इटावा (कोटा).इटावा उपखंड क्षेत्र का सिनोता गांव जो अब नवगठित ग्रामपंचायत में बदल गया है. जिसके बाद इस गांव के लोगों में गांव के ग्राम पंचायत बनने पर खासा उत्साह है और आने वाले दिनों में होने वाले गांव की सरकार में अपनी पूर्ण भागीदारी निभागकर गांव की सरकार का पहला मुखिया चुनने को लेकर आतुर नजर आ रहे हैं. जिसके चलते सिनोता गांव के बुजुर्ग लोग एक हथाई पर बैठकर चुनावी चर्चाओं में मशगूल दिखाई देते है. साथ ही गांव के विकास को लेकर अपनी रणनीति बनाते नजर आते हैं.
कोटा का सिनोता गांव अभी भी विकास से है दूर दरअसल, नवगठित सिनोता ग्राम पंचायत में सरपंच पद के लिए एसटी की सीट आरक्षित हुई है. जिसके बाद 6 प्रत्याशी चुनाव मैदान में अपना भाग्य आजमा रहे हैं और गांव की सरकार का पहला मुखिया बनने को आतुर नजर आ रहे हैं. वहीं ग्रामीणों के अनुसार गांव के ऐसे सरपंच की दरकार है जो गांव के थमे हुए विकास के पहिये को आगे बढ़ाए और चम्बल नदी किनारे बिछड़ो में बसे इस सिनोता गांव की कायापलट कर सके.
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ग्रामीणों का कहना है कि सिनोता गांव पूर्व में ककरावदा ग्राम पंचायत में था. जो भी सरपंच बनता था, उसे चुनने में सिनोता गांव की अहम भूमिका होती थी, लेकिन सरपंच बनने के बाद उक्त सरपंच साहब द्वारा गांव को दरकिनार कर दिया जाता रहा है. जिसके बाद ग्रामीणों ने गांव को पंचायत बनाने की मांग उठाई और विधायक रामनारायण मीणा के प्रयास से राज्य सरकार ने सिनोता को ग्राम पंचायत बनाया है. अब हम ऐसा सरपंच चुनेंगे जो गांव के विकास को लेकर प्रतिबद्ध रहे और बिछड़ों में पड़े इस गांव को चमन बनाकर इटावा क्षेत्र में पंचायत का नाम रोशन करें.
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मतदान बहिष्कार की दे चुके हैं चुनौती...
बता दें, कि इस नवगठित ग्राम पंचायत में 4378 मतदाता हैं. वहीं 8 गांवों को सम्मिलित कर इस ग्राम पंचायत का गठन हुआ है. जिसमें से बांगरोद, शेरपुर के मतदाता इस ग्राम पंचायत में जोड़ने को लेकर नाराज है और मतदान का बहिष्कार करने की चेतावनी दे चुके हैं.