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Road accident in Kota : सड़क दुर्घटना में मां बेटे की मौत, कार चालक हेड कांस्टेबल पर नशे में धुत्त होने का आरोप - राजस्थान के कोटा में सड़क दुर्घटना

कोटा जिला में स्थित नेशनल हाईवे पर सड़क दुर्घटना में मां बेटे की मौत का मामला सामने आया है. परिजनों का आरोप है कि दुर्घटना करने वाले हेड कांस्टेबल चालक शराब के नशे में धुत्त था. इसी वजह से उसने बाइक सवार तीन लोगों को पीछे से टक्कर मार दी थी.

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Published : Jun 12, 2023, 12:50 PM IST

कोटा. शहर के बोरखेड़ा थाना क्षेत्र में नेशनल हाईवे 27 पर कोचिंग एरिया कोरल के नजदीक सड़क दुर्घटना में मां बेटे की मौत का मामला सामने आया है. जबकि एक अन्य युवक को हल्की-फुल्की चोट लगी है. परिजनों का आरोप है कि दुर्घटना करने वाले हेड कांस्टेबल व चालक शराब के नशे धुत्त था. इसी के चलते उसने लापरवाही बरतते हुए बाइक सवार तीन लोगों को टक्कर मार दी.

बोरखेड़ा थाने के एएसआई सीताराम ने बताया कि कसार निवासी 48 वर्षीय नंदूबाई, उनका 26 वर्षीय बेटा राजेंद्र और एक अन्य परिजन राकेश मजदूरी के लिए कोटा के कोरल पार्क में आए थे. रविवार शाम को मजदूरी करने के बाद वापस अपने गांव कसार लौट रहे थे. कोरल पार्क से निकलकर नेशनल हाईवे 27 पर पहुंचे थे. जहां पर डीडीआई चिकित्सालय के नजदीक एक कार ने उनको पीछे से टक्कर मार दी. दुर्घटना के तुरंत बाद ठेकेदार तीनों को लेकर निजी अस्पताल पहुंचा. जहां पर डॉक्टरों ने नंदूबाई को मृत घोषित कर दिया. साथ ही राजेंद्र ने रात 12:00 बजे दम तोड़ दिया. वहीं बीच में बैठे राकेश को हल्की-फुल्की चोट आई है.

हेड कांस्टेबल चालक गजेंद्र सिंह शराब के नशे में था या नहीं इसकी जांच चल रही है : बोरखेड़ा थाने के एएसआई सीताराम का कहना है कि परिजनों की रिपोर्ट पर वाहन चालक गजेंद्र सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. दुर्घटना में कार चालक गजेंद्र सिंह को भी चोट आयी है. गजेंद्र सिंह कोटा ग्रामीण पुलिस लाइन में हेड कांस्टेबल चालक है, वो ग्रामीण पुलिस लाइन की वाहन शाखा में कार्यरत है. उसे भी उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. साथ ही उसकी कार को जप्त कर थाने लाया गया है. हेड कांस्टेबल शराब के नशे में धुत्त होने के सवाल पर एएसआई का कहना है कि इस मामले में अभी जांच चल रही है. दोनों मृतकों के शव का एमबीएस अस्पताल की मॉर्चरी में रखवा दिया गया था. जहां पोस्टमार्टम करवाकर उनके शवों को परिजनों को सौंप दिया गया है.

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परिवार में नहीं बचा कोई कमाने वाला : मृतका नंदूबाई के भतीजे चेतन खंगार का कहना है कि उनके फूफा रूपचंद पिछले कई सालों से बीमार हैं. दूसरी तरफ राजेंद्र और नंदूबाई ही परिवार का खर्च मजदूरी करके चला रहे थे. राजेंद्र के भी 3 छोटे-छोटे बच्चे हैं. ऐसे में अब राजेंद्र की पत्नी पर ही पूरे परिवार की जिम्मेदारी आ गई है. अब उसकी पत्नी पर बुजुर्ग ससुर और तीन छोटे-छोटे बच्चों का लालन-पालन की जिम्मेदारी आ गई है. घर में एक भी व्यक्ति वर्तमान में कमाने वाला नहीं बचा है. सरकार को इस परिवार की मदद करनी चाहिए. उसकी मांग है कि इन्हें (पीड़ित परिवार) आर्थिक मदद और मुआवजा दिया जाए, ताकि उनकी पत्नी अपने परिवार का पालन पोषण कर सके.

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