कोटा. मुकुंदरा हिल्स और रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में दो-दो टाइगर मौजूद हैं (Staff Shortage In Tiger Reserves). उनकी सुरक्षा में ही अधिकांश वन कर्मी लगे रहते हैं. इसके चलते जंगल की सुरक्षा अधर में झूल रही है. मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के लिए तो यह कमी काफी चुनौती भरी है. अधिकारियों के निर्देश पर टाइगर की मॉनिटरिंग तो पूरी हो रही है, लेकिन जंगल भगवान भरोसे है.
मुकुंदरा की दिक्कत- मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व की बाउंड्री तो जरूर है, लेकिन वो भी टूटी फूटी. इन टूटी फूटी दीवारों से कई अनचाहे मेहमान प्रवेश कर जाते हैं. इनमें जानवर भी हैं और वो ग्रामीण भी जो दीवारों को तोड़कर मवेशियों को रिजर्व की बाउंड्री के अंदर पहुंचा देते हैं. वन सम्पदा का दोहन भरपूर हो रहा है. स्टाफ की कमी है और टाइगर की सुरक्षा सर्वोपरि! इसलिए जंगल स्टाफ टाइगर पर ही केंद्रित है.
बूंदी के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में भी इसी तरह के हालात बने हुए हैं. जबकि यहां पर टाइगर के अलावा सैकड़ों वन्य जीव मौजूद हैं. इनमें भालू, पैंथर, हायना, वाइल्ड डॉग, सांभर, चीतल, नीलगाय, हिरण, जंगली सूअर, लोमड़ी व खरगोश है. इनकी सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम नहीं है. आरवीटीआर नया है. यही वजह है कि यहां पूरी तरह से स्टाफ पदस्थापित नहीं किया गया है. राज्य सरकार के पास भी स्टाफ की कमी है वहीं इन दोनों टाइगर रिजर्व में स्टाफ भी ट्रांसफर करवा आना नहीं चाहते हैं.
डेडिकेटेड टीम लगाने से बढ़ गई समस्या-मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में फिलहाल दो टाइगर हैं. 2020 में बाघिन और उसके शावकों की मौत के बाद सुरक्षा को लेकर वन विभाग काफी गंभीर हो गया. बाघों की मौत के बाद अधिकारियों और कर्मचारियों पर भी कार्रवाई हुई थी. तभी से रिजर्व के वन कार्मिक डरे हुए हैं. कोई कोताही नहीं बरती जा रही. सघन मॉनिटरिंग की जा रही है और टीम लगातार 24 घंटे पहरा दे रही है. इसके लिए दोनों टाइगर के लिए 3-3 डेडीकेटेड टीम लगाई गई है. इसके अलावा रेडियो कॉलर और दूसरी व्यवस्थाओं के लिए भी टीम है. प्रत्येक रेंज में करीब तीन से चार बीट शामिल हैं, यहां वनपाल और उनके अधीन आने वाले वन रक्षकों की भारी कमी है.
वनरक्षक के पद 70 फ़ीसदी खाली- मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व की बात की जाए तो यहां पर सुरक्षा के लिए करीब 165 का स्टाफ होना चाहिए. जिनमें फॉरेस्ट गार्ड, असिस्टेंट फॉरेस्टर, फॉरेस्टर और रेंजर शामिल है, लेकिन इसकी जगह महज 70 के आसपास ही स्टाफ हैं. यानी स्टाफ की सीधे तौर पर 60 फीसदी कमी है. वहीं जंगल में मॉनिटरिंग के लिए सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट और नीचे सुरक्षा में लगने वाले फॉरेस्ट गार्ड की तो 70 फीसदी तक कमी है. हालांकि आरवीटीआर की बात की जाए तो, वहां पर 50 ही पद कुल पद खाली है. वहां पर 78 में से 42 का स्टाफ तैनात हैं जबकि वनरक्षक के पद 45 फीसदी खाली हैं.