उद्योग प्रदर्शनी में प्रदर्शित हुए गोबर से बने उत्पाद... कोटा.माइक्रो, स्मॉल व मीडियम इंडस्ट्री मंत्रालय और एसएसआई एसोसिएशन की ओर से दशहरा मैदान में आयोजित उद्योग मेले में गोबर से बनी किताबें, मास्क और एलोवेरा से बने सेल सहित कई आइटम प्रदर्शित किए गए हैं.
मेले के संयोजक राकेश जैन का कहना है कि मेले में करीब 300 स्टॉल लगी हैं. जिनमें देशभर के उद्योगों से अपने उत्पाद और नए स्टार्टअप लेकर लोग पहुंचे हैं. इसमें पार्टिसिपेंट कुछ यूनिक आइटम को लेकर भी पहुंचे. यहां गोबर से बना पेपर, किताब, डायरी से लेकर कई सारे प्रोडक्ट प्रदर्शित किए गए हैं. इसी तरह से जीएसएम बेस्ड मोटर ऑपरेशन सिस्टम भी तैयार किया है. जिसमें घर से कितनी भी दूरी होने पर भी खेत पर लगी हुई मोटर या समर्सिबल पंप को ऑपरेट किया जा सकता है. साथ ही बायोडिग्रेडेबल पूरी तरह से इको फ्रेंडली एलोवेरा से बने सेल लेकर आए हैं.
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गोबर से बनाए 70 तरह के आइटम: जयपुर की गौकृति संस्था ने भी कोटा के उद्योग मेले में स्टॉल लगाया है. उन्होंने दावा किया है कि वे लोग गाय के गोबर से कागज बना रहे हैं. यह 100 फीसदी ऑर्गेनिक कागज है. इसमें पेड़ या पेपर का उपयोग नहीं किया गया है. इसमें गोबर, गोमूत्र और कॉटन की वेस्टेज है. गौकृति संस्था के भीमराज शर्मा ने कहा कि हमारे कई प्रोडक्ट हैं. जिनमें मास्क, हवन कुंड, डायरिया, स्लीप पेड़, बॉक्स, धूप, फ्रेमिंग, डेकोरेटिव आइटम, सजावटी तस्वीर, बच्चे से लेकर और बड़े उम्र के लोगों के लिए उत्पाद तैयार किए हैे. हमने 70 तरह की डिजाइन की राखियां बनाई है.
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शादी-विवाह में उपयोग करने के बाद लिफाफा उगाएगा पौधे: भीमराज शर्मा ने कहा कि हमने गोबर और गोमूत्र से एक एनवेलप तैयार किया है, जिससे शादी—विवाह में दिया जा सकता है. इसमें 12 तरह के बीज डाले हैं. जब इसका उपयोग करने के बाद फेंकेंगे, तो यह बीज पौधे के रूप में भी खिल जाएंगे. हमने गुलाल भी तैयार की है. यह गुलाल ऑर्गेनिक है, जिसे गोबर, आरारोट मिलाकर बनाया गया है. शर्मा का कहना है कि लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन भी इस डायरी का उपयोग अपने ट्रेनिंग में आने वाले आईएएस और आईपीएस को देने में कर रहा है. ये उत्पाद केवल ऑनलाइन ही बेचे जा रहे हैं.
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नॉर्मल बैटरी से ज्यादा चलने का दावा एलोवेरा सेल का: एलोवेरा से हंड्रेड परसेंट इको फ्रेंडली बैटरी बनाने का दावा करने वाली अपर्णा का कहना है कि उनकी टीम में 18 मेंबर हैं. उन्होंने मिलकर ही फसलों के लिए लिक्विड मैग्नीशियम पुरानी बैटरी से बनाया था और अब एलोवेरा से इको फ्रेंडली बैटरी बनाई है. यह नॉर्मल मेटल से ज्यादा चलती है. यह पूरी तरह से बायोडिग्रेडेबल है. इसे फेंकने के बाद यह प्रदूषण नहीं फैलाएगी. जबकि नॉर्मल बैटरी कई सालों तक खत्म नहीं होती है.
यह बैटरी करीब एक लाख 60 हजार लीटर पीने योग्य पानी को खराब कर देती है. साथ ही हर साल भारत में करीब 220 करोड़ बैटरी फेंक दी जाती है. जिन्हें घर में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में उपयोग किया जाता है. इसके अलावा मोबाइल चार्जर से चार्जिंग होने वाले नॉर्मल सेल भी बनाए हैं. यह सेल 500 से 1200 बार चार्ज किया जा सकता है. ऐसे में इन्हें नॉर्मल सेल से ज्यादा उपयोग में लिया जा सकता है.
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सैंकड़ो किलोमीटर दूर भी फोन से चालू हो सकती है मोटर: कोटा के कौस्तुभ और बारां के धीरज शर्मा ने राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की है. उन्होंने जीएसएम बेस्ड मोटर ऑपरेशन सिस्टम तैयार किया है, जिसे खेत पर चलने वाली पानी की मोटर या कहीं भी समर्सिबल पंप को ऑन ऑफ किया जा सकता है. उसके लिए केवल मोबाइल नेटवर्क जरूरी है. इसमें दूरी की कोई बाधा नहीं हैं.
अभी तक हाड़ौती में ही इस तरह के डेढ़ दर्जन सेटअप लगाए है. यह सेटअप बताता है कि लाइट आई या नहीं आई. किसान इसके लिए काफी परेशान होता है. घर से खेत काफी दूरी पर होते हैं. ऐसे में खेत की लाइट आने की जानकारी समय से किसान को नहीं मिल पाती और वह अपनी फसल को पानी नहीं दे पाता है. इस समस्या का निदान इससे होगा. इसके साथ ही इसी तरह के सेटअप में कॉल के साथ मैसेज से भी मोटर को बंद चालू किया जा सकता है. इसके अपग्रेड मॉडल में कितना पानी फसल को दिया है, इसकी भी जानकारी मिल जाएगी.