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Rajasthan Assembly election 2023: फर्जी जाति सर्टिफिकेट के आरोप पर बोले पूर्व कांग्रेस विधायक, 30 साल से इसी प्रमाण पत्र से की सरकारी नौकरी - जाति का फर्जी सर्टिफिकेट बनवाया

केशोरायपाटन सीट से कांग्रेस का टिकट मांग रहे मनमोहन बैरवा ने पूर्व कांग्रेस विधायक सीएल प्रेमी पर स्वर्ण जाति का होने का आरोप लगाया गया है. साथ ही कहा है कि उन्होंने बैरवा जाति का फर्जी सर्टिफिकेट बनवाया है.

Allegations of using fake caste certificate
फर्जी जाति सर्टिफिकेट के आरोप

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 26, 2023, 4:29 PM IST

Updated : Oct 26, 2023, 8:30 PM IST

फर्जी जाति प्रमाण-पत्र के आरोप पर यह बोले पूर्व विधायक सीएल प्रेमी

कोटा.कांग्रेस से एक बार केशोरायपाटन सीट से विधायक रह चुके बूंदी के जिला अध्यक्ष सीएल प्रेमी (चुन्नीलाल बैरवा) पर फर्जी अनुसूचित जाति के सर्टिफिकेट से चुनाव लड़ने का आरोप लगा है. इस संबंध में अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय में एक परिवाद 5 सितंबर, 2023 को दायर किया गया था. जिस पर सुनवाई जारी है. यह परिवाद कांग्रेस से केशोरायपाटन सीट से टिकट मांग रहे मनमोहन बैरवा ने पेश किया है. इसके साथ ही 20 अक्टूबर को संभागीय आयुक्त प्रतिभा सिंह को भी एक शिकायत परिवादी मनमोहन ने दी है.

इस मामले में सीएल प्रेमी पर स्वर्ण जाति का होने का आरोप लगाया गया है. साथ ही कहा गया है कि उन्होंने बैरवा जाति का फर्जी सर्टिफिकेट बनवाया है. जिसके जरिए ही यह विधायक बने थे. आरोप लगाने वाले मनमोहन बैरवा का कहना है कि हम इस पूरे मामले में तत्कालीन एसडीएम और पटवारी को भी आरोपी बना रहे हैं. उन्होंने गलत सर्टिफिकेट बनाया. इसी के जरिए यह धोखाधड़ी कर चुनाव सीएल प्रेमी ने लड़े हैं.

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इस पूरे मामले पर सीएल प्रेमी का कहना है कि उन्होंने 30 साल बैंक में नौकरी की है. ऐसे ही दूसरे सर्टिफिकेट के जरिए मेरे भाई ने 38 साल सरकारी नौकरी की है. वे तीन चुनाव भी इसके जरिए ही लड़ चुके हैं. एक बार विधायक रह चुके हैं. यह सब कुछ राजनीतिक द्वेषता के चलते किया जा रहा है. इसके पीछे मनमोहन बैरवा हैं जो केशोरायपाटन सीट से कांग्रेस का टिकट मांग रहा है. उसने मुझे यह भी कहा था कि मेरा नाम भी पैनल में भेजा जाए. मनमोहन बैरवा का नाम भी पैनल में भेजा गया था, लेकिन जिस हिसाब से उसकी कैटेगरी थी, उसे कैटेगरी में ही भेजा गया है. वे चाहते हैं कि अपग्रेड कैटेगरी में उनका नाम भेजे. यह मेरे स्तर पर संभव नहीं है.

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कबाड़ी हमारा पेशा था, जाति नहीं:प्रेमी ने यह भी कहा कि रियासत के समय पर हमारा पेशा कबाड़ी का हुआ करता था, इसीलिए आसपास के जितने भी गांव बैरवा समाज के लोग थे, उनके पीछे कबाड़ी कागजों में लिखा गया था. बाद में इसे दुरुस्त किया गया. मेरा सर्टिफिकेट 1975 में बना है. कबाड़ी शब्द पेशे के चलते जुड़ा था, यह कोई जाति नहीं है. कई मुस्लिम लोग भी यह धंधा अभी कर रहे हैं, ऐसे में क्या वह कबाड़ी जाति के हो जाएंगे. सब कुछ पूरी राजनीतिक द्वेषता से रचा गया है.

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यह रहा है सीएल प्रेमी का राजनीतिक सफर: सीएल प्रेमी स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर में मैनेजर पद से साल 2008 में वीआरएस लेकर चुनावी मैदान में उतरे थे. केशोरायपाटन सीट अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व है. सीएल प्रेमी ने भाजपा के गोपाल पचेरवाल को 3416 वोट से हराया व विधानसभा में पहुंचे थे. साल 2013 के चुनाव में भी कांग्रेस ने उन्हें टिकट दिया. हालांकि भाजपा के बाबूलाल वर्मा ने उन्हें 12731 वोट से मात दी. साल 2018 में कांग्रेस ने उनका टिकट काट दिया और यहां से राकेश बोयत को टिकट दिया.

इसके बाद प्रेमी कांग्रेस से बागी होकर चुनावी मैदान में उतर गए. यहां से भाजपा प्रत्याशी चंद्रकांता मेघवाल 7116 वोट से जीती. राकेश बोयत को 65477 और कांग्रेस के बागी सीएल प्रेमी को 35115 वोट मिले. कांग्रेस ने बागी होकर चुनाव लड़ने पर उन्हें कांग्रेस से निष्कासित कर दिया, लेकिन 2019 में हुए लोकसभा के आम चुनाव में दोबारा पार्टी में उन्हें शामिल कर लिया. वर्तमान में वह कांग्रेस के बूंदी जिलाध्यक्ष भी हैं. वे केशोरायपाटन सीट से चुनाव की दावेदारी कर रहे हैं.

Last Updated : Oct 26, 2023, 8:30 PM IST

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