रामगंजमंडी/ कोटा.जिले के सुकेत कस्बे से लगी झालावाड़ जिले की बॉर्डर पर प्रशासन ने सख्ती कर रखी है. ये सख्ती कोरोना काल के दौरान जरूरी भी है. लेकिन ये दावा किया जाता है कि मेडिकल इमरजेंसी होने पर व्यक्ति को राहत दी जाएगी. लेकिन सुकेत थाना क्षेत्र के सातलखेड़ी कस्बे में रहने वाले हरीश के साथ ऐसा नहीं हुआ.
शुक्रवार दोपहर 2 बजे के करीब सातलखेड़ी निवासी हरीश की गर्भवती पत्नी को अचानक लगा कि उसके गर्भ में बच्चे की हलचल बंद हो गई है. उन्होंने तुरंत झालावाड़ की महिला चिकित्सक को फोन लगाया, जहां उसकी पत्नी का उपचार चल रहा था. चिकित्सक ने स्थिति को गंभीरता से लेते हुए तुरंत झालावाड़ आने के लिए कह दिया.
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लेकिन कोरोना संकट के इस दौर में एक जिले से दूसरे जिले में जाने के लिए परमिशन की आवश्यकता होती है. इस गंभीर परिस्थिति में हरीश परमिशन लेने कहां जाए, यह सोच कर हरीश अपनी पत्नी को लेकर निजी वाहन से झालावाड़ के लिए निकल पड़ा, लेकिन उन्हें बॉर्डर पर रोक लिया गया. उन्होंने पुलिस प्रशासन को अपनी समस्या बताई पर नियमों और उच्चाधिकारियों के आदेश की पालना करने वाले पुलिसकर्मियों ने बिना परमिशन और ई-पास नहीं होने के चलते उन्हें जाने नहीं दिया.
करीब आधे घंटे तक परेशान हरीश ने ईटीवी भारत को फोन पर पूरा मामला बताया. जिस पर ईटीवी भारत ने रामगंजमंडी के अधिकारियों को इस समस्या से सूचित करवाया. तब जाकर पीड़ित को जाने की परमिशन दी गई. वहीं, पीड़ित महिला सोनू बाई ने बताया कि मेरे गर्भ में बच्चे की हलचल बंद हो गई थी. इसलिए हम झालावाड़ अस्पताल जा रहे थे, लेकिन बॉर्डर पर हमें निकलने नहीं दिया गया.
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मेरे साथ पहले भी ऐसा एक हादसा हो चुका है. जिसमें पहले भी बच्चे की हलचल बंद हो गई थी. जिसे हमने गंभीरता से नहीं लिया और बच्चे को गंवाना पड़ा था. पीड़ित पति हरीश वर्मा ने ईटीवी भारत का धन्यवाद करते हुए कहा कि अगर हमें समय पर मदद नहीं मिलती, तो बड़ा नुकसान हो सकता था. इसलिए हम ईटीवी भारत के शुक्रगुजार हैं.