सांगोद (कोटा). यू तो होली रंगों का पर्व है पर क्या कभी आपने सोचा है कि बिना रंगों के भी ये त्योहार मनाया जा सकता है, ऐसा ही नजारा देखने को मिलता है सांगोद लोकोत्सव न्हाण में. न्हाण लोकोत्सव में बिना रंग गुलाल के भी पांच दिन तक सब लोग अपनी मस्ती में सराबोर रहते है. करीब पांच सौ साल पुरानी रियासतकालीन लोक संस्कृति की यह परम्परा आज भी यहां निरन्तर जारी है. पांच दिनों तक चलने वाले यह न्हाण अलग ही अपने रंगों की छटा बिखेरता है और करीब एक लाख से ज्यादा लोग इसके गवाह बनते है.
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सांगोद में इस बार न्हाण लोकोत्सव का आगाज 11 मार्च को घुघरी की रस्म के साथ होगा, जो 16 मार्च को खाड़े के बादशाह की सवारी के साथ सम्पन्न होगा. पांच दिनों तक चलने वाले न्हाण लोकोत्सव कोटा रियासत के जमाने से सांगोद में न्हाण लोकोत्सव का आयोजन होता आ रहा है. मुगलो के शासन के दौरान शुरू हुआ लोक संस्कृति का यह विशेष आयोजन आज भी उसी शान और शौकत से लगाताक जारी है.
हर साल यहां न्हाण शुरू होते ही कस्बे का दो भागों में विभाजन हो जाता है. साल भर यहां सभी धर्मों और जातियों के लोग प्रेम भाईचारे से रहते है. लेकिन, लोकोत्सव के समय एक पक्ष न्हाण अखाड़ा चौधरी पाड़ा तो दूसरा न्हाण खाड़ा अखाड़ा चौबे पाड़ा बन जाता है. लोकोत्सव के प्रथम दो दिन चौधरी पाड़ा (बाजार) व अंतिम दो दिन चौबे पाड़ा (न्हाण खाड़ा) पक्ष के आयोजन होते है. पहले दिन बारह भाले एवं दूसरे दिन बादशाह की सवारी निकलती है. बादशाह की सवारी, भवानी की सवारी में निकलने वाली देवी-देवताओं की झांकियां देख लोग मंत्रमुग्ध हो जाते.
संगोद के न्हाण लोकोत्सव के समय दोनों पक्षों के लोग अलग-अलग अंदाज में स्वांग रचाकर लोगों का मनोरंजन करते है. हर बार कुछ नया करने की दोनों पक्षों में होड़ सी लगी रहती है, दोनों पक्षों की ओर से निकाली जाने वाली बादशाह की सवारी पूरी शानो शौकत से निकाली जाती है. पहले पक्ष का बादशाह पालकी पर सवार होकर निकलता है तो दूसरे पक्ष के बादशाह की सवारी हाथी पर निकलती है. आगे स्वांग स्वरूप व घोड़ों पर सवार होकर छोटे-छोटे अमीर उमराव इसकी शोभा बढ़ाते है. न्हाण में बिना किसी स्वार्थ के दूर दराज से आये किन्नर भी शामिल होते है और अपने नृत्य से लोगों का मनोरंजन करते है.
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न्हाण लोकोत्सव काले जादू के लिए भी जाना जाता है, इसलिए सांगोद को जादुई नगरी भी कहा जाता है. दोनों पक्षों की बादशाह की सवारी के दौरान स्थानीय लोगों की ओर से अनेक प्रकार के जादुई करतब दिखाई जाते है. जिसे देख लोग दांतों तले अंगुलिया दबाने को मजबूर हो जाते है. न्हाण के दौरान कलाकार जोश व उत्साह के साथ अपनी अपनी कलाओं की प्रस्तुतियां देते है. न्हाण लोकोत्सव की सबसे बड़ी खासियत यह है की बिना प्रचार प्रसार किए ही लाखों लोग इस आयोजन का हिस्सा बनते है, बिना आयोजन समिति के संपन्न होने वाले इस लोकोत्सव में आज तक कोई भी अप्रिय घटना नहीं घटी. लोकोत्सव के समय यहां पुलिस-प्रशासन भी शांति व्यवस्था बनाने में अपनी अहम भूमिका निभाता है. इसी का परिणाम है कि सांगोद का न्हाण लोकोत्सव आज भी लोक संस्कृति की छटा देशभर में बिखेर रहा है.