटा यूनिवर्सिटी, राजस्थान टेक्निकल, वर्धमान महावीर ओपन यूनिवर्सिटी में भी कई मुद्दे हैं. इनमें विद्यार्थियों को सुविधा के साथ ही हाई क्वालिटी एजुकेशन मिले, यह भी बड़ा मुद्दा है. कई कॉलोनी में विकास कार्य की भी दरकार है. विद्युत व्यवस्था और सड़कों के मेंटेनेंस नहीं हो पाते हैं. इसके अलावा क्षेत्र के पार्कों को भी इस बार बजट नहीं मिला है. कोटा दक्षिण के क्षेत्र में इंडस्ट्रियल एरिया और फैक्ट्रियां भी बड़े स्तर पर हैं, उनकी भी कई समस्याएं हैं, जिनका निस्तारण समय की मांग है.
पिछली बार भाजपा को मिली थी दमदार चुनौती :पहले कोटा में एक सीट कोटा ही हुआ करती थी, लेकिन परिसीमन के बाद इसमें बदलाव हुआ और दो सीट कोटा दक्षिण और उत्तर सीट बनी. कोटा दक्षिण पूरी तरह से भाजपा का गढ़ मानी जाती है, यहां पर एक उपचुनाव मिलाकर अब तक कई चुनाव हुए हैं. इनमें चारों चुनाव में भारतीय जनता पार्टी जीती है. पहली बार 2008 में यहां से कांग्रेस के दिग्गज और पूर्व मंत्री रामकृष्ण वर्मा को भारतीय जनता पार्टी के ओम बिरला ने चुनाव हराया था.
2018 में सबसे कम रहा जीत का अंतर : इसके बाद 2013 में एक बार फिर ओम बिरला चुनाव जीते थे. इस दौरान कांग्रेस प्रत्याशी पंकज मेहता को हार मिली थी. वहीं, 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में ओम बिरला सांसद बन गए, इसके बाद यह सीट खाली हुई और इस पर उपचुनाव में भाजपा के संदीप शर्मा ने कांग्रेस के शिवकांत नंदवाना को हराया था. साल 2018 के चुनाव में एक बार फिर संदीप शर्मा भाजपा से चुनाव जीते, उन्होंने राखी गौतम को चुनाव हराया था. हालांकि, जीत का अंतर सबसे कम 7534 रह गया था.
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ब्राह्मण, बनियों के वोट ज्यादा, इन्हीं का दबदबा :परिसीमन के बाद बनी इस सीट पर ब्राह्मण, बनियों का ही कब्जा रहा है. कांग्रेस ने 2008 में गुर्जर नेता रामकिशन वर्मा को चुनाव लड़वाया था. यह एकमात्र नेता थे, जो ब्राह्मण, बनिया समाज से नहीं थे. इसके बाद दोनों ही पार्टियों ने या तो बनियों को टिकट दिया है या फिर ब्राह्मण उम्मीदवार को मैदान में उतारा है. कोटा साउथ सीट की बात की जाए तो यहां पर 242664 मतदाता हैं. इनमें सबसे ज्यादा वोटर करीब 62000 ब्राह्मण हैं. इसके बाद महाजन समाज के करीब 32000 वोटर यहां हैं. वहीं, मुस्लिम मतदाता भी 32000 के आसपास हैं.
मुस्लिम, सिंधी और राजपूत भी :अल्पसंख्यक समुदाय में सबसे ज्यादा दबदबा यहां पर मुसलमानों का है. अल्पसंख्यकों के वोट करीब 36000 के आसपास हैं. इनमें 32000 मुस्लिम हैं, इसके बाद पंजाबी, जैन सहित अन्य जातियां के लोग भी हैं. सिंधी समाज भी इस सीट पर बड़ा तबका है. इनके पास करीब 20000 के आसपास वोट हैं. राजपूत समाज की बात की जाए तो यहां पर 18000 वोट राजपूत के हैं.
ओबीसी और एससी में इतने वोटर : ओबीसी कैटेगरी में करीब 35000 वोटर हैं, जिनमें माली, धाकड़, स्वर्णकार, गुर्जर, तेली, कलाल, अहीर यादव, लोधा, खाती, बैरागी, जाट, छीपा, लुहार मतदाता हैं. एससी केटेगरी की बात की जाए तो करीब 25 हजार वोटर हैं, इनमें ज्यादा जाटव वोटर हैं. इसके बाद मेघवाल, बैरवा, नायक, खटीक, धोबी, मेहर और ओढ़ समाज के वोटर हैं. एसटी कैटेगरी में सबसे बड़ा तबका मीणा वोटर है. यह करीब 10000 की संख्या में हैं, इसके बाद एसटी में दूसरा बड़ा तबका भील वोटर का है.
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सरकार ने विकास में किया भेदभाव :भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी संदीप शर्मा का कहना है कि पूरे 5 साल जनता के बीच रहा. कोटा दक्षिण की जनता के लिए संघर्षरत रहा. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस की सरकार ने कोटा दक्षिण और उत्तर के विकास में भेदभाव किया है. दक्षिण से हुई आय को उत्तर के विकास में लगा दिया, लेकिन कांग्रेस नेताओं ने इसका विरोध नहीं किया. आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता थानों की दलाली करते रहे, इसके चलते आम आदमी न्याय से महरूम रहा है. पूरे इलाके की कानून व्यवस्था पर गुंडे बदमाशों का दबदबा हो गया है. क्षेत्र की जनता इन्हें घर बैठाने के लिए मतदान दिवस का इंतजार कर रही है.
कांग्रेस प्रत्याशी की स्थिति भाजपा से त्रस्त है दक्षिण की जनता :कांग्रेस प्रत्याशी राखी गौतम का कहना है कि उन्होंने साल 2018 के चुनाव में ही भारतीय जनता पार्टी के गढ़ को हिला दिया था. इस बार भाजपा के गढ़ को ढहा कर सीधी एंट्री लेने वाले हैं. पिछले साल चुनाव में काफी कम समय प्रचार का मिला था, कई एरिया में पहुंच भी नहीं पाए थे. भाजपा ने भी भ्रामक प्रचार किया था, इसलिए कुछ एरिया से कांग्रेस को कम वोट मिल पाए थे, लेकिन हमने पूरे 5 साल सड़क से लेकर हर स्तर पर संघर्ष किया है. भाजपा के विधायक क्षेत्र से गायब रहे, हर आम नागरिक और कार्यकर्ता के लिए लड़ाई लड़ी है. इसी के बलबूते एक मजबूत फौज तैयार हो गई है. हमने नगर निगम चुनाव में भी बोर्ड दक्षिण में बनवाया है. भाजपा से कोटा दक्षिण की जनता त्रस्त हो गई है, इसीलिए अब हमें चुनाव जिताएगी. बता दें कि इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के अलावा 7 अन्य प्रत्याशी भी चुनावी मैदान में हैं, जिनमें बहुजन समाजवादी पार्टी से डॉ. कृष्णानंद शर्मा, निर्दलीय ओम प्रकाश सकवाल, पिंटू बजरंगी, मोहम्मद फरीद, इरशाद अहमद, हनुमान मीणा और हबीबुल्लाह शामिल हैं.