रिवरफ्रंट में स्ट्रक्चर भरपूर मगर हरियाली नदारद कोटा.चंबल हेरिटेज रिवरफ्रंट अपने आप में अनोखा है. यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल से लेकर सीएम गहलोत इसे विश्व स्तरीय बताते हैं. उन्होंने इसे गुजरात के साबरमती रिवरफ्रंट से भी बेहतर होने का दावा किया था. उनका कहना है कि कोटा में बन रहे रिवरफ्रंट से पर्यटन बढ़ेगा. हालांकि, अब इसमें बड़ा सवाल पर्यावरण प्रेमियों ने उठाया है. उनका कहना है कि रिवरफ्रंट में पेड़-पौधे नहीं होने के कारण, भीषण गर्मी में पर्यटकों के लिए 6 किलोमीटर चलना मुश्किल हो जाएगा.
गर्मी में 45 डिग्री से ज्यादा रहता है तापमान :चम्बल संसद समन्वयक बृजेश विजयवर्गीय का कहना है कि रिवरफ्रंट पर दोनों तरफ करीब 6 किलोमीटर लोगों को पैदल चलना होगा या फिर उन्हें पोलो कार्ट की जरूरत होगी. कोटा में गर्मी के मई, जून और आधी जुलाई में करीब 45 डिग्री के आसपास तापमान रहता है. सितंबर तक यह तापमान 40 डिग्री पहुंच जाता है. नवंबर, दिसंबर और जनवरी को छोड़कर अन्य महीने में भी तापमान 30 के आसपास रहता है. ऐसे में पर्यटकों का यहां पर चलना मुश्किल जैसा ही होगा. पैदल चलने से उन्हें असुविधा होगी. बच्चों के लिए धूप में चलना तो और भी मुश्किल होगा.
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95 फीसदी का एरिया में पत्थर :रिवरफ्रंट पर 5 प्रतिशत भी ग्रीनरी नहीं है, जबकि 95 फीसदी में पत्थर का ही काम किया गया है. जितने भी गार्डन बनाए गए हैं, यह एंट्री के नजदीक ही हैं. शेष रास्ते पर किसी भी तरह के कोई पेड़-पौधे नहीं लगाए गए हैं. ऐसे में तपती दोपहरी या फिर भीषण गर्मी में यहां से गुजरना भी मुश्किल होगा. गर्मी में पत्थर की तपन भी महसूस लोगों को होगी. अधिकारी यह दावा कर रहे हैं कि वह गमले लगाकर लोगों को राहत पहुंचाएंगे.
पुराने गार्डन में बढ़ाई हरियाली :चंबल हेरिटेज रिवरफ्रंट पर केवल बैराज गार्डन और नयापुरा में एंट्री के दौरान बनाई गई बावड़ी के आसपास में ग्रीनरी का प्रावधान किया गया है. साथ ही कुन्हाड़ी इलाके में एंट्रेंस के साथ शौर्य घाट के नजदीक कुछ ग्रीनरी की गई है, जहां पर पेड़-पौधे लगाए जा रहे हैं और गार्डन विकसित किया जा रहा है. इसी तरह से रिवरफ्रंट के हिस्से में छोटी समाध और बड़ी समाध को भी शामिल कर लिया गया है. ऐसे में वहां पहले से ही पेड़ थे, जिन्हें रिवरफ्रंट में ही मिला लिया गया है. इसके अलावा रिवरफ्रंट पर कहीं भी पेड़-पौधे का प्रावधान नहीं है.
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डेकोरेटिव पौधे से नहीं मिलेगी राहत : बृजेश विजयवर्गीय का कहना है कि रिवरफ्रंट में केवल पाम के पौधे ही देखे हैं, जिनसे छाया भी नहीं मिलती. हमारे स्थानीय प्रजाति के परंपरागत नीम, बरगद, पीपल, आम और जामुन के पौधे यहां पर लगाए जाने चाहिए थे. इस तरह के पेड़ समय के साथ बड़े हो जाते हैं और लोगों को काफी राहत देते हैं. डेकोरेटिव पौधे ज्यादा समय तक नहीं चलते. साथ ही इनका कोई उपयोग भी नहीं होगा. चंबल किनारे चट्टानी एरिया है, लेकिन जमीन में 4 से 5 फीट गहरा और चौड़ा है. यहां गड्ढा खोदकर अच्छी मिट्टी और खाद डालकर पौधे लगाए जा सकते थे. यूआईटी के पास पैसे और टेक्नोलॉजी की भी कमी नहीं है.
रिवरफ्रंट के सहायक अभियंता कमल मीणा से सीधी बातचीत :
सवाल : रिवरफ्रंट का निर्माण कब पूरा होगा?
जवाब : रिवरफ्रंट को इसी महीने में पूरे करने का हमारा लक्ष्य है.
सवाल : रिवरफ्रंट में ग्रीनरी नहीं है, लोग कैसे चल पाएंगे?
जवाब : बैराज और नयापुरा में बावड़ी के पास कुछ गार्डन बनाए हैं. कुन्हाड़ी के एंट्री गेट के पास शौर्य घाट पर भी गार्डन बनाया है. छोटी और बड़ी समाध में पेड़-पौधे लगे हुए थे, जिन्हें रिवर फ्रंट में शामिल किया है.
सवाल: पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि ज्यादा गर्मी में पत्थर तो तपेगा?
जवाब : हम रिवरफ्रंट पर गमले लगाकर पौधे लगाएंगे.
सवाल: धूप को कैसे सहन कर पाएंगे पर्यटक, चलना मुश्किल होगा?
जवाब :कोटा में प्लांटेशन की कमी नहीं है, लेकिन गर्मी तो रहती ही है. इसका हम कुछ भी नहीं कर सकते हैं. आरकेपुरम और श्रीनाथपुरम में भी पौधे कम नहीं है, लेकिन गर्मी काफी है.