कोटा. राजस्थान विधानसभा में पारित हुए राइट-टू-हेल्थ बिल का चिकित्सक विरोध कर रहे हैं. कोटा में भी इसका विरोध विज्ञान नगर फ्लाईओवर के नीचे चल रहा है और बीते 4 दिनों से डॉ. नीलम खंडेलवाल अनशन पर हैं. जहां गुरुवार को उनकी तबीयत बिगड़ गई थी, मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों की टीम ने उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी थी, लेकिन वे नहीं मान रही थी. देर रात को चिकित्सक बड़ी संख्या में धरना स्थल पर मौजूद थे और वह सुंदरकांड का पाठ कर विरोध जता रहे थे. इसी दौरान भारी पुलिस जाब्ता मौके पर पहुंचा. जिसमें एडिशनल एसपी उमा शर्मा सहित कई लोग मौजूद थे. पुलिस जाब्ते ने चारों तरफ से धरनास्थल को घेर लिया और डॉ. नीलम को धरना स्थल से एंबुलेंस में बैठाया गया. इस दौरान धरना स्थल पर मौजूद महिला चिकित्सकों ने उन्हें पकड़ लिया, लेकिन उन्हें खींचते हुए पुलिस ले गई.
डॉ. नीलम के पति अखिलेश नैनीवाल और अन्य चिकित्सकों ने भी जाने की कोशिश की, लेकिन सभी को रोक दिया गया. पुलिस ने सख्ती करते हुए डॉ. नीलम से सबसे दूर रखा. इससे चिकित्सक भी आक्रोशित हो गए और जमकर पुलिस प्रशासन और गहलोत सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लग गए. इस दौरान काफी देर तक हाई वोल्टेज ड्रामा चलता रहा. बाद में डॉ. नीलम के परिजनों को निजी अस्पताल बुलाया गया, जहां पर जूस पिलाकर उनका अनशन तुड़वाया गया है.
सरकार आंदोलन को दबाने की कोशिश कर रही : यूनाइटेड प्राइवेट क्लीनिक एंड हॉस्पिटल एसोसिएशन ऑफ कोटा के अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने कहा कि आरटीएच के विरोध में राजस्थान के सभी चिकित्सा के क्षेत्र में काम कर रहे संगठन जुड़ गए है. इनमें मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक, सरकारी और निजी डॉक्टर के साथ रेजिडेंट, डेंटिस्ट, केमिस्ट, पैरामेडिकल व नर्सिंग स्टाफ भी जुड़ गया है. हम लोगों की एक ही मांग है कि इस बिल को गैरकानूनी है और यह काला कानून से वापस लिया जाए. हम शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे हैं. सरकार इसको दबाना चाहती है, मैं सरकार से कहना चाहता हूं कि इस प्रकार से हमें दबाने की कोशिश करेगी, तब आंदोलन उग्र हो जाएगा और सारी जिम्मेदारी सरकार की होगी. जिस तरह से यह जो अस्पताल में उपचार नहीं मिल रहा है, यह सरकार की भी जिम्मेदारी होगी.