कोटा.जिले में चंबल नदी पर खातोली के नजदीक झरेल के बालाजी पर कैथूदा गांव पर उच्च स्तरीय ब्रिज की स्वीकृति साल 2021 के बजट में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दी थी, लेकिन यह एरिया चंबल घड़ियाल सेंचुरी में आने के चलते वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की स्वीकृति में अटक गया था. इस संबंध में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के प्रयासों से गुरुवार को स्वीकृति मिल गई (New bridge on Chambal river approved) है.
बजट घोषणा के बाद इसकी प्रक्रिया सार्वजनिक निर्माण विभाग ने 2 साल पहले ही शुरू कर दी थी. इसकी डीपीआर पहले से ही जारी हुए 30 लाख रुपए के बजट से तैयार की गई थी. जिसके अनुसार यह पुल 1880 मीटर लंबा होगा. इसके लिए बजट में 165 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया था. स्थानीय लोगों ने स्पीकर ओम बिरला से इसकी स्वीकृति का आग्रह किया था. जिसके बाद बिरला ने मंत्रालय से निरंतर सम्पर्क बनाए हुए थे. दिल्ली में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में हुई बैठक में वन क्षेत्र में निर्माण की स्वीकृति जारी कर दी गई. इससे अब जल्द ही कैथूदा गांव के बाहर पुल का निर्माण कार्य प्रारंभ हो सकेगा. यह पुल धर्मपुरिया में उतरेगा.
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बनेगा प्रेस्ट्रेस्ड कंक्रीट गर्डर ब्रिज:सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता इटावा मुकेश मीणा के बताया कि यह प्रेस्ट्रेस्ड कंक्रीट गर्डर ब्रिज होगा, जिसमें चार गर्डर हैं. जबकि, गैंता माखीदा में यह तीन गर्डर वाला पुल बनाया गया है. पुल की चौड़ाई 12 मीटर होगी, जिसमें साढ़े 7 मीटर का कैरिज वे होगा. इस पुल के निर्माण में 280 मीटर की एप्रोच सड़क सवाईमाधोपुर की तरफ ही बनाई जाएगी. इसके अलावा कोटा की तरफ 486 मीटर की अप्रोच रोड बनेगी, जिनमें दो छोटे-छोटे माइनर पुल भी बनाए जाएंगे.
तीन अलग तरह के होंगे पिलर:अधिशासी अभियंता मीणा के अनुसार इस पुल के निर्माण के दौरान 48 पिलर खड़े किए जाएंगे, जिसमें दोनों तरफ दो एबेटमेंट भी होंगे, जो सवाईमाधोपुर और कोटा की तरफ पुल की शुरुआत में बनेंगे. इन 48 पिलर पर 47 स्पान होंगे. हर पिलर के बीच जो स्पान रखे जाएंगे, वे 40 मीटर लंबे होंगे. चट्टान के ऊपर बनने वाले ओपन पिलर 5 होंगे. वहीं, 7 वेल फाउंडेशन होंगे. इसके अलावा 36 पाइल फाउंडेशन होंगे, जो मिट्टी और चट्टानों पर बनते हैं, जिनमें दो एबेटमेंट शामिल हैं.
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अभी भी सबसे लंबा ब्रिज कोटा जिले में गैंता माखीदा: वर्तमान में प्रदेश का सबसे लंबा पुल कोटा जिले में ही स्थित चंबल नदी पर बना गैंता माखीदा है. इसके लिए पिछली सरकार में बजट मिला था. यह 2 अक्टूबर, 2018 को बनकर तैयार हो गया था, जो कि रिकॉर्ड 23 महीनों में बना था. इसमें 120 करोड़ रुपए की लागत आई थी. यह 1562 मीटर लंबा और 22 मीटर ऊंचा है. इसके बाद 2021 में झरेल के बालाजी ब्रिज को स्वीकृत किया गया था. वहीं साल 2022 में गोठड़ा कला में भी चंबल नदी पर ब्रिज घोषित किया था. यह भी पर्यावरण स्वीकृति में अटका हुआ है. यह ब्रिज भी वर्तमान में सबसे लंबे ब्रिज गैंता माखीदा से बड़ा होगा.
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हर साल लाखों से रपट वाले पुल की मेंटेनेंस: बारिश के समय झरेल पुल पर आने वाले चंबल नदी के पानी से निजात मिलेगी. एमपी और सवाईमाधोपुर से कोटा सीधा जुड़ेगा. बारां से इटावा, खातौली होकर सवाईमाधोपुर जाना आसान होगा. इससे करीब 10 लाख से ज्यादा की आबादी लाभांवित होगी. बारिश के समय जरेल के बालाजी की वर्तमान रपट वाली पुलिया पर कई फीट ऊपर पानी आ जाता है. इसके चलते कई महीनों तक रास्ता बंद रहता है. साथ ही हर साल यह पुलिया भी क्षतिग्रस्त हो जाती है, जिसे दुरुस्त करने में सार्वजनिक निर्माण विभाग का काफी खर्चा होता है.